सब तरफ से घिरता जा रहा आतंक का सरगना पाकिस्तान

जिस दिन सीआरपीएफ  जवानों पर फ़िदायीन हमला हुआ, उसी रोज ईरान की सेना पर भी बड़ा आतंकी हमला हुआ जिसमें कम से कम 27 सैनिकों की मौत हो गई। ईरानी सेना पर हुए हमले की जिम्मेदारी जैश-उल-अदल ने ली जिसको पाकिस्तान ने पनाह दिया हुआ है। ईरान ने इस हमले के लिए सीधे-सीधे पकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और बदला लेने की बात कही है। ईरान के रेवोलुशनरी गार्ड के कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने पाकिस्तान से हमलावरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा है।

पाकिस्तान आज के समय में आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगाह बन गया है। भारत से अलग होकर पाकिस्तान चाहता तो दक्षिण एशिया में अपनी एक अलग पहचान बना सकता था लेकिन भारत से मुकाबले की सनक ने उसे एक आतंकवादी देश बना दिया।

पुलवामा के कायराना हमले में शहीद हुए चालीस से अधिक भारतीय सुरक्षा बलों की चिता की राख अभी ठंडी नहीं हुई है। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को “खुली छूट” दे दी है, जिसका मतलब है कि भारतीय सेना को अब अपने तरीके से ऑपरेशंस करने की आजादी है।

देखा जाए तो आज चीन के अलावा न पाकिस्तान से कोई संपर्क रखना चाहता है, न कोई वहां निवेश करना चाहता है और न ही कोई इस देश से रिश्ते रखना चाहता है। अचरज नहीं कि दुनिया में कहीं भी कोई आतंकी घटना हो, उसके तार पाकिस्तान में मिल जाते हैं।

जिस दिन सीआरपीएफ  जवानों पर फ़िदायीन हमला हुआ, उसी रोज ईरान की सेना पर भी बड़ा आतंकी हमला हुआ जिसमें कम से कम 27 सैनिकों की मौत हो गई। ईरानी सेना पर हुए हमले की जिम्मेदारी जैश-उल-अदल ने ली जिसको पाकिस्तान ने पनाह दिया हुआ है। 

ईरान ने इस हमले के लिए सीधे-सीधे पकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और बदला लेने की बात कही है। ईरान के रेवोलुशनरी गार्ड के कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी ने पाकिस्तान से हमलावरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ईरान ने कहा है कि वह खुद बदला लेने में सक्षम है। यहीं नहीं अफ़ग़ानिस्तान में हुए दर्जन भर हमलों पर पाकिस्तान सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में अशांति का माहौल बन गया है।

पाकिस्तान ने सऊदी अरब से मध्यस्थता की अपील की है, लेकिन पाकिस्तान की फितरत में सुधरना तो लिखा ही नहीं है। सऊदी अरब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एक दो दिनों के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले हैं, जिसमें पाकिस्तान के आतंकी हमलों में शामिल होने की बात उठाई जाएगी। इस बीच भारत ने कम से कम से कम 40 अलग-अलग देशों के राजदूतों से बात करके उनको भारत की स्थिति से आगाह कराया है। जाहिर है कि पाकिस्तान भारत, ईरान और अफगानिस्तान तीनों तरफ से घिरता जा रहा है। 

इमरान खान की सरकार भले ही भारत के साथ शांति स्थापित करने की ढोंग रचती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इमरान खान सेना और आईएसआई के हाथों का खिलौना भर है। पाकिस्तान में आईएसआई और सेना की संरक्षण में लश्कर और जैश जैसे संगठन खूब फल-फूल रहे हैं। जैश ने 14 फरबरी को कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी लेने में तनिक भी देर नहीं लगाई। पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि भारत न तो इस घटना को कभी भूलेगा और न ही उसके यहाँ पनाह पाए आतंकी आकाओं को चैन से जीने देगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)