अभय सिंह
दो वर्ष पूर्व 26 मई 2014 को जब मोदी सरकार प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में आयी थी, तो उस पर लोगोँ की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती थी। आज दो वर्ष पूर्ण होने पर जब सरकार विकास पर्व मना रही है, तो इसका भी अपना महत्व है। यह जाहिर है कि जिस सरकार ने लोगोँ की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिये कठिन परिश्रम किया हो उसे अपनी उपलब्धियां बताने का पूरा हक़ है। मोदी सरकार ने आते ही जनहित योजनाओं की शुरुआत की। जिसमें प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप, बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ, गिव इट अप मिशन, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, किसान बीमा योजना प्रमुख योजनाएं हैं।सरकार की हर योजना आमजनता को समर्पित हैं.जन-धन योजना के तहत हर व्यक्ति का बैंक अकाउंट खोलने का कार्य शुरू हुआ इस योजना की सफलता अभूतपूर्व रही,जन-धन योजना के तहत कम समय में ही12 करोड़ से ज्यादा खाते खोले गये और इस योजना को गिनिज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली। इसी तरह गरीबों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना की शुरुआत हुई। गिव इट अप कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री ने खुद समृद्ध लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया। जिसके बाद 1करोड़ से ज़्यादा लोगों ने देश के लिए अपनी सब्सिडी छोड़ी। जिससे देश को 10 हज़ार करोड़ रुपये की बचत हुई। पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी उज्ज्वला योजना से बीपीएल परिवारों को मुफ़्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिये गये ताकि अत्यंत हानिकारक जलावनों से ग्रामीण महिलाओं को परेशानी न हो। यह विडंबना ही है,कि आज़ादी के 69 वर्ष बाद भी हम बापू के स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं कर पाये हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन एक सोच है स्वच्छता की, इस मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का निर्माण, ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय निर्माण आदि चीज़ों पर बल दिया गया है। आज मोदी सरकार की नीतियों का ही फल है कि वैश्विक मंदी के इस दौर में हमारी अर्थव्यवस्था 7.4 की गति से बढ़ रही है। हाल ही में भारत में व्यापार करना आसान हुआ है और 13 रैंक की छलांग के साथ भारत 2016 में दूसरे नंबर का देश बन गया है जहां व्यापार करना सबसे आसान होता जा रहा है। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि अमीर और ग़रीब के बीच आर्थिक फैलाव हुआ है। एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में ग़रीबी पिछले 2 साल में 21प्रतिशत से घटकर 12.4 प्रतिशत पर आ गयी है। जिन लोगों का यह मानना है कि मेक इन इंडिया असफल है उन लोगों को इन आंकड़ो पर नज़र घुमानी चाहिए। भारत ने 2015 में 31 अरब डॉलर एफडीआई अर्जित की है,जो कि अमेरिका और चीन जैसे देशों से ज्यादा है। आज़ादी के 69 वर्षों बाद भी बहुत इलाके ऐसे हैं जहां बिजली अब तक नहीँ पहुंच पाई है। ऊर्जा मंत्रालय ने सभी स्थानों पर2019 तक 24 घंटे सप्ताह के सातों दिन बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। दीनदयाल योजना के तहत 1,21,225 गांवों को बिजली देने का कार्य शुरू किया गया था। इन गांवों में अब तक बिजली के खंभे तक नहीँ पहुंचे थे। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में तय किये गये लक्ष्य 2,800 से कहीं ज़्यादा 7,108 गांवों तक बिजली पहुंचा दी गयी। बिजली की बचत करने के उद्देश्य से उजाला नाम से कार्यक्रम चलाया गया। यह कार्यक्रम 12 राज्यों में तेज़ गति से बढ़ रही है, इन राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, ओड़िसा शामिल हैं। मार्च 2019 तक 77 करोड़ बल्बों को एलईडी बल्ब से बदलने की योजना है। एलईडी बल्ब से प्रतिदिन 61 लाख़ तक की बचत का अनुमान है। सूट-बूट का ताना मारने वाले महानुभाओं को सरकार की कृषि हितैषी योजनाओं पर गौर करने की ज़रुरत है। किसान फसल बीमा योजना में 5,500करोड़ आवंटित हुए हैं, यह अब तक किसानों को फसल के लिए दी जाने वाली सबसे बड़ी बीमा राशि है। अगर ख़राब मौसम के कारण किसान बीज नहीँ लगाया पाता है तब भी उसे बीमा योजना का लाभ मिलेगा। इसी तरह किसान सॉइल हेल्थ कार्ड, किसानों के लिए राष्ट्रीय मंडी ये किसानों के लिए सहायक साबित होंगे। भारतीय रेल को राजनीति का साधन समझने वालों को रेलमंत्री सुरेश प्रभु के काम करने के तरीके से सीखने की आवश्यकता है जिसप्रकार उन्होंने रेलवे का की सुविधाओं में सुधार किया है वो काबिलेतारीफ है । भारतीय रेल जन-जन का मुख्य साधन है इस लिहाज से इसका पटरी पर होना आवश्यक है। आज रेलवे को 1 रुपए कमाने के लिये 92 पैसे ख़र्चकरने पड़ते हैं। प्रभु के आने से रेलवे के जो फैसले औसतन 300 दिनों में होते थे अब 80 दिनों के भीतर हो जाते हैं। भारतीय रेल में नवीनीकरण का दौर चल रहा है,चाहे वो सौर ऊर्जा से ट्रेनों में बिजली देना हो या बायो टॉयलेट का निर्माण। हाल ही में रेलवे ने स्पेन के कोचों का ट्रायल किया है जो 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकती है। अभी कुछ दिनों पहले ही सेमी हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई गयी। रेलवे ने कुछ ख़ास लक्ष्य निर्धारित किये है जिसमें 2019 सभी मानव क्रासिंग हटाये जायेंगे, माल गाड़ियों के लिये अलग लाइन बिछाई जायेगी ताकि सामान पहुंचने में देरी न हो और रेलवे के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लायी जा सके। सोशल मीडिया पर भी सुरेश प्रभु की मदद ली जा सकती है, इसके लिए भी अलग से अधिकारियों को रखा गया है। मोदी सरकार में विदेश मंत्रालय भी प्रसंशा के योग्य है। मंत्रालय द्वारा यमन, इजराइल, इराक में चलाया गया अभियान तारीफ़ के योग्य था। अब विदेश में रहने वाले भारतीयों को यह पता है की भारतीय विदेश मंत्रालय उनसे सिर्फ एक ट्वीट दूर है। मंत्रालय ने मदद नाम से एक वेबसाइट शुरू की है जिससे भारतीयों को सहायता मिल सकेगी। कुछ महानुभावों ने लगातार मोदी सरकार को काले धन पर घेरने का प्रयास किया है लेकिन सरकार बनने के साथ ही इस पर भी काम शुरू हुआ है। काले धन के मामले में सरकार ने कर चोरी के रूप में 50 हज़ार करोड़ रुपये और अघोषित आय के रूप में 21 हज़ार करोड़ रूपए का विगत दो वर्षों में पता लगाया है। सरकार के पहले ही दिन एसआईटी का गठन और जांच के लिये 1,400 मामले दर्ज कर लिये हैं। मोदी के विदेश नीति की लगातार आलोचना की जाती है, लेकिन इसी विदेश नीति की वज़ह से भारत में निवेश बढ़ रहा है। इसी विदेश नीति का परिणाम है कि हाल ही में भारत मिसाइल तकनीक नियंत्रण (एमटीसीआर) समूह देशों में शामिल हुआ है। साथ ही एनएसजी( परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में शामिल होने के लिए आगे बढ़ा है। ज्ञातव्य हो कि भारत के विरोध में रहने वाले देश मेक्सिको और स्विट्ज़रलैंड ने एनएसजी में शामिल होने का समर्थन किया है। साथ ही अमेरिका और जापान भारत के विरोधी देशों से एनएसजी में भारत के शामिल होने का समर्थन करने के लिये मनायेगा। गौरतलब है कुछ सेक्युलर मीडिया भारत सरकार द्वारा किये जा रहे विकास को नहीँ दिखा रहा है और जनता को बेफालतू के मुद्दे उठाकर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। मोदी सरकार के विकास में कुछ योजनाएं ऐसी हैं जिनका असर बाद में दिखाई देगा। बहरहाल आशा है कि भारत सरकार द्वारा किया जा रहा विकास आगे और गति पकड़ेगा और भारत विकास के पथ पर और तेजी से बढ़ेगा।
(लेखक स्वतन्त्र टिप्पणीकार हैं)