विरोधी दल सरकार के एमएसपी वृद्धि के इस निर्णय को एक राजनीतिक फैसले के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके तर्क आधारहीन हैं, क्योंकि सरकार की इस घोषणा से देशभर के किसान लाभान्वित होंगे, जबकि इस साल के अंत में केवल 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मूल्य में 2018-19 सत्र के लिये बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे किसानों को राहत मिलने की संभावना है। हालाँकि, विरोधी दल सरकार के इस निर्णय को एक राजनीतिक फैसले के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके तर्क आधारहीन हैं, क्योंकि सरकार की इस घोषणा से देशभर के किसान लाभान्वित होंगे, जबकि इस साल के अंत में केवल 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
खरीफ के मौसम में सर्वाधिक उपजाये जाने वाले सामान्य धान का एमएसपी 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,750 रुपये किया गया है, जो पहले 1550 रूपये प्रति क्विंटल था। यह मूल्य ए2 और एफएल लागत से करीब 50.09 प्रतिशत अधिक है। खरीफ की सभी 14 फसलों का एमएसपी लागत से करीब 50 प्रतिशत अधिक कर दिया गया है। सबसे अधिक बढ़ोतरी मूंग और रागी के एमएसपी में की गई है। पिछले साल की तुलना में मूंग का एमएसपी 1,400 रुपये प्रति क्विंटल और रागी का 900 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 4,020 रुपये से बढ़ाकर 5,150 रुपये प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल कपास का 4,320 रुपये से बढ़ाकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में किसानों को लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी देने का वादा किया था। नीचे दिये गये तालिका से एमएसपी में बढ़ोतरी को अच्छी तरह से समझा जा सकता है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार यह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उठाया गया कदम है। वे इस निर्णय से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कह रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि इससे किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे कारोबारी गतिविधियों में तेजी आयेगी। साथ ही, इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। राजनाथ सिंह के मुताबिक एमएसपी में बढ़ोतरी से महँगाई जरूर थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की हर संभव कोशिश करेगी।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में इजाफा में मुख्य भूमिका बिचौलियों की होती है। आज भी मुंबई में कोई भी सब्जी 50 रूपये प्रति किलो से कम नहीं है। चावल, दाल और दूसरे अनाजों के संदर्भ में भी कमोबेश यही स्थिति है। यह स्थिति देश के दूसरे शहरों में भी कायम है। बिचौलियों पर लगाम लगा कर इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
एमएसपी की गणना ए2 यानी बीज-खाद आदि का खर्च और एफएल यानी परिवार के सदस्यों का मेहनताना के आधार पर की गई है। हालांकि, किसान संगठन इसे सी2 यानी जमीन की लागत और सभी तरह की लागत के आधार पर करने की मांग कर रहे हैं। सरकार जिस तरह से किसानों के हित में लगातार कदम उठा रही है, उससे लगता है कि आगे आने वाले दिनों में सरकार किसानों की इस माँग को भी मान लेगी। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी की घोषणा से निश्चित रूप से किसान लाभान्वित होंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे उनकी सामाजिक स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आने की संभावना है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)