अबतक ग्रामीण अंचलों में चल रहे मनरेगा और गरीबों की आवास योजनाओं ने लोगों को रोजी-रोटी के साथ इज्जत से जीना सिखाया है। अब जब केंद्र सरकार ‘जल जीवन मिशन’ को तेज करने का मन बना चुकी है, तो निश्चित रूप से घर लौटे इन हताश कामगारों के लिए यह रोजगार का बेहतरीन मौका साबित होगा। यही नहीं, ग्रामीणों के जल की समस्या को भी दूर करने में भी यह योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है।
भारत सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन को और तेज कर दिया है। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में इस प्रोजेक्ट को न सिर्फ कामगारों के लिए जीवन दायक मिशन के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूती देने में भी यह अहम भूमिका निभा सकता है।
दरअसल, महामारी के चलते लाखों की तादाद में प्रवासी कामगार अपने घरों को लौट गए हैं। रोजगार के अभाव और परिवार के पोषण की जिम्मेदारी इनके लिए चुनौती बनी हुई है। ऐसे में ग्रामीण विकास की ऐसी योजनाएं उनके जीवन को एक आधार देती दिख रही हैं।
अबतक ग्रामीण अंचलों में चल रहे मनरेगा और गरीबों की आवास योजनाओं ने लोगों को रोजी-रोटी के साथ इज्जत से जीना सिखाया है। अब जब केंद्र सरकार ‘जल जीवन मिशन’ को तेज करने का मन बना चुकी है, तो निश्चित रूप से घर लौटे इन हताश कामगारों के लिए यह रोजगार का बेहतरीन मौका साबित होगा। यही नहीं, ग्रामीणों के जल की समस्या को भी दूर करने में भी यह योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है।
विचार करें तो यह ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूती देने का बेहतरीन मौका है, जिसमें घर आए इन कामगारों की भूमिका अहम होगी। इस बात को केंद्र सरकार अच्छी तरह समझ रही है और यही मौका देखकर इस योजना को युद्ध स्तर पर चालू करने के प्रयास में है। बता दें कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन पर काम शुरू कर दिया है।
ताजा हालात के मद्देनजर यह मिशन कई राज्यों के लिए राहत देने वाला होगा। इससे राज्यों की पेय जल की समस्या का हल भी निकाला जा सकेगा, साथ ही घर वापस गए कामगारों को रोजगार भी दिया जा सकेगा।
यही नहीं, योजना में यह भी निर्णय लिया गया है कि पुरानी लंबित पड़ी ऐसी परियोजनाओं को भी इसके साथ शामिल किया जाए, जिनके लिए कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में पलायन कर लौटे कामगारों की यहां खासा मांग रहेगी। बताते चलें कि शहरों से अपने अपने घरों की तरफ पलायन करने वाले ग्रामीणों में 40 प्रतिशत से अधिक वह कामगार हैं जो शहर के कंस्ट्रक्शन एरिया में काम करते थे और रोजी रोटी कमाते थे।
15वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक, ग्रामीण स्थानीय निकायों को 60,750 करोड़ की ग्रांट मिलनी है, जिसका पचास प्रतिशत से ज्यादा भाग जलापूर्ति और स्वच्छता पर खर्च किया जाएगा। यह मिशन ग्राम पंचायतों, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) जैसी विभिन्न योजनाओं को मिले इस ग्रांट के उपयोग के तहत किया जाएगा। पूरी योजना लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ की है जिसमें केंद्र को दो लाख दस हजार और राज्यों को डेढ़ लाख करोड़ योगदान स्वरूप दिया जाएगा।
याद दिलाते चलें कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर घर जल योजना की घोषणा की थी। इसलिए भी यह योजना केंद्र के लिए बेहद अहम है। महामारी के दौर में यह योजना राज्यों की जल समस्या का भी निदान करेगी और ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षित कामगारों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएगी।
इस योजना की यदि मनरेगा से तुलना की जाए तो मनरेगा सिर्फ ग्रामीणों के लिए रोजगार का अवसर देता है, जबकि जल जीवन मिशन रोजगार के अलावा बाजार में मांग बढ़ाएगा तथा क्षेत्र का स्थायी ढांचा भी खड़ा करेगा।
यदि इस मिशन में योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाए तो जल्द ही लोगों को पर्याप्त मात्र में स्वच्छ पेय जल की सुविधा मिलेगी और देशभर में इस पूरे सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम किया जाएगा। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना की गंभीरता को इस बात से भी आंका जा सकता है कि इसके लिए अलग से आम बजट आवंटन किया गया है, जिससे मिशन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
जहां तक गुणवत्ता की बात है, तो गांव व पंचायत स्तर पर जल की जांच के लिए किट मुहैया की जाएगी। इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी योजना है। यह युवक गांव के ही होंगे और इनकी संख्या पांच होगी।
जानना रोचक होगा कि दरअसल हमारे देश में अप्रैल 2019 तक 19.04 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ घरों में ही नल से सप्लाई पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में यदि यह योजना सलीके बार ढंग से अपना काम करती जाती है, तो पेय जल की आपूर्ति से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो पाएंगे।
(फीचर तस्वीर साभार : Indiawaterportal.org)