मोदी सरकार की केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति – 2017 को मंज़ूरी दे दी गयी। इसके जरिए देश में सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार की इस नीति के तहत अब देश का हर नागरिक स्वास्थ्य लाभ का हकदार होगा। दरअसल इस नीति की भूमिका सन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आते ही तैयार कर दी गयी थी, जब इसके एक प्रारूप को जनसामान्य की राय के लिए ऑनलाइन डाला गया था। इसके ऑनलाइन मसौदे पर अनेक लोगों के राय और विचार आए जिनका सम्मिलित स्वरूप इस राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के रूप में आज देश के सामने है। इस नीति के तहत चाहे मरीज के पास पैसा हो या न हो, उसका इलाज हर सूरत में होगा। पहले अगर कोई मरीज किसी निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाता था और उसके पास पैसे उपलब्ध नहीं होते थे, तो उसे लौटा दिया जाता था, लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के आने के बाद अब ऐसा नहीं होगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में मोदी सरकार द्वारा देश के सामान्य जन की समस्याओं को दूर करने और उसके स्वास्थ्य की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने की ठोस व्यवस्था की गयी है। ऐसे में, मोदी सरकार को सही अर्थों में जनता की सरकार कहा जा सकता है; क्योंकि सत्ता संभालते ही सरकार द्वारा पहले बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया गया, फिर महिलाओं के लिए उज्जवला योजना लायी गयी और अब लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा रहा है।
पिछली सरकार की अनदेखी कहें या कुछ और, ये स्वास्थ्य नीति 15 साल बाद लोगों को बेहतर इलाज देने के लिए लागू की जा रही है। अबतक देश में 2002 की स्वास्थ्य नीति ही चल रही थी; जबकि इस बीच सामाजिक-आर्थिक, तकनीकी और महामारी परिदृश्य में आए बदलावों की वजह से स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक नयी चुनौतियां आ चुकी हैं। पुरानी स्वास्थ्य नीति उन चुनातियों से निपटने में पूर्णतः सक्षम नहीं थी। खैर, अब नयी स्वास्थ्य नीति के आने से इन चुनातियों का दृढ़तापूर्वक सामना किया जा सकेगा।
अक्सर ये देखा जाता है कि जो नियम केंद्र सरकार बनाती है, वो सिर्फ सरकारी क्षेत्र में ही लागू होकर रह जाता है; लेकिन ये नीति सरकारी और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों में लागू होगी। इतना ही नहीं सरकार की इस नीति के अंतर्गत हर बीमारी का इलाज करके उसे खत्म करने के लिए एक खास टारगेट बनाया गया है। इसके तहत इंश्योरेंस बेस्ड मॉडल या प्रीपेड मॉडल के जरिए देश में सभी को सस्ती कीमत पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रीपेड हेल्थकेयर सर्विस की सुविधा को भी इस योजना में शुमार किया गया है। केंद्र सरकार का लक्ष्य इसे शिक्षा के अधिकारों की तरह ही मौलिक अधिकारों में शामिल करना है ताकि हर वर्ग को सही रूप से इलाज मिल सकें। इस संदर्भ इस नीति की कुछ प्रमुख बातों पर नज़र डालना आवश्यक होगा :
> सरकारी अस्पतालों में जांच और दवा की मुफ्त व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी।
> औसत उम्र 67.5 से बढ़ा कर 70 साल तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
> स्वास्थ्य सुविधाओं पर जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च किया जाएगा।
> जनजाति समुदाय के परंपरागत दवाओं पर शोध और इस्तेमाल।
> सभी के लिए इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड रखने की व्यवस्था।
इस प्रकार स्पष्ट है कि नयी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में मोदी सरकार द्वारा देश के सामान्य जन की समस्याओं को दूर करने और उसके स्वास्थ्य की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने की ठोस व्यवस्था की गयी है। ऐसे में, मोदी सरकार को सही अर्थों में जनता की सरकार कहा जा सकता है; क्योंकि सत्ता संभालते ही सरकार द्वारा पहले बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया गया, फिर महिलाओं के लिए उज्जवला योजना लायी गयी और अब लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 लाइ जा रही है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)