भाजपानीत केंद्र सरकार द्वारा कालाधन पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच सौ एवं एक हजार के नोट बंद किए जाने और नए नोट जारी किए जाने के बाद से ही कालाधन का मुद्दा एकबार फिर विमर्श और चर्चा के केंद्र में आ गया है। सरकार की तरफ से एवं आम चर्चा में भी यह बात सामने आती रही है कि कालाधन का नेटवर्क महज देश के अंदर ही नहीं, बल्कि सीमापार तक फैला हुआ है। हाल में ही एक टीवी समाचार चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में पाकिस्तानी सिनेमा कलाकारों को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। स्टिंग के मुताबिक़ पाकिस्तान के तमाम सिनेमा कलाकार जो भारत में काम करते हैं, अपने भुगतान का एक ठीक-ठाक हिस्सा कैश में लेने की मांग करते हैं।
पाक कलाकारों पर हुए स्टिंग के बाद एक बहस फिर चली है कि क्या वाकई सीमापार के लोग भारत में काम करके धन कमाते हैं, लेकिन भारत सरकार को कर नहीं देते बल्कि वो पैसा बाहरी देशों के खातों में जमा करवा देते हैं। चूँकि, यह महज चंद सिनेमा कलाकारों तक का मामला नहीं है, बल्कि यह टैक्स चोरी के साथ-साथ भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी करने का भी मामला है। सम्मानजनक ढंग से भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकार यदि भारत सरकार के साथ इस स्तर पर छलावा एवं धोखाधड़ी करते नजर आ रहे हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीमापार से भारत के खिलाफ काम कर रहीं ताकतें किस स्तर पर देश को नुकसान पहुंचा रही होंगी।
हाल ही में उड़ी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबन्ध को लेकर भी खूब गरमा-गरम बहस हो चुकी है। स्टिंग के अनुसार पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान, मवारा होकेन और इमरान अब्बास जैसे कलाकार अपनी फीस का ठीक-ठाक हिस्सा कैश में लेने की मांग करते हैं। स्टिंग के अनुसार पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए पचास लाख की फीस का पचीस फीसद रकम अपने यूएई के खाते में जमा कराने की शर्त अपने मैनेजर के माध्यम से रख रहे हैं। यानी अगर इस स्टिंग को सही माने तो यह फवाद खान का टैक्स चोरी वाया यूएइ कनेक्शन नजर आता है। बॉलीवुड में कई फिल्मे कर चुकीं मावरा होकेन के मैनेजर ने उनकी कुल फीस का बड़ा हिस्सा उनके आस्ट्रेलिया वाले खाते में जमा करने की मांग रखी। कुछ इसी तरह टैक्स और रकम छिपाने के हथकंडे इमरान अब्बास भी आजमाते नजर आ रहे हैं।
इस स्टिंग के बाद एक बहस फिर चली है कि क्या वाकई सीमापार के लोग भारत में काम करके धन कमाते हैं, लेकिन भारत सरकार को कर नहीं देते बल्कि वो पैसा बाहरी देशों के खातों में जमा करवा देते हैं। चूँकि, यह महज चंद सिनेमा कलाकारों तक का मामला नहीं है, बल्कि यह टैक्स चोरी के साथ-साथ भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी करने का भी मामला है। सम्मानजनक ढंग से भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकार यदि भारत सरकार के साथ इस स्तर पर छलावा एवं धोखाधड़ी करते नजर आ रहे हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीमापार से भारत के खिलाफ काम कर रहीं ताकतें किस स्तर पर देश को नुकसान पहुंचा रही होंगी। उनका अवैध कारोबार इस देश में किस स्तर पर चल रहा होगा। ये तमाम सवाल हमें न सिर्फ चौंकाते हैं, बल्कि भारत विरोधी ताकतों के खतरों से आगाह भी करते हैं। यह बात लम्बे समय से उठती रही है कि भारत में कालेधन के इस कारोबार में तस्करी, अवैध हथियारों का कारोबार, ड्रग्स का कारोबार सहित तमाम आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इनमे से अधिकतर ऐसी गतिविधियाँ हैं, जहाँ भारत के बाहर से भारत विरोधी ताकतों का पैसा अलग-अलग माध्यमों से लगा हुआ है। लिहाजा इन पर पाबंदी लगना निहायत ही आवश्यक है। टैक्स चोरी के अलावा भी इसके बड़े खतरे हैं। हमें इस बात का अंदाजा नहीं है कि सार्वजनिक स्तर पर कानूनी ढंग से काम करने वाले पाकिस्तानी कलाकार जब इतनी सहजता से देश की सरकार को धोखा दे सकते हैं तो देश की सुरक्षा के खिलाफ काम कर रहे आतंकी संगठन किस स्तर पर सक्रिय होंगे।
लेकिन, कालेधन की समस्या से मुक्ति और नगदी में चल रहे काले व्यापार पर लगाम की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जो ठोस कदम उठाया है, वो आजादी के बाद इस समस्या के सन्दर्भ में उठाया गया न केवल एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि साहसिक भी है। इससे देश के अन्दर चल रहा नकदी का अवैध कारोबार एक झटके में कागज के रद्दी टुकड़ों की तरह बेमतलब हो गया है। नक्सलियों के नेटवर्क को तगड़ा झटका लगा है। अलगाववादी ताकतें पस्त हो गयी हैं। राजनीति में धनबल वाले लोग निर्धन-निर्बल हो चुके हैं। रही बात कतारों की तो यह देश सत्तर वर्षों से कतार में ही था। गरीबी, असमानता, अर्थव्यवस्था से दूर एक कतार थी, जो आम लोगों की थी। आज उस कतार में आम और ख़ास हर कोई खड़ा है। इस कतार में वही चलेगा जो इमानदारी से धन कमाएगा। इस कतार में आने से वह लोग डर रहे हैं जो बेईमानी से पैसा कमाए हैं। यह इमानदारी के लिए इमानदारों की कतार है।
चैनल द्वारा दिखाए स्टिंग ओपरेशन को महज चंद कलाकारों तक सीमिति करके देखने की बजाय इसके बड़े खतरे को भी देखना होगा। आज अगर सरकार बेहद सख्त है तो वह इन्हीं बड़े खतरों से देश को बचाने के लिए सख्त है। सरकार कोई ऐसा रास्ता नहीं छोड़ना चाहती जहाँ से कैश का काला व्यापार करने वाले लोग बच निकलें। इस मुहीम में देश की इमानदार जनता एक कतार में सरकार के साथ है और यह वह कतार है, जहाँ आने की हिम्मत कोई बेईमान कर ही नहीं सकता है।
(लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च फेलो और नेशनलिस्ट ऑनलाइन के संपादक हैं।)