तीन वर्षों के अपने कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने सबसे बड़ा कुछ काम किया है, तो वो ये कि इस सरकार ने लोक के मन में तंत्र के प्रति विश्वास बहाली में सफलता प्राप्त की है। इस विश्वास बहाली के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहली चीज कि अपने अबतक के शासनकाल में नरेंद्र मोदी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। दूसरी बात कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम से लेकर अन्य विविध मंचों के जरिये निरंतर रूप से जनता से संवाद कर रहे हैं। ये वो बातें हैं, जो अन्य किसीके लिए भले महत्व नहीं रखती हों, मगर जनता इनपर बराबर नज़र रखती है।
एक बौद्ध कथा का सार है कि जिस देश का नेता जैसा होता है, वहाँ की जनता और प्रकृति भी वैसी ही हो जाती है। यदि नेता चरित्रवान, कर्मठ और सुदृढ़ है, तो जनता भी इन गुणों से परिपूर्ण रहती है। निष्कर्ष यह कि प्रजा हर प्रकार से अपने नेतृत्वकर्ता का अनुसरण करती है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में यह बात एकदम सटीक बैठती है। जब वे देश की सत्ता की बागडोर संभाले, तब देश में भारी निराशा और व्यवस्था के प्रति अविश्वास का वातावरण था। लेकिन उन्होंने अपने ऊर्जस्वी व्यक्तित्व और कार्यशैली के जरिये धीरे-धीरे उस निराशा और अविश्वास को समाप्त कर लोगों के मन में व्यवस्था के प्रति विश्वास जगाने का काम किया। अब अपने नेतृत्वकर्ता की तरह ही देश की जनता भी ऊर्जा और उत्साह से परिपूर्ण किसी भी चुनौती का सामना करने और देश को विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए तत्पर दिखती है।
गौर करें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हर प्रकार से एक अन्धकार में था। कांग्रेस-नीत संप्रग सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी थी, जिसके कारण देश का आर्थिक ढांचा चरमरा रहा था और यह सब देखकर समाज में घनघोर निराशा व्याप्त थी। ऐसे समय में देश के सामने गुजरात के विकास मॉडल की उजली तस्वीर लेकर नरेंद्र मोदी आए। भयानक विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से दो-चार हो रहे गुजरात को अपने नेतृत्व से देश के तीव्रतम विकास दर वाले राज्यों की कतार में शीर्ष पर पहुंचा देने वाले नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल में निराशा से जूझ रहे देश को आशा की उज्जवल किरण दिखाई दी।
तिसपर विरोधियों द्वारा जिस तरह से चुनाव से पूर्व व चुनाव के दौरान मोदी के विरुद्ध मोर्चाबंदी की गयी और अनर्गल आरोप लगाए गए, उसने आम लोगों के मोदी के प्रति विश्वास और लगाव को और भी बढ़ाया। परिणामस्वरूप जनता ने लोकसभा में भाजपा को बम्पर विजय दिलाई और इस तरह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की पहली पूर्ण बहुमत वाली गैरकांग्रेसी सरकार ने आकार लिया।
अब सरकार के तीन वर्ष पूरे होने वाले हैं। अगर गौर करें तो अपने अबतक के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने सबसे बड़ा कुछ काम किया है, तो वो ये कि इस सरकार ने लोक के मन में तंत्र के प्रति विश्वास बहाली में सफलता प्राप्त की है। इस विश्वास बहाली के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहली चीज कि अपने अबतक के शासनकाल में नरेंद्र मोदी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। दूसरी बात कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक ‘मन की बात’ कार्यक्रम से लेकर अन्य विविध मंचों के जरिये निरंतर रूप से जनता से संवाद कर रहे हैं। ये वो बातें हैं, जो अन्य किसीके लिए भले महत्व नहीं रखती हों, मगर जनता इनपर बराबर नज़र रखती है।
अगर कार्यों की बात करें तो सरकार द्वारा हर वर्ग और हर क्षेत्र के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएँ लाने के साथ-साथ एक ठोस रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। जनधन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, फसल बीमा योजना, फसल सिंचाई योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, पहल योजना, आदि लोक-कल्याण और राष्ट्र के विकास को गति देने वाली तमाम योजनाएं इस सरकार द्वारा आरम्भ की गयी हैं। दरअसल मोदी सरकार द्वारा हर योजना और निर्णय के पीछे एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम किया जा रहा है।
इसको समझने के लिए इस उदाहरण पर नज़र डालें तो मोदी ने जनधन योजना शुरू की, जिसके तहत विशेष रूप से ग्रामीण लोगों के सरल ढंग से निशुल्क बैंक खाते खुलवाए गए। तब इस योजना को विपक्षियों व बुद्धिजीवियों ने लोगों को सिर्फ बैंकों से जोड़ने तक की कवायद समझा। मगर इसके बाद जब सरकार ने सबके बैंक खातों को आधार से जोड़कर उसीके जरिये गैस सब्सिडी और फिर मनरेगा आदि के पैसे सीधे खाते में भेजने का काम शुरू किया तो बुद्धिजीवियों को इस योजना का कुछ-कुछ मतलब समझ में आया। लेकिन, इसका असली मतलब तो तब उजागर हुआ जब गत वर्ष नवम्बर में मोदी सरकार ने काले धन पर रोकथाम के लिए पांच सौ और एक हजार के नोटों को सरकारी रूप से अवैध घोषित कर दिया।
फिर पूरा देश अपने पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने बैंक की ओर निकल पड़ा। इस मौके पर इन जनधन खातों ने कई प्रकार से बड़ी भूमिका निभाई। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी के दिमाग में तीन-चार साल आगे तक के कामों की पूरी रूप-रेखा बनी पड़ी है। उनका हर निर्णय दूरगामी प्रभावों को नज़र में रखकर लिया जाता है। सरकार के इन क़दमों का सकारात्मक प्रभाव भी देखा जा सकता है। देश की अर्थव्यवस्था अभी अच्छी गति से आगे बढ़ रही है और हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की बेरोजगारी दर में भी भारी कमी आई है।
विदेशनीति की बात करें तो जो पाकिस्तान कभी भारत के लिए एक बड़ा यक्ष-प्रश्न था, उसके प्रति मोदी सरकार ने न केवल सैद्धांतिक वरन सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये व्यावहारिक रूप से भी अत्यंत कठोर रुख का परिचय दिया है। पाकिस्तान आज विश्व बिरादरी से लगभग अलग-थलग हो चुका है। उसके परम सहयोगी भी अब उससे कन्नी काटते नज़र आ रहे हैं। वहीं भारत के सम्बन्ध दुनिया के सभी देशों से लगातार बेहतर हुए हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने अपने लगभग तीन साल के इस कार्यकाल में देश को सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ता प्रदान की है, इसके फलस्वरूप आम लोगों के मन से निराशा का अन्धकार समाप्त हुआ है। जनता का मोदी पर विश्वास और भी बढ़ा है। लोकसभा चुनाव के बाद हुए ज्यादातर राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली विजय इस बात को प्रमाणित करती है।
दरअसल नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति का रंग-ढंग बदलकर रख दिया है। उन्होंने देश को जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के खाँचे से बाहर लाकर विकास के मार्ग पर ले जाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। वे जब भी बात करते हैं, तो विकास और उसके नवीन आयामों पर ही उनका बल होता है। हाल ही में हुए यूपी चुनाव में भाजपा की महाविजय में इस बात की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)