एनएसजी में सफलता नहीं मिलने पर खुश कौन हैं ?

 आदर्श तिवारी

एनएसजी में भारत को सफलता नही मिलने की खबर जैसे ही आई भारत का एक तबका ख़ुशी से फुले नहीं समा रहा है। जाहिर है कि भारतCloShi-WEAAK_v3 के सबसे बड़े दुश्मन का किरदार पड़ोसी देश चीन ने निभाया है। चीन के साथ –साथ ब्राजील,टर्की, आस्ट्रिया समेत दस देशों ने भारत के खिलाफ मतदान किया। चीन अपनी पूरी शक्ति लगाकर न केवल खुद भारत का विरोध किया बल्कि जिन देशों पर उसका वर्चस्व है उसका लाभ लेते हुए उनको भी भारत के खिलाफ लामबंद करने में सफलता अर्जित की। स्वीटजरलैंड जो पहले भारत के पक्ष में था अचानक वो भी भारत के विरोध में खड़ा दिखा। भारत को लेकर इन देशों का रवैया अब वैश्विक स्तर पर सबने देख लिया है। खैर, भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सत्ता संभालने के बाद एक के बाद एक कई देशों का दौरा किया जिससे भारत की साख वैश्विक स्तर पर न केवल मजबूत हुई बल्कि अमेरिका जैसे देश हमारे साथ खुलकर कंधा से कंधा मिलाकर चलने की बात किया बात यहीं समाप्त नहीं होती अमेरिका ने और भी देशों से भारत से साथ आने की अपील भी की। गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएसजी के लिए भारत की दावेदारी को गति प्रदान किया। बस इतनी सी बात मोदी विरोधियों को हजम नही हो रही है। कितनी क्रूर बिडम्बना है कि भारत में रहने वाले चीन परस्त लोग इस खबर से खुश हैं। इसमें कोई दोराय नही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे सरकार संभाली है वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति पहले की अपेक्षा मजबूत हुई  है, हमें इस बात को स्वीकारना होगा कि अन्य प्रधानमंत्रियो ने जो काम अधुरा छोड़ा था वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी उस काम को बखूबी आगे बढ़ा रहें हैं। आज एनएसजी पर भारत को शामिल नही होने पर जो ख़ुशी मना रहें है उन्हें इस बात को भूलना नही चाहिए कि अभी भविष्य में एनएसजी में भारत को शामिल होने की प्रबल संभवना हैं। अगर हम भारत की एनएसजी में सदस्यता नहीं मिलने के ठोस कारण पर चर्चा करें अधिकांश देशों ने भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नही किया है इसका हवाला देते हुए भारत को एनएसजी में शामिल होने का विरोध किया। इनका विरोध में समझ में आता है कि इन देशों की अपनी–अपनी विरोध की वजह होंगी लेकिन हमारे देश में जो लोग ख़ुशी से इतरा कर यह बोल रहें कि मोदी की विफलता है उनका क्या ? ये लोग कब इस मुगालते से बाहर निकलेंगे कि एनएसजी में भारत को सदस्यता मिलनी थी संघ या बीजेपी को नही। जाहिर सी बात है हर सरकार राष्ट्र को प्रगति पर ले जाने तथा वैश्विक स्तर  पर देश साख मजबूत करने की हर संभव कोशिश करती है किंतु मोदी विरोध करने के लिए कुछ लोग ऐसे अंधे हो गएँ हैं कि सरकार की  नीतियों तथा योजनाओं में कमियां निकालने की बजाय व्यक्ति विशेष की निंदा करते हुए सभी मर्यादाओं को तार –तार कर रहे। हमसब ने देखा कि जैसे ही ये बात सामने आई कि भारत को एनएसजी में सदस्यता को लेकर दस देशों ने विरोध किया है। ठीक उसी समय राष्ट्रीय एका को ताक पर रखते हुए ये कथित बुद्धिजीवियों व क्षुद्र मानसिकता वाले नेताओं ने प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया। ये लोग भूल गये हैं कि अभी तक भारत को एनएसजी में शामिल करने को लेकर इस प्रकार बृहद रूप से कभी चर्चा नही हुई थी, मोदी के नेतृत्व में ही 38 देश भारत के साथ खड़े हैं। परन्तु मोदी विरोध के लिए इतने आतुर हो गए हैं कि इन्हें ये नजर नहीं आ रहा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)