हम हवाई जहाज़ पर सफ़र करते हैं ताकि अपने गंतव्य स्थल पर कुछ घंटों में पहुँच जाएँ लेकिन हम ऐसा तो नहीं करेंगे कि जहाज़ का ही विरोध करने लगे कि इससे दुर्घटना हो सकती है इसलिए हम बैलगाड़ी पर चलेंगे। ऐसी ही सोच रखने वाले लोग हैं जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
भारत की विपक्षी पार्टियां भी गज़ब हैं, इन्हें जब-जब भी हार का डर सताता है, ये ईवीएम को चुनावी मैदान में घसीट लाती हैं। यहीं ईवीएम हैं, जिससे इनकी भी सरकारें बनी हैं, लेकिन इन्हें बखेड़ा खड़ा करने की आदत हो गई है। विपक्षी पार्टियों को लगता है कि चुनाव आयोग भी सत्ताधारी पार्टी के साथ मिलकर कोई बड़ा खेल कर सकता है। पिछले दिनों से आप एक बयान लगातार सुन रहे होंगे कि अगर मोदी यह चुनाव जीत गए तो आगे चुनाव ही नहीं होगा। आगे लोकतंत्र ख़त्म हो जाएगा, आदि आदि।
आपने सोचा कि कौन हैं ऐसे लोग जो उक्त प्रकार की बेमतलब बातों से देश में लोगों को डरा रहे हैं। लोकतंत्र ख़त्म होने का खतरा दिखा रहे हैं? ऐसे लोग क्या वाकई लोकतंत्र में सहायक हो सकते हैं? हम हवाई जहाज़ पर सफ़र करते हैं ताकि अपने गंतव्य स्थल पर कुछ घंटों में पहुँच जाएँ लेकिन हम ऐसा तो नहीं करेंगे कि जहाज़ का ही विरोध करने लगे कि इससे दुर्घटना हो सकती है इसलिए हम बैलगाड़ी पर चलेंगे। यही लोग हैं जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
ऐसे लोगों को इस आधार पर फिर से पहचानने की ज़रुरत है जो चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम हैक करने की चुनौती देने पर सामने ही नहीं आए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अब हर विधान सभा में कम से पांच मतदान केन्द्रों पर ईवीएम और वीवीपैट के मतों का मिलान किया जाना है।
विपक्षी दलों के लोग अब इस बात पर अड़े हुए हैं कि देश में कम से कम पचास फीसद मतदान केन्द्रों पर इस तरह के प्रयोग हों, इस सुझाव पर अमल करने में फिलहाल चुनाव आयोग ने यह कहते हुए असमर्थता जताई है कि उसके पास इतने लोग नहीं हैं कि इतना बड़ा प्रयोग किया जाए।
पिछले दिनों आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आशंका जताई कि आन्ध्र प्रदेश में ईवीएम में हेरा-फेरी की ज़बर्दस्त आशंका है। इसलिए नायडू ने केजरीवाल और कांग्रेस के साथ मिलकर एक साझा प्रेस कांफ्रेंस कर मांग रखी कि कम से कम 50 फीसद मतदान का वीवीपैट मशीन द्वारा मिलान हो।
आंध्रप्रदेश में नायडू की अब खूब आलोचना हो रही है कि जो नेता कभी आईटी क्रांति का खुद को अगुवा कहा करता था, आज वही टेक्नोलॉजी पर सवाल उठा कर भागने की कोशिश कर रहा है। अगर इनके ही तर्क को सही माना जाए तो यह बहस यही नहीं रुकेगी। आगे हार होने पर ये वीवीपैट की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा सकते हैं।
भारत में ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड करता है, भारतीय सेना के कई सैन्य और नागरिक यंत्रों को बनाने के जिम्मा इसी सार्वजनिक संस्था के हाथों है। वहीं वीवीपैट मशीन बनाने की जिम्मेदारी ECIL, डिपार्टमेंट ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी के हाथों हैं, आप ऐसी संस्थाओं के ऊपर सवाल उठा रहे हैं? यही पार्टियां अब यह भी सवाल उठा रही हैं कि उनके इलाके में लाखों मतदाताओं के नाम ही वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इस तरह के आरोप प्रत्यारोप यहीं रुकने वाले नहीं हैं।
विपक्ष की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है लोकतान्त्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में, लेकिन वो विपक्ष ऐसा नहीं होता। अगर यह विपक्षी दल लगातार इन संस्थाओं के जड़ पर कुठाराघात करते रहेंगे तो इससे किसी का भला नहीं होगा बल्कि देश के लोकतंत्र की साख ही दुनिया में कमजोर होगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)