अपने सम्बोधन में कोविंद ने कहा, ‘मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही, हमारे देश और हमारे समाज की यही गाथा रही है। मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ लोगों को नमन करता हूं। देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है।‘ कोविंद ने देश की हवा, पानी, मिट्टी, अध्यात्म, दर्शन आदि पर गर्व होने की बात भी कही। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाला वक़्त भारत का है और इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए।
रामनाथ कोविंद 20 जुलाई 2017 को भारत के 14 वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उन्होंने यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार को लगभग 3 लाख 34 हजार वोटों से हराया, जो प्रतिशत में 65.65 है। 25 जुलाई को कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। आमतौर पर भारत में जब कोई गैर-दलित किसी बड़े पद के लिये चुना जाता है तो उसके गुणों की चर्चा की जाती है, वहीं अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के संदर्भ में उसकी जाति की चर्चा सबसे पहले की जाती है। लेकिन रामनाथ कोविंद को मामले में अपवाद माना जाना चाहिये। सच कहा जाये तो कोविंद का व्यक्तित्व-कृतित्व इस तरह की संकल्पना से ऊपर उठ चुका है।
रामनाथ कोविंद एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। वकील होने के नाते कानून व संविधान की भी उन्हें अच्छी जानकारी है। प्रधानमंत्री का निजी सचिव रहने के कारण उनके पास देश चलाने के लिये जरूरी प्रशासनिक अनुभव भी है। उनके अनुभव और गुणों को देखते हुए कहा जा रहा कि वे राष्ट्रपति की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल लेंगे और उनके कार्यकाल को आने वाले दिनों में एक मिसाल के तौर पर देखा जायेगा। शपथ ग्रहण के पश्चात् उनके संबोधन में उनके व्यक्तित्व और दृष्टिकोण के विविध पक्ष उभरकर सामने आए। उस संबोधन में न केवल अतीत के प्रति सम्मान था, बल्कि भविष्य के प्रति आकांक्षाएं भी थीं।
अपने सम्बोधन में कोविंद ने कहा, ‘मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही, हमारे देश और हमारे समाज की यही गाथा रही है। मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ लोगों को नमन करता हूं। देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है।‘ कोविंद ने देश की हवा, पानी, मिट्टी, अध्यात्म, दर्शन आदि पर गर्व होने की बात भी कही। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाला वक़्त भारत का है और इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए।
गुजरात कांग्रेस में उठापटक
खैर, रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद गुजरात कांग्रेस में घमासान मच गया। दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में गुजरात में क्रोस वोटिंग का मामला सामने आ गया। कांग्रेस के 11 विधायकों जो वाघेला के समर्थक माने जाते हैं, ने मीरा कुमार की बजाय कोविंद के पक्ष में वोट कर दिया। इसके बाद वाघेला को लेकर पार्टी के अंदरखाने में जाने क्या हुआ कि चुनाव के अगले ही दिन उन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए कांग्रेस से इस्तीफे का एलान कर दिया।
इसी साल गुजरात में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इसके पहले ही कांग्रेस में पहले क्रॉस वोटिंग और फिर वाघेला के इस्तीफे से बड़ा दरार आ गया है। वाघेला चाहते थे कि कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से मना कर दिया, क्योंकि कांग्रेस अपने अन्य दिग्गज नेताओं भरत सिंह सोलंकी, शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया को नाराज नहीं करना चाहती है।
अब वाघेला क्या करेंगे, यह तो आगे पता चलेगा; पर वे कोई भी निर्णय लें, लेकिन उनके बिना कांग्रेस का कमजोर होना तय है। गौरतलब है कि वाघेला ने 17 साल पहले भाजपा से अलग होने के बाद गठित अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) का विलय कांग्रेस में कर दिया था। बहरहाल, कांग्रेस में चल रहे घमासान का सीधा फायदा भाजपा को मिलना निश्चित है। भाजपा 193 सदस्यीय विधानसभा में 150 सीट जीतने के लक्ष्य के साथ चुनाव में उतरना चाहती है।
कांग्रेस में चल रहे मौजूदा राजनीतिक उठा-पटक को देखते हुए लगता है कि भाजपा के लिये स्वयं द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। भाजपा गुजरात में पहले से ही बहुत मजबूत है, तिसपर कांग्रेस की इस दशा ने उसकी विजय को लगभग तय कर दिया है। रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना और गुजरात में कांग्रेस में मचा राजनीतिक घमासान दोनों भाजपा के लिये अच्छा है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जिस तरह से भाजपा का देश भर में दायरा बढ़ रहा है, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में भाजपा की स्थिति और भी मजबूत होगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। स्तंभकार हैं। ये विचार उनके निजी हैं।)