यह वास्तव में देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है कि जिस तरह देश के वैज्ञानिकों ने एक वर्ष से भी कम समय में दो स्वदेशी वैक्सीन बनाकर कोरोना से लड़ाई में देश को मजबूती प्रदान की, उसी तरह देश के डाक्टरों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ ने नौ माह के भीतर ही सौ करोड़ डोज लगाकर भारत के टीकाकरण अभियान को विश्व का सबसे तेज टीकाकरण अभियान बना दिया।
देश में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर चल रहे टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत 21 अक्टूबर को कुल सौ करोड़ डोज लगाए जाने का लक्ष्य हासिल किया गया जिसके लिए सामान्य जनमानस के साथ साथ अनेकों राष्ट्रों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने भारत की प्रशंसा एवं नेतृत्व की सराहना की।
प्रधानमन्त्री मोदी ने इस मौके पर डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुँचकर देश के वैज्ञानिकों एवं टीकाकरण अभियान में लगे डाक्टरों, नर्सों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को बधाई दी तथा इस उपलब्धि को देश की जनता की जीत कहा। इस अवसर पर देश की सौ स्मारकों को तिरंगे की रोशनी में सजाकर उत्सव का रूप भी दिया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित देश-विदेश से बधाइयों का क्रम दिन भर जारी रहा।
यह हकीकत में देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है कि जिस तरह देश के वैज्ञानिकों ने एक वर्ष से भी कम समय में दो स्वदेशी वैक्सीन बनाकर कोरोना से लड़ाई में देश को मजबूती प्रदान की, उसी तरह देश के डाक्टरों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ ने नौ माह के भीतर ही सौ करोड़ डोज लगाकर भारत के टीकाकरण अभियान को विश्व का सबसे तेज टीकाकरण अभियान बना दिया।
अमेरिका जैसे विकसित देश में भी अब तक 65 प्रतिशत जनसंख्या को ही वैक्सीन की दोनों डोज दी जा सकी हैं जिसकी जनसंख्या मात्र ३३ करोड़ है। विश्व में अब तक लगी वैक्सीन की 700 करोड़ डोज में से भारत में लगभग 15 प्रतिशत डोज लगी हैं। देश की 18 वर्ष से अधिक उम्र की 94 करोड़ आबादी में 70 प्रतिशत को सिंगल डोज एवं 30 प्रतिशत को दोनों डोज दी जा चुकी हैं। ब्रिटेन एवं यूरोप के देश जिनकी जनसंख्या सात आठ करोड़ है, वहाँ भी 75 प्रतिशत लोगों को ही दोनों डोज लगी हैं, जिसका मतलब है 15 करोड़ डोज।
मगर विपक्ष इस उपलब्धि में भी मीनमेख निकालने में लगा है। देश में विपक्षी दलों का हाल यह है कि वो देश के गौरव के क्षणों में भी गौरवान्वित नहीं होते और न देश की किसी उपलब्धि पर इनके मुँह से एक शब्द निकलता है। मोदी सरकार के प्रति इनकी नफरत एवं विरोध का आलम यह है कि किसी बड़ी उपलब्धि के समय भी यह विरोधी नेता प्रशंसा के स्थान पर झूठे दुष्प्रचार एवं मनगढ़ंत दलीलों के द्वारा सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करने में लग जाते हैं। ऐसा ही कांग्रेस एवं विपक्ष के नेताओं ने 100 करोड़ की उपलब्धि पर झूठे एवं मनगढ़ंत आरोप लगाकर किया।
इन नेताओं ने अमेरिका एवं यूरोपीय देशों के उदाहरण देकर यह दुष्प्रचार फैलाया कि भारत दोनों डोज लगाकर पूर्ण टीकाकरण के मामले में विश्व में 19 वें नंबर पर है तब सरकार किस उपलब्धि का जश्न मना रही है? इन नेताओं को यह भी समझ नहीं आता कि यदि भारत की आबादी अमेरिका के बराबर होती तो अब तक भारत सभी को तीन डोज लगा चुका होता जबकि अमेरिका तो अभी तक दो तिहाई जनसंख्या का ही पूर्ण टीकाकरण कर सका है।
यदि भारत की आबादी ब्रिटेन, इटली, फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों के बराबर होती तो भारत ने सौ करोड़ डोज लगाने का जो कीर्तिमान स्थापित किया है उससे यूरोप के 6-7 देशों का पूर्ण टीकाकरण हो सकता था। ब्राजील जैसा देश जो कोरोना संक्रमण से प्रभावित देशों में मृत्यु के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है, वह टीकाकरण के मामले में बहुत पीछे है जिसका प्रमुख कारण उसके पास अपनी वैक्सीन का न होना है।
भारत, अमेरिका ने वैक्सीन उपलब्ध कराने में ब्राजील की मदद की परन्तु हर राष्ट्र की अपनी भी चुनौतियाँ एवं सीमाएं हैं। कल्पना कीजिए कि यदि हमारे वैज्ञानिकों एवं डाक्टरों के अथक प्रयासों एवं मोदी जी के नेतृत्व एवं रचनात्मक सहयोग के अभाव में देश को दो-दो स्वदेशी वैक्सीन न मिल पातीं तो केवल वयस्क आबादी के लिए १९० करोड़ डोज कौन उपलब्ध कराता?
भारत की दोनों वैक्सीन प्रभावी होने के साथ साथ विदेशी वैक्सीन की तुलना में काफी सस्ती हैं और उनका रख-रखाव एवं कोल्ड चेन की शर्तें भी देश की स्थिति के अनुकूल हैं। अमेरिका एवं ब्रिटेन की वैक्सीन की कोल्ड चेन का प्रबंध भी भारत के दूर दराज के इलाकों में सम्भव न होता क्योंकि उन्हें बहुत कम तापमान पर रखना पड़ता।
कहने का अर्थ मात्र इतना है कि विपक्ष को आलोचना से पहले हकीकत पर भी गौर करना चाहिए और मोदी विरोध में देश विरोध की मानसिकता से बचना चाहिए। ऐसा विपक्ष पहली बार नहीं कर रहा है। जब देश में वैक्सीन आयी तो इन्हीं विपक्ष के नेताओं ने वैक्सीन की सुरक्षा एवं उपादेयता पर भी तरह-तरह के कुतर्क दिए जिसने वैक्सीन के प्रति जनता में संकोच एवं लगवाने से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। वैक्सीन से जान को खतरा या नामर्दी जैसे हास्यास्पद एवं झूठे तर्क भी विपक्ष ने ही फैलाए जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि पहली दस करोड़ डोज लगाने में ८५ दिन का समय लगा।
जनवरी से प्रारम्भ टीकाकरण अभियान को गति जुलाई से ही मिल सकी जब सरकार के प्रयासों से काफी हद तक जनता को जागरूक करने में मदद मिली एवं दूसरी लहर के प्रकोप ने भी जनता को टीकाकरण से बचाव के लिए प्रेरित किया। आज देश में 12-13 दिनों में दस करोड़ टीके लग रहे हैं। यदि यही गति बनी रहे, तो उम्मीद की जा सकती है कि 31 दिसम्बर तक हम सबके टीकाकरण के लक्ष्य के काफी करीब पहुंच सकते हैं।
एक और तथ्य पर गौर करना होगा कि जब वैक्सीन केंद्र सरकार उपलब्ध करा रही थी तो दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे अनेक विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ने यह मांग की कि राज्यों को भी सीधे वैक्सीन खरीद का अधिकार दिया जाय। उन्हें यह अधिकारी दिया गया लेकिन जब महीने भर की माथापच्ची एवं मशक्कत के बाद भी कोई कंपनी राज्यों को सीधे एवं तत्काल वैक्सीन देने पर राजी नहीं हुई तो इन्हीं विपक्षी नेताओं ने थूककर चाटते हुए पुनः केंद्र सरकार से पूर्व की व्यवस्था बहाल करने की गुज़ारिश की। यदि विपक्ष का रवैया इतना नकारात्मक न रहा होता तो हम सौ करोड़ के कीर्तिमान को महीने दो महीने पहले ही हासिल कर लेते।
कुल मिलाकर सच्चाई यही है कि भारत का टीकाकरण अभियान विश्व में तीव्रतम गति से चला है और अब भी चल रहा है। चीन के दावे को छोड़कर विश्व में कोई राष्ट्र सौ करोड़ डोज के आंकड़े के आस पास भी अभी नहीं है। केवल अमेरिका ने ही अपनी आबादी ३३ करोड़ के ६५ प्रतिशत भाग का टीकाकरण किया है जो सौ करोड़ डोज से बहुत कम है।
यह सत्य है कि दूसरी लहर इतनी प्रचण्ड थी कि लाखों लोग आक्सीजन एवं बेड की कमी एवं अव्यवस्था के कारण असमय काल कवलित हो गए परन्तु उस समय भी सरकार के अथक प्रयासों से महीने भर के भीतर ही स्थितियों पर काबू पा लिया गया।
डाक्टर एवं विशेषज्ञ तक मानते हैं कि दूसरी लहर में संक्रमण इतना तेज एवं गहन था तथा प्रतिदिन आने वाले केसों की संख्या इतनी अधिक थी कि किसी भी विकसित से विकसित स्वास्थ्य ढाँचे वाले देश के लिए इसका सामना करना सम्भव नहीं था।
वैज्ञानिकों एवं डाक्टरों का अंदाजा था कि दूसरी लहर पहली से तेज होगी और इसकी पीक पहली की तुलना में दो से ढाई गुना तक जा सकती है परन्तु यह चार गुना से भी ज्यादा रही और समयावधि भी लम्बी थी। एक अनजान महामारी के लिए तैयारी विशेषज्ञों के अनुमान के आधार पर ही की जाती है और उससे कुछ अधिक ही तैयारी की गई थी परन्तु विशेषज्ञ भी दूसरी लहर की तीव्रता एवं गहनता का अनुमान लगाने में विफल रहे।
जहाँ तक विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘इवेंट मैनेजर’ कहने की बात है तो यह उनके प्रति नकारात्मक धारणा की उपज है। जाकी रही भावना जैसी वाली बात विपक्षी नेताओं के नजरिए में दिखती है। मोदी जी हर काम दिल से एवं पूर्ण समर्पण की भावना से करते हैं। ओलम्पिक खेलने जाने वाले खिलाड़ियों का यात्रा से पूर्व उत्साहवर्धन से लेकर जीत हार पर फोन से बातकर के बधाई एवं हौसलाफजाई तथा वापसी पर सम्मान एवं सभी से मुलाकात करना, इससे पहले तो किसी प्रधानमन्त्री के समय नहीं देखा गया।
इसी तरह मंगलयान के प्रक्षेपण, सर्जिकल स्ट्राइक एवं एयर स्ट्राइक के समय व्यक्तिगत तौर पर शरीक होकर पल-पल की गतिविधियों पर नजर बनाए रखना या हर दीपावली सैनिकों के साथ मनाना इवेंट मैनेजमेंट नहीं वरन प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत समर्पण एवं सहयोग का सूचक है।
आज वैक्सीनेशन की सौ करोड़ डोज पार करने पर बधाई एवं खुशी इस बात की है कि दूसरी लहर जैसी त्रासदी की अब पुनरावृत्ति न हो सके और तीसरी लहर को कमज़ोर किया जा सके। सौ करोड़ डोज इस संकल्प को शक्ति प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)