बुधवार, 15 जून को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई विमानन नीति को मंजूरी दे दी गयी है। नई पॉलिसी के तहत अब 1 घंटे के हवाई सफर के लिए मात्र 2500 रुपये का किराया देना होगा, जबकि 30 मिनट के लिए केवल 1200 रुपये का भुगतान करना होगा। नई पॉलिसी में यात्रियों के हितों का भी ध्यान रखा गया है।नागर विमानन कि इस नयी नीति की घोषणा के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री गजपति राजू ने ट्वीट करके नागरिक सेवाओं के विस्तार एवं अधिक से अधिक आम जन तक इसकी पहुँच पर जोर देते हुए इस छेत्र में मौजूद संभावनाओं एवं छमताओं को रेखांकित किया जिसे पिछली सरकारों ने नजरंदाज़ कर रखा था। उन्होंने भारत मैं मौजूद 35 करोड़ मध्यम वर्ग की जनसँख्या का हवाला देते हुए बताया कि इनमे से केवल 8 करोड़ ही प्रतिवर्ष हवाई यात्रा करती है अर्थात सामान्यतः 4 से 5 साल में औसतन एक भारतीय हवाई यात्रा करता है, जो कि काफी कम है और इस छेत्र में बढ़ोतरी कि भाड़ी संभावनाएं मौजूद है। इस लक्ष्य को उन्होंने समुचित नीतिगत निर्णयों से हासिल करने कि बात कहते हुए भारत को वर्ष 2022 तक विश्व की तृतीय सबसे बड़ी नागरिक विमानन बाज़ार बन जाने कि संभावना व्यक्त की है।इस नीति के निर्धारण में विमानन छेत्र के सभी सम्बद्ध पछों से व्यापक विचार विमर्श किया गया है और लगभग 450 व्यक्तियों के सुझाव को समाहित किया गया है। नई नीति के लागू होने के बाद अब यात्रियों को घरेलू टिकट रद्द कराने पर शुल्क पंद्रह दिनों के अंदर वापस मिल जाएगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकट रद्द करवाने पर 30 दिन के अंदर पैसा वापस कर दिया जायेगा। अगर कोई यात्री अपना टिकट रद्द करवाता है तो कैंसिलेशन चार्ज के तौर पर 200 रुपए से ज्यादा वसूला नहीं जा सकता है।
नई पॉलिसी में विमान कंपनियों को 5/20 नियम से राहत मिलेगी। घरेलू उड़ानों पर अधिक जोर होगा और विदेश उड़ान के नियम अधिक आसान बनाये जायेंगे। अब विमानन कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 20 विमानों की जरूरत होगी लेकिन अंतरराष्ट्रीय सेवा शुरू करने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। विमान में ओवर बुकिंग होने पर अगर यात्री को सवार नहीं होने दिया जाता है तो उसकी मुआवजा राशि बढ़ाकर 20 हजार रुपए कर दी गई है।उड़ान के वक्त से 24 घंटे के अंदर फ्लाइट कैंसिल होती है तो मुआवजे की राशि 10 हजार रुपये तक होगी। अगर कोई भी एयरलाइंस कंपनी अपनी उड़ान अचानक रद्द करती है तो यात्रियों को चार सौ फीसदी तक जुर्माना देना होगा। विमानन कंपनी अगर कोई फ्लाइट रद्द करती है तो उसे इसकी सूचना ग्राहकों को 2 महीने पहले देनी होगी और पूरा रिफंड भी करना होगा।चेक्ड इन बैगेज के संबंध में विमान कंपनी सामानों के 15 किलोग्राम की सीमा से ज्यादा वजन होने पर 20 किलोग्राम तक के लिए प्रति किलोग्राम 100 रपए का शुल्क लेंगी। इस समय 15 किलोग्राम की सीमा से अधिक सामान होने पर प्रति किलोग्राम के लिए 300 रपए का शुल्क लिया जाता है। केवल एयर इंडिया 23 किलोग्राम तक नि:शुल्क सामान ले जाने की मंजूरी देती है।
ये बदलाव लगभग एक दशक बाद लाए जा रहे हैं और इससे विमान यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और अधिक से अधिक लोग विमान यात्रा के लिए प्रोत्साहित होंगे।
(लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च एसोसिएट हैं)