विगत दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक और उसके बाद लाल किले के भाषण में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान को लेकर कुछ कड़ी प्रतिक्रिया क्या दी कि उसके बाद से पाकिस्तान तो हलकान है ही, इस देश के समुदाय विशेष एवं तथाकथित सेकुलर जमात के तमाम लोग उससे अधिक पीड़ित नज़र आ रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को नहीं, उनके किसी प्रिय सम्बन्धी को फटकार लगाईं हो। पीओके और बलूचिस्तान को लेकर मोदी सरकार के इस ताज़ा रुख की जहां देश भर में बहुसंख्यक आम लोगों द्वारा प्रशंसा हो रही है, वहीँ समुदाय विशेष और सेकुलर जमात के ये मुट्ठी भर लोग खुर्दबीन लेकर इसमे कमियाँ निकालने तथा तमाम कुतर्कों के जरिये इसे गलत सिद्ध करने में लगे हुए हैं। इनमे नेताओं से लेकर तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी तक सब शामिल हैं।
कांग्रेस ने सलमान खुर्शीद के इस ताज़ा बयान से किनारा तो कर लिया है, मगर कांग्रेस आलाकमान की तरफ से उनपर कोई कार्रवाई तो दूर उन्हें कोई चेतावनी तक नहीं दी गई। ऐसे में ये क्यों न माना जाय कि कांग्रेस आलाकमान और पार्टी भी सलमान खुर्शीद के बयान से सहमत है? दरअसल बात यह है कि सलमान खुर्शीद उस समुदाय से आते हैं, जिसका तुष्टिकरण कांग्रेस के सेकुलरिज्म का मूल रहा है। ऐसे में, उनपर कार्रवाई करके कांग्रेस अपने सेकुलरिज्म पर खतरा कैसे आने देती? यही कारण है कि ऐसा घटिया बयान देने के बावजूद मियाँ सलमान आज भी कांग्रेस में उसके सेकुलरिज्म की ही तरह सलामत हैं।
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी होने का खोखला दम भरने वाली तथाकथित सेकुलर पार्टी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद जो देश के विदेशमंत्री रह चुके हैं, बलूचिस्तान पर बोलने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर ऐसे भड़के कि पूरी तरह से खुलकर पाकिस्तान परस्ती पर आ गए। उन्होंने कहा कि मोदी को बलूचिस्तान का नाम नहीं लेना चाहिए था, क्योंकि वो पाकिस्तान का हिस्सा है। यहाँ ये बता दें कि बलूचिस्तान पर पाकिस्तान ने १९४८ से अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ है और वहाँ के लोगों द्वारा लगातार उसके विरुद्ध आवाज उठाई जा रही है। यहाँ तक कि पीएम मोदी के बलूचिस्तान पर बयान देने के बाद वहाँ के लोगों ने ‘थैंक यूं पीएम मोदी’ जैसे नारे भी लगाए हैं। अब जमीनी हालत ये है और भारत में रहकर भारत का खाने वाले मिया सलमान खुर्शीद बलूचिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा माने बैठे हैं। वैसे, ये पहली बार नहीं है कि सलमान खुर्शीद ने पकिस्तान प्रेम दिखाया हो, इससे पहले भी वे विगत वर्ष जब पाकिस्तान गए थे तो वहाँ से पीएम मोदी को स्टेट्समैन बनने की सीख देते हुए बोले थे कि भारत ने पाकिस्तान के अमन के पैगाम का ठीक से जवाब नहीं दिया। बहरहाल, कांग्रेस ने सलमान खुर्शीद के इस ताज़ा बयान से किनारा तो कर लिया है, मगर कांग्रेस आलाकमान की तरफ से उनपर कोई कार्रवाई तो दूर उन्हें कोई चेतावनी तक नहीं दी गई। ऐसे में ये क्यों न माना जाय कि कांग्रेस आलाकमान और पार्टी भी सलमान खुर्शीद के बयान से सहमत है ? दरअसल बात यह है कि सलमान खुर्शीद उस समुदाय से आते हैं, जिसका तुष्टिकरण कांग्रेस के सेकुलरिज्म का मूल रहा है। ऐसे में, उनपर कार्रवाई करके कांग्रेस अपने सेकुलरिज्म पर खतरा कैसे आने देती ? यही कारण है कि ऐसा घटिया बयान देने के बावजूद मियाँ सलमान आज भी कांग्रेस में उसके सेकुलरिज्म की ही तरह सलामत हैं।
बहरहाल, ये तो एक सलमान खुर्शीद हैं। इनके अलावा सोशल मीडिया पर इन्हिके जैसे तथाकथित सेकुलर टाइप के लेखकों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों द्वारा बलूचिस्तान और पीओके पर बोलने को लेकर तमाम कुतर्कों के जरिये पीएम मोदी की आलोचना की जा रही है। ‘अपने अलगाववादियों को भारत आतंकवादी कह रहा है और पाकिस्तान के अलगाववादियों को पीड़ित बता रहा है’ यह बात ऐसी है जैसे कि किसी पाकिस्तानी नेता आदि ने कहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि ऐसी पाक परस्त बातें सोशल मीडिया पर देश के समुदाय विशेष के लोगों और तथाकथित सेकुलरों द्वारा मोदी विरोध में कही जा रही हैं। स्पष्ट है कि पीएम मोदी ने तो पाकिस्तान पर निशाना साधा और सांप इन सेकुलरों के सीने पर लोट रहा है! शिनाख्त कर लीजिए कि ये वो लोग हैं, जो मोदी विरोध में किसी भी हद तक नीचे गिर सकते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)