पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने लोको पायलट के बिना चलने वाली मेट्रो को हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद नई किसान रेल को रवाना किया। इसी क्रम में पिछले दिनों नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का ‘न्यू खुर्जा – न्यू भाऊपुर सेक्शन’ राष्ट्र को समर्पित किया। इस पूरे फ्रेट और सेंटर की टेक्नोलॉजी भारत में ही यहीं के लोगों द्वारा तैयार की गई है।
‘एक जिला एक उत्पाद’ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की अभूतपूर्व महत्वाकांक्षी योजना रही है। इसके माध्यम से स्थानीय उत्पाद की लुप्त हो रही पहचान को पुनः स्थापित करना था। इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी इससे सीधा संबन्ध है।
औद्योगिक व कृषि उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए परिवहन की आधुनिक सुविधा अपरिहार्य होती है। आधुनिक कनेक्टिविटी की दृष्टि से विगत छह वर्ष बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना प्रारंभ की थी। उनकी सरकार हटने के बाद एक दशक तक रफ्तार सुस्त रही। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने पुनः कनेक्टिविटी संबन्धी कार्यो को गति दी। सड़क, रेल और हवाई परिवहन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
दशकों से लम्बित परियोजनाएं भी इस अवधि में पूरी की गई हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने लोको पायलट के बिना चलने वाली मेट्रो को हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद नई किसान रेल को रवाना किया। इसी क्रम में पिछले दिनों नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) का ‘न्यू खुर्जा – न्यू भाऊपुर सेक्शन’ राष्ट्र को समर्पित किया। इस पूरे फ्रेट और सेंटर की टेक्नोलॉजी भारत में ही यहीं के लोगों द्वारा तैयार की गई है।
उत्तर प्रदेश में स्थित ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के भाऊपुर न्यू खुर्जा खंड का विशेष महत्व है। यहां एल्युमिनियम, डेयरी और टेक्सटाइल जैसे स्थानीय उद्योगों में उत्पादन के नए अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस खंड से कानपुर देहात जिले का एल्यूमीनियम उद्योग, औरैया जिले का डेयरी उद्योग, इटावा जिले का कपड़ा उत्पादन ब्लॉक प्रिंटिंग, फिरोजाबाद जिले का कांच से बनने वाले पदार्थों से संबंधित उद्योग, बुलंदशहर जिले के मिट्टी के बर्तनों के उत्पाद, हाथरस जिले का हींग उत्पादन और अलीगढ़ जिले का ताला व हार्डवेयर उद्योग जैसे स्थानीय उद्योगों के क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे।
आज भारत दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत बन रहा है। पिछले छह साल में भारत में आधुनिक कनेक्टविटी के मोर्चे पर शानदार काम हुआ है और हो रहा है। इसके अलावा किसान रेल से कृषि उत्पाद को देशभर के बाजारों में सुरक्षित और कम कीमत पर पहुंचाना संभव हुआ है।
यह डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेगी। रेलवे संबन्धी मैन्युफैक्चरिंग में भारत लगातार प्रगति कर रहा है। देश में अब आधुनिक ट्रेनों के निर्माण के साथ ही निर्यात भी हो रहा है। वाराणसी का लोकोमोटिव कारखाना इलेक्ट्रिक इंजन बनाने वाला बड़ा सेण्टर बन रहा है। रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी में अब तक पांच हजार से ज्यादा नये रेलवे कोच बन चुके हैं।
यहां बनने वाले रेल कोच अब निर्यात भी किये जा रहे हैं। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री एवं वाराणसी स्थित डीजल लोकोमोटिव वर्क्स प्रोडक्शन यूनिट्स भी हैं। योगी आदित्यनाथ का कहना है कि डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण से मालगाड़ियों की औसत गति तीन गुना बढ़ जाएगी। इससे प्रदेश में खाद्यान्न परिवहन में सुविधा होगी व औद्योगिक विकास का वातावरण बनेगा।
डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर केवल मालगाड़ियां चलेंगी। इससे देश के उत्पादों को आसानी से पोर्ट तक पहुंचाया जा सकेगा। मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों तक कच्चे माल एवं कृषकों के उत्पाद के परिवहन में भी तेजी आएगी। उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशनों के पास भण्डारण और कोल्ड स्टोरेज की क्षमता बढ़ायी जा रही है।
यहां के पैतालीस माल गोदामों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किया गया है। इसके अलावा, राज्य में आठ नये गुड्स शेड भी बनाये गये हैं। वाराणसी और गाजीपुर में दो बड़े पेरिशबल कार्गो सेण्टर पहले ही किसानों को सेवा दे रहे हैं। इनमें किसान फल, सब्जियां जैसी जल्दी खराब होने वाली उपज स्टोर कर सकते हैं। आगामी कुछ महीनों में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना पर ग्यारह सौ किलोमीटर का काम पूरा हो जाएगा।
फ्रेट कॉरिडोर की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार ने पूर्ववर्ती सरकारों की भांति ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के स्थान पर रेल पटरियों के आधुनिकीकरण पर बल दिया। भारत विश्व की बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की राह पर अग्रसर है। ऐसे में बेहतरीन कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है। पिछले छह वर्षो में इसके दृष्टिगत उल्लेखनीय कार्य किये गए।
डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मालगाड़ियों के लिए बनाये गये विशेष ट्रैक हैं। इसका लाभ कृषि ओडीओपी, अन्य उद्योग, बाजार आदि सभी को मिलेगा। प्रारम्भ में दो डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाये जाने की योजना है। पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी को जोड़ रहा है।
सैकड़ों किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर में कोयला खानें,थर्मल पावर प्लाण्ट,औद्योगिक शहर स्थित हैं। इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाये जा रहे हैं। पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर महाराष्ट्र के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट को उत्तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है।
लगभग पन्द्रह सौ किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंदरा, कांडला, पीपावाव,दाहेज,हजीरा के बड़े बन्दरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे। दोनों डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के आसपास दिल्ली मुम्बई इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर और अमृतसर कोलकाता इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किये जा रहे हैं। इसी तरह उत्तर को दक्षिण से और पूरब को पश्चिम से जोड़ने वाले ऐसे विशेष रेल कॉरिडोर से जुड़ी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।
स्पष्ट है कि फ्रेट कॉरिडोर की इस परियोजना को लेकर केंद्र व यूपी सरकार पूरी सक्रियता से कार्य कर रही हैं। यह परियोजनाएं जब पूरी तरह से मूर्त रूप ले लेंगी, तो व्यापारिक कनेक्टिविटी की दिशा में भारत बहुत बेहतर स्थिति में आ जाएगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)