आज समग्र सीपीआई में ग्रामीण सीपीआई की हिस्सेदारी 53.5% है, जिसमें आवास क्षेत्र का अंश शामिल नहीं है। लिहाजा, केंद्रीय कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते (एचआरए) में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कहना बेमानी है। इसका मुद्रास्फीति पर अप्रत्यक्ष प्रभाव भी न्यून पड़ेगा, क्योंकि बढ़े एचआरए का नकदीकरण बहुत ही कम केंद्रीय कर्मचारी करायेँगे, क्योंकि अधिकांश के पास खुद का मकान नहीं है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी है। इस सिफ़ारिश का सबसे अहम हिस्सा आवास किराया भत्ता (एचआरए) है, क्योंकि केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का सबसे ज्यादा लाभ एचआरए में दिया गया है। इसलिए, बढ़े एचआरए के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन, जब हम गंभीरतापूर्वक तथ्यों पर विचार करते हैं, तो ये बात कोरी कल्पना से अधिक कुछ नहीं लगती।
सनद रहे कि शहरों के वर्गीकरण के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों को एचआरए दिया जाता है। छठे वेतन आयोग ने शहरों को आबादी के अनुसार एक्स, वाई और जेड श्रेणी में वर्गीकृत किया था, जिन्हें टियर-1, टियर-2 और टियर-3 शहर भी कहा जाता है।
मौजूदा समय में केंद्रीय कर्मचारियों का एचआरए एक्स, वाई और जेड शहरों में क्रमश: 24, 16 और 8 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर है; जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों में संशोधन करके एचआरए की सीमा को एक्स, वाई और जेड शहरों में न्यूनतम वेतन जोकि 18,000 रूपये है, के 30, 20 और 10% के मुताबिक क्रमशः 5400, 3600, 1800 रूपये निर्धारित किया है। पुनश्च: मंत्रिमंडल ने एचआरए को एक्स, वाई और जेड शहरों के अनुसार बढ़ाकर 24 से 30%, 16% से 20% एवं 08 से 10% किया है, लेकिन महँगाई भत्ता के एक से दूसरे स्लैब में जाने में 4 से 5 साल का समय लगता है, क्योंकि महँगाई भत्ता साल में औसतन 5 से 6% ही बढ़ता है।
केंद्रीय बैंक बीते मौद्रिक समीक्षाओं में सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों की वजह से मुद्रास्फीति पर 30 से 40 बेसिस पॉइंट प्रभाव पड़ने की बात कहता रहा है, लेकिन एचआरए भत्ता के गणित को देखने से लगता है कि इसका सीपीआई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि निर्धारित दरों के मुताबिक केंद्र सरकार के आला अधिकारियों को भी एक्स शहर में एचआरए अधिकतम 35,550 रूपये मिलेंगे, जो मौजूदा बाजार दर से बहुत ही कम है।
सच कहा जाये तो मुंबई जैसे शहर में इस राशि में एक कमरे का फ्लैट भी किराये से नहीं मिलेगा। साफ है, ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी एचआरए लेने के बजाये सरकारी आवास में रहना पसंद करेंगे। आज समग्र सीपीआई में ग्रामीण सीपीआई की हिस्सेदारी 53.5% है, जिसमें आवास क्षेत्र का अंश शामिल नहीं है। लिहाजा, केंद्रीय कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कहना बेमानी है। इसका मुद्रास्फीति पर अप्रत्यक्ष प्रभाव भी न्यून पड़ेगा, क्योंकि बढ़े एचआरए का नकदीकरण बहुत ही कम केंद्रीय कर्मचारी करायेँगे, क्योंकि अधिकांश के पास खुद का मकान नहीं है।
सीपीआई में आवास क्षेत्र का अंश महज 10% होने एवं केंद्रीय कर्मचारियों के एचआरए की मौजूदा स्थिति से मुद्रास्फीति पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक सीपीआई जुलाई महीने में 1.5%, अगस्त से सितंबर महीने में -3% और अक्टूबर से नवंबर में -4% रह सकता है और वर्ष, 2017 में यह औसतन 3.1% के स्तर पर बना रह सकता है, जोकि केंद्रीय बैंक के लक्षित दायरे के अंदर है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)