चुनाव से पूर्व जब पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक हुई, तो विपक्ष की तरफ से इसे चुनावी राजनीति बताया गया, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ अपनी जीरो टोलेरेंस नीति को ही दिखाया था और अब चुनाव बाद भी मालदीव से आतंकवाद पर मोदी ने जो कुछ कहा है, वो उनके उसी रुख का द्योतक है। जरूरत है कि मोदी के सुझाव पर दुनिया के देश ध्यान दें और इस दिशा में प्रयास किए जाएं।
गत 23 मई को चुनाव परिणामों के साथ ही विशाल बहुमत से पुनः सत्तारूढ़ हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ-ग्रहण में बिम्सटेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था। उल्लेखनीय होगा कि 2014 में मोदी के शपथ-ग्रहण में सार्क देशों के प्रतिनिधि पहुंचे थे, जिसमें कि पाकिस्तान भी था।
चूंकि वो मोदी का प्रथम कार्यकाल था, इसलिए पाकिस्तान से संबंधों को सुधारने की एक कोशिश उन्होंने की थी, लेकिन इस कोशिश के बदले जब पाकिस्तान की ओर से सिवाय आतंकी हमलों के कुछ नहीं मिला तो फिर मोदी ने उससे सब सम्बन्ध समाप्त करते हुए उसे उसीकी भाषा में जवाब देने की नीति अपना ली है। इसीलिए अबकी शपथ-ग्रहण में बिम्सटेक देशों को आमंत्रित किया गया ताकि पाक और माई-बाप चीन को छोड़कर सभी प्रमुख पड़ोसी इसमें शामिल हो सकें।
बिम्सटेक देशों में मालदीव भी है, जिसके राष्ट्रपति शपथ ग्रहण में सम्मिलित हुए थे। इसके बाद अब मोदी ने अपनी नयी सरकार की पहली विदेश यात्रा के लिए भी मालदीव को ही चुना। बीते दिनों प्रधानमंत्री मालदीव पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्हें मालदीव का सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया गया।
मोदी ने मालदीव की संसद को संबोधित किया जहां उन्होंने मालदीव के प्रति भारत के सहयोग की भावना तो व्यक्त की ही, विश्व की प्रमुख समस्याओं की ओर ध्यान भी आकर्षित किया। आतंकवाद को लेकर उन्होंने मालदीव की संसद में अपने संबोधन के जरिये दुनिया को एकबार पुनः वो सन्देश देने की कोशिश की, जो उनके प्रथम कार्यकाल के दौरान वे तथा सरकार के अन्य मंत्री विभिन्न वैश्विक मंचों से देते रहे हैं।
सन्देश यह है कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में विश्व को एकजुट होना चाहिए। लेकिन अबकी इस सम्बन्ध में उन्होंने विश्व को एकजुट करने हेतु सुझाव रखते हुए कहा कि हम जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या पर वैश्विक सम्मेलन कर चुके हैं, अब आतंकवाद पर भी एक वैश्विक सम्मेलन होना चाहिए।
अब फ़्रांस की तरफ से मोदी के इस सुझाव का समर्थन भी जता दिया गया और ठीक होगा कि शेष विश्व भी इस बारे में एकजुट हो जाए। आतंकवाद को लेकर निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है। अब दुनिया के देशों को ‘अच्छे और बुरे आतंक’ की बात करने वालों के खिलाफ न केवल खुलकर खड़ा होना होगा बल्कि आतंकियों को जड़ से खत्म करने के लिए भी एक साथ मिलकर कदम उठाने होंगे। मोदी के उक्त वक्तव्य ने इसीपर दुनिया का ध्यान खींचा है।
चुनाव से पूर्व जब पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक हुई, तो विपक्ष की तरफ से इसे चुनावी राजनीति बताया गया, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ अपनी जीरो टोलेरेंस नीति को ही दिखाया था और अब चुनाव बाद भी मालदीव से आतंकवाद पर मोदी ने जो कुछ कहा है, वो उनके उसी रुख का द्योतक है। जरूरत है कि मोदी के सुझाव पर दुनिया के देश ध्यान दें और इस दिशा में प्रयास किए जाएं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)