कई विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के दौरों के बाद जो बात निकलकर सामने आयी है, वो ये कि प्रदेश में सबकुछ दुरुस्त है, लेकिन भारत की विपक्षी राजनीतिक पार्टियां, अपने तुच्छ सियासी फायदे के लिए, तिल को ताड़ बनाने की कोशिश में लगी हैं। किसी ने सोचा नहीं होगा कि कश्मीर मामले का इतनी शांति से हल निकाला जाएगा, इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सूझ-बूझ के साथ काम करने वाले गृह मंत्री अमित शाह को जाता है।
कश्मीर से विस्थापित हुए पंडितों की घर वापसी को लेकर अब तक सेक्युलर ज़मात के लोग कमोबेश चुप ही रहे हैं, इस डर से कि कहीं मुस्लिम वोट बैंक उनसे नाराज़ न हो जाए। कश्मीरी पंडितों को घाटी से उजड़े हुए 30 साल का वक़्त हो गया, लिहाज़ा यह सवाल बहुत ही जायज़ है कि खुद के सेक्युलर होने का दावा करने वाली तमाम पार्टियां जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, अब तक इस मुद्दे पर चुप क्यों बैठी रहीं?
कश्मीरी पंडितों के दर्द पिछले दिनों सोशल मीडिया पर छलक कर आया जब लोगों ने “हम वापस आएँगे” नाम से एक मुहिम चलाई। सच्चाई यह है कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए घाटी में इससे पहले सही माहौल नहीं बनने दिया गया। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए कुछ ऐतिहासिक फैसलों के बाद अब ऐसा लग रहा है कि वहां शांति की फिजा लौट रही है। आलोचक लाख बोलें या लिखें, लेकिन लोग मानने के लिए मजबूर हुए हैं कि पिछले कुछ महीनों से वहां हिंसा की कोई भी घटना नहीं हुई है।
कश्मीर घाटी की सबसे बड़ी जरूरत है कि वहां अमन चैन कायम हो, विकास हो, नए उद्योग लगें, नए और अच्छे होटल्स और कॉलेज खुलें और पूरा प्रदेश देश की मुख्यधारा में शामिल हो। कश्मीर में एक ऐसा माहौल बने कि कश्मीरी पंडित अपने घरों को दोबारा बना सकें, अपने मंदिरों में दोबारा घंटियाँ बजा सकें। इसके लिए वहां के स्थानीय लोगों को भी बड़ा दिल दिखाना होगा, नहीं तो कश्मीर हिंदुस्तान का स्वर्ग नहीं बन सकेगा।
एक समय था जब पंजाब में इसी तरह की स्थिति बनाई गई थी, पाकिस्तान की शह पर हिन्दुओं और सिखों को एकदूसरे के खिलाफ लड़ाया जा रहा था लेकिन जब पंजाब में लोगों ने एक बार अपनी गलती मान, एकदूसरे को माफ़ कर दिया, स्थिति सामान्य होते देर नहीं लगी। सो कश्मीर को उदहारण के लिए कही दूर नहीं, पंजाब की तरफ देखना चाहिए और यह सीखना चाहिए कि कैसे अपने प्रदेश को दोबारा खुशहाल बनाया जा सकता है।
कश्मीर में दोबारा मोबाइल व इंटरनेट सेवाएँ बहाल की जा रही हैं, उम्मीद है कि इसका इस्तेमाल बेहतर कामों में ही किया जाएगा, क्योंकि इन्टरनेट जहाँ एकदूसरे को जोड़ने के लिए बना है, वहीं, आतंकी समूह इसका इस्तेमाल लोगों को गुमराह करने और फेक खबरें फ़ैलाने के लिए भी करते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले समय में राज्य में सियासी गतिविधियाँ भी शुरू होने वाली हैं। केंद्र सरकार इसके लिए सही समय की प्रतीक्षा कर रही है।
कई विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के दौरों के बाद जो बात निकलकर सामने आयी है, वो ये कि प्रदेश में सबकुछ दुरुस्त है, लेकिन भारत की विपक्षी राजनीतिक पार्टियां, अपने तुच्छ सियासी फायदे के लिए, तिल को ताड़ बनाने की कोशिश में लगी हैं। किसी ने सोचा नहीं होगा कि कश्मीर मामले का इतनी शांति से हल निकाला जाएगा, इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सूझ-बूझ के साथ काम करने वाले गृह मंत्री अमित शाह को जाता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)