उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में जिस नोएडा को बदकिस्मत माना जाता रहा है वही नोएडा आज देश में सबसे ज्यादा निवेश आकर्षित करने वाला क्षेत्र बन चुका है। इस उपलब्धि का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है जो कुर्सी जाने के अंधविश्वास को दरकिनार करते हुए अब तक दर्जन भर बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं।
जिस नोएडा के बारे में यह अंधविश्वास रहा है कि उत्तर प्रदेश का जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है वही नोएडा आज देश का सबसे अधिक निवेश आकर्षित करने वाला क्षेत्र बन चुका है। नोएडा में पिछले साढ़े चार वर्षों में रिकॉर्ड तोड़ 64,362 करोड़ रूपये का निवेश आया है। इस निवेश से नोएडा में 4,84,922 लोगों को रोजगार मिला।
यदि देश के सभी 718 जिलों को देखें तो किसी भी जिले में इतना अधिक निवेश नहीं आया है। इस प्रकार मुंबई, बंगलोर जैसे दिग्गज शहरों को पीछे छोड़ते हुए नोएडा सबसे अधिक औद्योगिक निवेश वाला क्षेत्र बन गया है। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बार-बार नोएडा आने और अरबों की योजनाओं के उद्घाटन-शुभांरभ के कारण हासिल हुई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 30 साल से इस तरह का अंधविश्वास फैलाया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का नोएडा आना अशुभ है। यही कारण है कि कोई मुख्यमंत्री नोएडा आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव केवल एकबार नोएडा आ सके।
चौड़ी और चमचमाती सड़कें, हरे-भरे पार्क, ट्रैफिक को रफ्तार देते अंडरपास आज नोएडा की पहचान बन चुके हैं। नोएडा में तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण काम कर हरे हैं। नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी।
इन तीनों औद्योगिक प्राधिकरणों ने पिछले डेढ़ वर्षों में देशी-विदेशी निवेशकों को 3188 भूखंड बेचा है। इन निवेशकों ने 64,362 करोड़ रूपये का निवेश किया है। इनमें सैमसंग, टीसीएस, माइक्रोसॉफ्ट, अडानी ग्रुप, केंट आरओ और हल्दीराम जैसे बड़े निवेशक शामिल हैं।
यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण तेजी से विकास कर रहा है। एमएसएमई पार्क, एपारल पार्क, टॉय सिटी, मेडिकल पार्क, फिल्म सिटी, जेवर एयरपोर्ट यमुना प्राधिकरण में स्थापित हो रहे हैं। अब सरकार 100 एकड़ में प्लास्टिक प्रोसेसिंग पार्क बना रही है। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार की इंवेस्टर फ्रेंडली नीतियों से प्रभावित होकर देश-विदेश के बड़े निवेशक नोएडा में निवेश कर रहे हैं। इनवेस्टर समिट में साइन हुए कुल एमओयू में करीब 60 प्रतिशत नोएडा जिले के लिए हुए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की लॉजिस्टिक नीति के तहत ग्रेटर नोएडा में 7725 करोड़ रूपये के निवेश से मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब बन रहा है। ग्रेटर नोएडा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कौशल विकास केंद्र खुल रहा है। मुंबई की भांति यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) में फाइनेंस सिटी की स्थापना हो रही है।
इस फाइनेंस सिटी में देश भर की वित्तीय संस्थाओं को प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा। फिल्म सिटी में देश के सभी बैंकों के कार्पौरेट दफ्तर, वित्तीय संस्थाएं, स्टॉक मार्केट, स्टॉक एक्सचेज, कमोडिटी बाजार से जुड़े कार्यालय आदि को जमीन दी जाएगी। यहां पर इंटरनेशनल लेवल का कन्वेंशन सेंटर भी बनाया जाएगा।
जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नोएडा ही नहीं समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास को एक नया आयाम देगा। इससे नोएडा के ग्लोबल एक्सपोजर में सहायता मिलेगी। गौरतलब है कि बहुआयामी प्रगति के लिए जो भूमिका कभी बंदरगाह वाले तटीय क्षेत्रों की होती थी वही आज हवाई क्षेत्र की हो चुकी है। यही कारण है कि योगी सरकार इस एयरपोर्ट को प्राथमिकता दे रही है।
नोएडा में जिस तरह एक नई इलेक्ट्रानिक सिटी बन रही है उसे इस एयरपोर्ट से काफी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं प्रस्तावित फिल्म सिटी के विकास में भी यह एयरपोर्ट अहम भूमिका निभाएगा। समग्रत: दशकों तक जातिवादी राजनीति में उलझे उत्तर प्रदेश में विकास की नई गाथा लिखी जा रही है। नोएडा इसकी बानगी भर है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)