नोटबंदी के बाद आम जनता की परेशानियों का बहाना बनाकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किए जाने की तैयारियां तो विपक्ष द्वारा खूब की गईं, लेकिन सब विफल हो गया। जनता मजबूती के साथ इस कदम में देश और सरकार के साथ खड़ी है। नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार द्वारा बेनाम संपत्ति वालों पर भी नकेल कसने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चूंकि, काले धन का बड़ा हिस्सा इस तरह की संपत्ति में लगाकर बचने की कोशिश की जाती है। बेनाम संपत्ति के खिलाफ सरकार एक्शन प्लान तैयार कर चुकी है, जिसका रिएक्शन जल्द ही नोटबंदी की तरह हर किसी पर देखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। ये सिर्फ एक वक्तव्य नहीं था, बल्कि इसके क्रियान्वयन की दिशा में तो मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी से पहले ही बेनामी ट्रांजेक्शन अधिनियम – 2016 लाकर कदम बढ़ाया जा चुका था। अब सरकार द्वारा बेनाम संपत्तियों की जांच करने के लिए 200 से ज्यादा टीमें गठित की है। यह 200 टीमें जांच की पहल हाईवे के पास की जमीनों से करेंगी। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार काले धन के किसी ठिकाने को बख्शने वाली नहीं और अब बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई की ये कवायद कहीं न कहीं इसीकी एक कड़ी है।
500 और 1000 रुपए के नोट बंद करके काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति पर होगा। ये सिर्फ एक वक्तव्य नहीं था, बल्कि इसके क्रियान्वयन की दिशा में तो मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी से पहले ही बेनामी ट्रांजेक्शन अधिनियम – 2016 लाकर कदम बढ़ाया जा चुका था। अब सरकार द्वारा बेनाम संपत्तियों की जांच करने के लिए 200 से ज्यादा टीमें गठित की है। यह 200 टीमें जांच की पहल हाईवे के पास की जमीनों से करेंगी। इसके तहत हाईव के पास की जमीनों की जांच की जाएगी। वहीं, बड़े शहरों के वीवीआईपी इलाकों में आवंटित प्लॉट और संपत्तियों की जांच होगी। इस कदम को उठाने के पीछे एक बेहद ही ठोस वजह ये है कि 8 नवंबर को 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के बाद कालाधन रखने वाले लोग संपत्ति में निवेश करके उसे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
नोटबंदी पर फैसले के बाद से लोगों के अलग-अलग तरीकों से काला धन खपाने की खबरे आ रही हैं। यहां पर सरकार भी कालाधन रखने वालों के दिमाग के नजरिए से सोच कर नई रणनीति अपनाकर रोज नए नियम बनाकर उन पर नकेल कसने की योजना बना चुकी है। रियल स्टेट को काले धन को खपाने के सबसे बड़े जरिए के तौर माना जाता है।
शुरूआत में जांच एजेंसियां ये पता कर रही हैं कि देश के किस हिस्से में कितने प्लाट, दुकान और घर किस व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है। साथ ही यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन रिजस्टर्ड नामों में से कितने सही नाम है। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि सरकार को शुरूआती जांच में पता चला है कि लुटियन जोन में भी कुछ बंगलों का वास्तविक मालिक कोई और है। जांच के दायरे में रिश्वत और भ्रष्टाचार की रकमों से खरीदे गए कुछ बंगले हैं, एक बंगला जांच बंद करने के नाम पर एक सीए के नाम खरीदा गया। ऐसे सभी मामलों की जांच लगातार की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा सरकारी विभागों से सरकारी जमीनों के बारे तमाम जानकारी मांगी गई है, ताकि सही से निष्पक्ष जांच हो सकें। आयकर विभाग और अन्य विभागों की मदद से इन सब प्रॉपर्टीज का वेरीफिकेशन किया जा रहा है। दो-सौ से ज्यादा टीमें इन जगहों का सत्यापन कर रही हैं। कहने का अर्थ है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार काले धन के किसी ठिकाने को बख्शने वाली नहीं और अब बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई की ये कवायद कहीं न कहीं इसीकी एक कड़ी है।
कालाधन की तरह ही काली संपत्ति के बारे में पता लगाने के लिए सरकार द्वारा 1 नवंबर से बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट 2016 के तहत कार्रवाई होगी। इस कानून के तहत बेनामी संपत्ति जब्त की जा सकती है और सात साल की सज़ा भी शामिल है। इसे केंद्र सरकार के इस कदम से कालाधन रखने वालों के काले दिन और गरीबों के अच्छे दिन आ जाएंगे।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)