प्रधानमंत्री मोदी और फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन को इंटरनैशनल सोलर अलायंस और पर्यावरण के मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘चैंपियंस ऑफ़ द अर्थ’ सम्मान दिया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यावरण सुरक्षा को लेकर वैश्विक मंचों पर काफी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंचों पर ये बात कई बार दोहराई है कि भारत की संस्कृति में पर्यावरण और प्रकृति के लिए अपार प्रेम है, इसमें कोई शंका नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अक्षय एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जो मुहिम शुरू की, वह अब एक आंदोलन बन चुकी है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व के सबसे बड़े पर्यावरण सम्मान ‘चैंपियन्स ऑफ़ द अर्थ’ से सम्मानित किया है, यह सम्मान उन्हें पॉलिसी लीडरशिप कैटिगरी में दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोंन को भी यह सम्मान दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रोंन को यह सम्मान इंटरनैशनल सोलर अलायंस और पर्यावरण के मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक बेहद अत्यावश्यक पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए साहसी, नवोन्मेष और अथक प्रयास करने के लिए ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ अवार्ड का सम्मान दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यावरण सुरक्षा को लेकर वैश्विक मंचों पर काफी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंचों पर ये बात कई बार दोहराई है कि भारत की संस्कृति में पर्यावरण और प्रकृति के लिए अपार प्रेम है, इसमें कोई शंका नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अक्षय एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जो मुहिम शुरू की, वह अब एक आंदोलन बन चुकी है। विश्व समुदाय इससे अच्छी तरह परिचित है कि भारत ने सौर ऊर्जा तथा प्राकृतिक ऊर्जा स्त्रोंतो को बढ़ावा देने हेतु अनेकों नवाचार के कदम उठाए हैं जो कि पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर बेहद जरूरी थे।
स्वच्छ ऊर्जा को सामान्य व्यक्ति की पहुंच में लाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों का ही नतीजा है कि आज करीब 17 रुपए वाली सौर ऊर्जा 2 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को कम समय में अपने क्षेत्र का सबसे बड़ा संगठन बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति का बड़ा योगदान है।
प्रधानमंत्री की मजबूत इच्छाशक्ति की वजह से आज भारत पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में विश्व समुदाय के समक्ष एक मजबूत शक्ति बनकर उभरा है और निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प अनुरूप 2022 तक भारत एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक को खत्म करने के अपने प्रयास में जरूर सफलता हासिल करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने उक्त अवार्ड लेते समय अपने संबोधन में कहा कि भारत प्रकृति को सजीव मानता है और पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदनशीलता को आज पूरा विश्व स्वीकार रहा है, किन्तु वास्तविकता यह है कि ये हमारी वर्षों की जीवन शैली का ही एक हिस्सा रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में प्रकृति को मां से तुलना करते हुए कहा कि भारत हमेशा प्रकृति को मां के रूप में देखता है तथा उनका ये सम्मान भारत के आदिवासीयों, किसानों और मछुआरों का सम्मान है, क्योंकि इन सभी की जीवनशैली प्रकृति के अनुसार ही चलती है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भारत की प्रत्येक नारी का सम्मान है जो पौधों का ख्याल रखती हैं।
वास्तव में आज भारत उन देशों में शामिल है जहां सबसे तेज गति से शहरीकरण की प्रक्रिया हो रही है, किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने शहरी जीवन को स्मार्ट और सतत विकास की ओर ले जाने की प्रक्रिया में पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर चल रहा है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जलवायु के प्रति सजगता रखे बिना निपटा नहीं जा सकता है।
गौरतलब है कि पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने के फैसले से परोक्ष तौर पर असहमति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस मुद्दे पर वह अमरीका का पक्ष नहीं ले रहे हैं, क्योंकि भारत का पूरा ध्यान अपनी भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण पर है। पेरिस समझौता हो या न हो, हमारी प्रतिबद्धता पर्यावरण बचाने की है। जो चीजें भावी पीढ़ी की हैं, उन्हें छीनने का हमें कोई अधिकार नहीं है। अमेरिका जैसे एक शक्तिशाली राष्ट्र को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस तरह घेरना प्रधानमंत्री मोदी की पर्यावरण सरक्षण के सबंध में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
दरअसल नरेंद्र मोदी ने देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत का विश्व स्तर पर मान बढ़ाया है। उन्ही के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाए जाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। इसी प्रकार यूनेस्को द्वारा कुम्भ को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की सूची में शामिल किया गया है। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ तथा ‘नमामि गंगे परियोजना’ के माध्यम से प्रधानमंत्री ने देशवासियों को स्वच्छ और सन्तुलित पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित कराने का सफल प्रयास किया है जो हमारी आनेवाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए उनका योगदान है जिसे यह देश हमेशा याद रखेगा।
(लेखक कॉरपोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)