एफएटीएफ की हालिया बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची में न केवल बरक़रार रखा गया है, बल्कि जून तक की मोहलत देते हुए कहा गया है कि वो आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के संबंध में एफएटीएफ द्वारा दिए गए 27 सूत्रीय एजेंडे को लागू करे। अगर ये करने में पाकिस्तान नाकाम रहता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट में भी डाला जा सकता है।
सरहद पर भारतीय जवानों द्वारा जहां पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है, वहीं वैश्विक मंचों पर भारतीय कूटनीति ने उसकी हालत खराब कर रखी है। गौरतलब है कि जून, 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए ग्रे सूची में डाला गया था। इसके बाद से अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी।
अब इस महीने होने वाली एफएटीएफ की बैठक से पाकिस्तान को बहुत उम्मीद थी। उसे लग रहा था कि अबकी उसे ग्रे सूची से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन भारतीय कूटनीति ने उसकी उम्मीदों पर तुषारापात कर दिया है। एफएटीएफ की हालिया बैठक में पाकिस्तान को ग्रे सूची में न केवल बरक़रार रखा गया है, बल्कि जून तक की मोहलत देते हुए कहा गया है कि वो आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के संबंध में एफएटीएफ द्वारा दिए गए 27 सूत्रीय एजेंडे को लागू करे। अगर ये करने में पाकिस्तान नाकाम रहता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट में भी डाला जा सकता है।
बताते चलें कि एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी-7 देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है।
इसबार की एफएटीएफ बैठक की ख़ास बात यह रही कि बीती बैठकों में पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने के लिए दबाव बनाने वाला चीन भी अबकी उसके खिलाफ नजर आया। चीन ने भी भारत, अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ मिलकर पाकिस्तान को यह सख्त चेतावनी दी है कि उसे आतंकी वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग के मामले में सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही आतंकी संगठन के सभी नेताओं को सजा और अभियोजन के दायरे में लाना होगा।
चीन का ये पाला बदलना यूँ ही नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे विश्व बिरादरी में भारत की बढ़ती धाक और सधी हुई कूटनीति कारण है। विश्व के अधिकांश देश पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को प्रश्रय दिए जाने के मसले पर भारत के साथ हैं, ऐसे में चीन पर भी भारी दबाव था। पाकिस्तान के समर्थन से उसकी छवि आतंक समर्थक की बन रही थी जबकि उसके प्रयासों से पाकिस्तान को ग्रे सूची से निकालने के सम्बन्ध में कोई लाभ भी नहीं हुआ था। ऐसे में चीन पाला बदलते हुए भारत के पक्ष में आ खड़ा हुआ है और इस तरह इस वैश्विक मंच पर भी पाकिस्तान अलग-थलग जा पड़ा है।
इससे पूर्व मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाने के मामले में भी शुरुआत में चीन का रुख अवरोध पैदा करने वाला था, लेकिन वैश्विक दबाव के आगे आखिर उसे झुकना पड़ा था। फिर एकबार वही हुआ है। ये विश्व में भारत के बढ़ते प्रभाव को ही दिखाता है।
अब पाकिस्तान को आतंकवाद को पाल-पोसकर भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करने की नीति पर रोक लगाने की दिशा में ईमानदार कार्रवाई करे अन्यथा उसका ब्लैकलिस्ट में जाना तय है, जिसके परिणामस्वरूप उसे अनेक आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)