सदन के बाहर निकलने पर कपिल मिश्रा ने बताया कि उन पर आप विधायकों ने लात-जूतों से हमला किया जिससे उनके सीने और शरीर के अन्य अंगों पर भी चोट आई है। कपिल का आरोप है कि पांच-सात विधायकों ने उन्हें घेर लिया और उन्हें पीटना शुरु कर दिया। यह सचमुच आश्चर्य की बात है कि देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी शैक्षणिक डिग्री की व्यर्थ मांग करने वाली पार्टी, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम ऑपरेशन का सबूत मांगने जैसी कुतर्की मांग करने वाली पार्टी पर जब खुद आरोप लगे तो वह शर्मनाक ढंग से बौखला गई है और निचले स्तर पर आकर शब्दों से जवाब देने की बजाय हाथापाई पर उतर आई है।
आम आदमी पार्टी में इन दिनों सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। बाहरी और आंतरिक दोनों मोर्चों पर पार्टी विषम हालातों से जूझ रही है। बाहरी मोर्चं पर जहां एक के बाद एक आए चुनाव परिणामों ने पार्टी के जनाधार को डगमगा दिया, वहीं भीतरी तौर पर भी उपजे विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। अधिक समय नहीं बीता था कि कुमार विश्वास ने एक वीडियो जारी करके और विभिन्न मंचों पर कविताओं, बयानों के ज़रिये अरविंद केजरीवाल पर तंज कसे और इसके बाद अचानक एक नाटकीय घटनाक्रम सामने आया।
आप सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा को पार्टी ने निलंबित कर दिया। निलंबित होते ही कपिल मिश्रा ने एक के बाद पार्टी का पोल खोल अभियान शुरू कर दिया। वे लगातार प्रेस वार्ताएं करने लगे, टीवी चैनलों पर बयान देने लगे, साक्षात्कार देने लगे और बार-बार पार्टी के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार, भेदभाव, अनीति की पोल खोलने लगे। वे अपने हर खुलासे में अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते रहे हैं।
कपिल लगातार बोल रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्होंने अभी तक ‘आप’ दवारा किए गए जितने भी घोटाले उजागर किए हैं, सबके बकायदा प्रमाण भी प्रेस के समक्ष प्रस्तुत किए हैं, ऐसे में कपिल की बात सटीक और उनका आत्मविश्वास सच मालूम पड़ता है, क्योंकि अभी पार्टी और केजरीवाल एक भी आरोपों का तार्किक खंडन नहीं कर पाए हैं।
कपिल का यह अभियान ऐसे समय में सामने आया है, जब अरविंद केजरीवाल ने बड़बोलेपन और विवेकहीनता की अति कर दी थी और वे प्रत्येक व्यक्ति, संस्था पर बेसिर पैर के आरोप लगाना अपना धर्म समझने लगे थे। दूसरों से सबूत मांगने वाले केजरीवाल पर जब उनकी ही पार्टी से निकले व्यक्ति ने आरोपों की बौछार कर दी तो केजरीवाल एकदम निरुत्तर हो गए। वे ना ठीक से जवाब दे पा रहे हैं, ना खंडन कर पा रहे हैं।
उल्टा, विरोध प्रदर्शन करते हुए अनशन पर बैठे कपिल मिश्रा पर हमला हो गया। इतना ही नहीं, हाल ही में दिल्ली विधानसभा में भी कपिल के साथ मारपीट की गई। कपिल का कहना है कि यह सब केजरीवाल करवा रहे हैं। चूंकि केजरीवाल एक कुतर्की नेता हैं, ऐसे में उनसे विवेकशीलता, तार्किकता, सत्यता की अपेक्षा करना बेमानी है। कपिल कहते हैं कि सोची समझी साजिश के तहत उन पर हमला किया गया।
सिर्फ उन पर ही हमला नहीं हुआ, राहुल शर्मा पर भी हमला हुआ है, जिन्होंने लोक निर्माण विभाग में हुए घोटाले का पर्दाफाश करते हुए अरविंद केजरीवाल के साढ़ू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। ग्रेटर नोएडा में उन गोली चलाने का प्रयास किया गया। कपिल कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल या उनके रिश्तेदारों के खिलाफ जो कोई भी बोल रहा है, उन्हें डराने, धमकाने और मारने की कोशिश हो रही है। हिंसा करके हमें दबाने की कोशिश हो रही है।
गौरतलब है कि जब कपिल मिश्रा को मंत्री पद से हटाया गया था तब अगले दिन भी वह राजघाट आए थे और इसके बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल पर मंत्री सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। ताजा खुलासे में बीते 2 जून को कपिल मिश्रा ने एक नए घोटाले का खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राजधानी में बड़ा सीएनजी किट घोटाला हुआ है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि नकली सीएनजी किट आयातित की गई है। यह घोटाला अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन ने मिलकर कराया है। कपिल ने कहा कि सीएनजी के नाम पर गाड़ियों में नकली किट लगाई जा रही है।
पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने आरोप के समर्थन में नकली सीएनजी किट दिखाई और कहा कि अब तक 10 हजार गाड़ियों को नकली किट लगाई जा चुकी है। आप के बागी विधायक कपिल ने दावा किया कि कनाडा की कंपनी बता कर चीन की बनी किट गाड़ियों में लगाई गई है। हवाला को लेकर आरोप लगा चुके कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन पर स्वास्थ्य विभाग में तीन घोटालों को अंजाम देने का भी आरोप लगाया है।
पिछले महीने ही कपिल ने दावा किया था कि उन्होंने अपनी आंखों से अरविंद केजरीवाल को सत्येंद्र जैन से 2 करोड़ रुपये लेते देखा है। इससे पहले भी कपिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आम आदमी पार्टी को मिले 2 करोड़ के चंदे की रसीदें मीडिया के सामने पेश की थीं। कपिल ने 4 कंपनियों की रसीदें दिखाईं, हर एक रसीद 50 लाख रुपए की थी। इनके अनुसार 5 अप्रैल 2014 को आप के खाते में कुल दो करोड़ जमा हुए और उस समय मुकेश कंपनी के डायरेक्टर नहीं थे।
कपिल ने आरोप लगाया कि 2 करोड़ के लिए केजरीवाल ने झूठ बोला। आप में हवाला कंपनियों का चंदा है। कपिल मिश्रा के आरोपों के बाद केजरीवाल मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। विपक्षी दल उन पर निशाना साध रहे हैं और उनसे नैतिकता के आधार पर पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इधर, सनसनीखेज आरोपों व घोटालों के सप्रमाण खुलासों के बाद आम आदमी पार्टी बौखला गई है।
वरिष्ठ आप नेता संजय सिंह ने यहां तक कह डाला कि कपिल मिश्रा भारतीय जनता पार्टी से मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा भाजपा की भाषा बोल रहे हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने एक कदम आगे बढ़कर दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा को शिखंडी तक कह दिया। आरोपों तक तो ठीक है, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता अब आपा भी खोने लगे हैं। दिल्ली विधानसभा में हाल में हुई घटना से यही साबित होता है।
जीएसटी पर अधिवेशन में कपिल ने पांच मिनट के लिए बोलने का समय मांगा था। जैसे ही वो बोलने के लिए खड़े हुए आप विधायकों ने उनका विरोध करना शुरु कर दिया। कपिल मिश्रा और सदन में मौजूद विधायकों के बीच बहस इतनी तीखी हो गई कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। हालांकि इसके तुरंत बाद ही कपिल मिश्रा को सदन से बाहर कर दिया गया।
सदन के बाहर निकलने पर कपिल मिश्रा ने बताया कि उन पर आप विधायकों ने लात-जूतों से हमला किया जिससे उनके सीने और शरीर के अन्य अंगों पर भी चोट आई है। कपिल का आरोप है कि पांच-सात विधायकों ने उन्हें घेर लिया और उन्हें पीटना शुरु कर दिया। यह सचमुच आश्चर्य की बात है कि देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी शैक्षणिक डिग्री की व्यर्थ मांग करने वाली पार्टी, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम ऑपरेशन का सबूत मांगने जैसी कुतर्की मांग करने वाली पार्टी पर जब खुद आरोप लगे तो वह शर्मनाक ढंग से बौखला गई है और निचले स्तर पर आकर शब्दों से जवाब देने की बजाय हाथापाई पर उतर आई है।
यदि केजरीवाल सबपर आरोप लगाते रहते हैं, तो उन्हें भी आरोपों के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन, उन्होंने राजनीति को एक सतही तमाशा बनाकर रख दिया है। वे जनता को तमाशबीन समझ रहे हैं और खुद को मदारी। कपिल मिश्रा के सिलसिलेवार आरोपों का जवाब न दे पाना और कुटिल मौन धारण करके बैठ जाना केजरीवाल को सिरे से गलत साबित करता है। बेहतर होगा कि यदि उनमें थोड़ी भी आत्मावलोकन की क्षमता शेष है, तो वे एकांत में बैठकर स्वयं का विश्लेषण करें। वे पतन की कगार पर खड़े हैं, यदि अब भी वे नहीं सुधरेंगे तो मतदाता तो क्या इतिहास भी उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)