भारत में जो गिरोह पाकिस्तान से प्रेम और सौहार्दपूण संबंधों की वकालत करते हैं, उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान के शिखर पर आसीन रहनुमाओं की भारत और हिन्दुओं के प्रति किस तरह की मानसिकता है। इस बयान से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए न्याय की कितनी गुंजाइश है। स्वाधीनता दिवस पर खबरें आ रही थीं कि भारत का एक म्युजिक बैंड पाकिस्तान का कौमी तराना गा रहा है। क्या कभी आपने सुना है कि किसी पाकिस्तानी बैंड या गायक ने भारत का राष्ट्र गान गाया हो ?
पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार का नाम आपने कभी नहीं सुना होगा। लेकिन वे पिछले दिनों अपने एक बयान के कारण खबरों में आ गए। उन्होंने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में हिन्दू शब्द बोलने तक से इंकार कर दिया था। आप यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने हिन्दू शब्द का प्रयोग तक नहीं किया अपने एक भाषण के दौरान। ‘पाकिस्तान की स्थापना’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में वे कह रहे थे कि पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर टू नेशन थ्योरी के चलते आया। “दो राष्ट्र थे, एक मुस्लिम और दूसरा… मैं उस का नाम भी नहीं लेना चाहता।” आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान में अब भी भारत या हिन्दू धर्म को लेकर कितना जहर घुला हुआ है।
चीफ जस्टिस ने खुद भी साबित कर दिया कि वे हिन्दुओं से कितनी घृणा करते हैं। अगर पाकिस्तान के किसी राजनीतिक नेता ने इस तरह का आपत्तिजनक बयान दिया होता तो उसे खारिज किया जा सकता था। उसे नजरअंदाज किया जा सकता था। लेकिन ये तो चीफ जस्टिस बोल रहे हैं। उनके बयान से साफ है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं को किस हिकारत भरी नजरों से देखा जाता होगा। पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति जानवरों से भी बदतर है।
भारत में जो पाकिस्तान से प्रेम और सौहार्दपूण संबंधों की वकालत करते हैं, उन्हें अब समझ लेना चाहिए कि पाकिस्तान के शिखर पर आसीन रहनुमाओं की भारत और हिन्दुओं के प्रति किस तरह की मानसिकता है। स्वाधीनता दिवस पर खबरें आ रही थीं कि भारत का एक म्युजिक बैंड पाकिस्तान का कौमी तराना गा रहा है। क्या कभी आपने सुना है कि किसी पाकिस्तानी बैंड या गायक ने भारत का राष्ट्र गान गाया हो ?
हिन्दू मंत्री की दुर्गति
पाकिस्तान ने अपने पहले हिन्दू मंत्री जोगिन्द्र नाथ मंडल की जो दुर्गति की थी, उससे समझ आ गया था कि वहां पर हिन्दुओं को कष्ट होगा। मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी पहली कैबिनेट में जोगिन्द्र पाल मंडल को देश का विधि मंत्री बनाया था। मंडल का संबंध ईस्ट बंगाल (अब पाकिस्तान) से था। वे वहां पर मुस्लिम लीग के नेता थे।
मंडल अपने को बाबा साहब अंबेडकर के विचारों से बहुत प्रभावित बताते थे। वे दलित थे। उन्होंने पाकिस्तान में रहना इसलिए स्वीकार किया क्योंकि जिन्ना ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि पाकिस्तान में दलितों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। पर मंडल की जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान में अनदेखी होने लगी। नतीजा ये हुआ कि वे पाकिस्तान को छोड़कर भारत आ गए।
ये 1951 के आसपास की बातें हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ नाइंसाफी होती है। इसलिए उनका पाकिस्तान में रहना मुमकिन नहीं होगा। मंडल उसके बाद कलकत्ता आ गए। वे कलकता में बहुत सक्रिय नहीं रहे। उनका 1968 में निधन हो गया था। मंडल ने जो कहा था, वह सही निकला। पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ कभी न्याय नहीं हुआ। इसी का नतीजा था कि जिन्ना का करीबी हिन्दू मंत्री पाकिस्तान में नहीं रह सका।
हिन्दुओं और सिखों पर जुल्म
पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों की आबादी एक करोड़ के आसपास थी 1947 में। इसमें पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) शामिल नहीं था। अब वहां पर मात्र 12 लाख हिन्दू और 10 हजार सिख रह गए हैं। हिन्दुओं और सिखों की इतनी बड़ी संख्या जो लगभग 88 लाख के करीब बनती है, आख़िरकार गई कहां ? क्या हुआ इनका ? पाकिस्तान में हिन्दू और सिख समुदाय के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। वे हमेशा डर और आतंक के साये में जीते हैं।
पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रान्त में हिन्दू लड़कियों के साथ जबरन शादी के मामले बार-बार सामने आते रहे हैं। पाकिस्तान के हिन्दू समुदाय ने एक सेमिनार कराची में कुछ समय पहले आयोजित किया था। विषय था -”पाकिस्तान में हिन्दू मुद्दे और समाधान।” इसमें शामिल वक्ताओं ने पाकिस्तान में हिंदुओं की बहन बेटियों का हो रहा जबरन धर्म परिवर्तन मीडिया के माध्यम से सारी दुनिया के सामने उजागर किया था।
हिन्दुओं और सिखों के अलावा पाकिस्तान में इसाई समुदाय भी भारी जुल्म का शिकार है। मार्च 2015 में लाहौर के चर्चों में दो बम धमाके हुए थे, जिनमें 14 लोग मारे गए थे। 2013 में पेशावर के चर्च में हुए धमाकों में 80 लोग मारे गए थे। 2009 में पंजाब में एक उग्र भीड़ ने 40 घरों को आग लगा दी थी। इसमें आठ ईसाई मारे गए थे। 2005 में क़ुरान जलाने की अफ़वाह के बाद पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद से ईसाइयों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा था। हिंसक भीड़ ने चर्चों और ईसाई स्कूलों को आग लगा दी थी।
1990 के बाद से कई ईसाइयों को क़ुरान का अपमान करने और पैगंबर की निंदा करने के आरोपों में दोषी ठहराया जा चुका है।यानी कि हिन्दुओं के साथ-साथ अब इसाई भी निशाने पर हैं। इस तरह, पाकिस्तान में मानवाधिकारवादियों और शिया मुसलमानों से लेकर बाकी धार्मिक समूहों के लिए जीना मुहाल हो चुका है। पाकिस्तान में ताजा हालात की तरफ भारत को विशव बिरादरी का ध्यान आकृष्ट करना ही होगा।
पाकिस्तान में अमन के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पाकिस्तान में जन्मे और अब कनाडा के नागरिक ने कहा था, “पाकिस्तान और दक्षिण एशिया में शांति का माहौल स्थापित करने का एकमात्र उपाय है कि वर्तमान पाकिस्तान के सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान तीन स्वतंत्र राष्ट्रों में बाँट दिया जाये और उर्दू की जगह सिन्धी, पंजाबी और बलूची को इन स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रभाषा घोषित कर दी जाय। तभी इस क्षेत्र में शांति स्थापित हो पायेगी और कश्मीर समस्या का भी स्थायी निदान हो जायेगा।”चीफ जस्टिस साकिब निसार ने हिन्दुओं को लेकर जिस तरह का घोर आपत्तिजनक रुख दिखाया है, वो दिखाता है कि न केवल पाकिस्तानी समाज बदलने या सुधरने के लिए तैयार नहीं है।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)