आत्मनिर्भर भारत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सबने देखा कि चीन के वुहान से शुरू हुई महामारी की वजह से हमारे देश में कैसी विकट परिस्थितियां पैदा हुई थीं। ऐसी आपदाएं आगे भी आ सकती हैं, तब हमारी आत्मनिर्भरता ही हमें बचाएगी।
आज 74 वे स्वतंत्रता दिवस पर देश को अपेक्षा थी कि प्रधानमंत्री लाल किले से अपने संबोधन में देश के आर्थिक स्वराज और आत्मनिर्भर भारत की बात करेंगे और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को निराश नहीं किया। तकरीबन डेढ़ घंटे के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर भारत की जरूरत पर बात की और लगभग 30 बार ‘आत्मनिर्भर भारत’ पदबंध का ज़िक्र किया।
पीएम मोदी ने अपने छियासी मिनट के भाषण में यह रेखांकित कर दिया कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कोरोना महामारी से देश में जो संकट पैदा हुआ है उसके आगे का रास्ता कैसे तैयार करें और अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत बनाया जाए।
वस्तुतः हम सभी इस बात से सहमत हैं कि पिछले छह महीने में पूरी दुनिया पर आर्थिक मंदी का साया और ज्यादा गहराया है, जिससे पार पाना इस वक्त की एक बड़ी लड़ाई है। हालांकि भारत ने इस आपदा को अवसर में तब्दील करने के लिए बहुत से जरूरी कदम उठाए हैं और इस कारण हमारी अर्थव्यवस्था के संकेतक अभी सकारात्मक बने हुए हैं।
अब आत्मनिर्भर भारत ही इस आपदा का एक मात्र मुंहतोड़ और स्थायी जवाब है, जिसकी दिशा में सरकार देश को ले जाने में जुटी हुई है। आत्मनिर्भर भारत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सबने देखा कि चीन के वुहान से शुरू हुई महामारी की वजह से हमारे देश में कैसी विकट परिस्थितियां पैदा हुई थीं। ऐसी आपदाएं आगे भी आ सकती हैं, तब हमारी आत्मनिर्भरता ही हमें बचाएगी।
चीन के साथ लेह लद्दाख सेक्टर में हुई तनातनी जिसमें दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए दर्जन भर से ज्यादा भारतीय सैनिकों शहीद हो गए, के बाद यह ज़रूरी हो गया है कि भारत की निर्भरता वैसे देशों पर कम हो, जिनके ऊपर हम मुश्किल समय में भरोसा नहीं कर सकते। चीन ऐसा ही एक देश है।
यह सच्चाई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में खुलेपन के तीस साल के बाद भी हमारी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वो मजबूती नहीं आ पाई है, जिसकी हमें ज़रुरत है। इसी कारण मोदी सरकार शुरू से ही मेक इन इंडिया के जरिये इस दिशा में देश को बल देने में लगी है।
भारत का ध्येय यह होना चाहिए कि हम न सिर्फ़ चीन से मुकाबला करने में सक्षम हो पाएं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाएं।
प्रधानमंत्री के भाषण में हमें यह झलक भी मिली कि हमें न सिर्फ़ भारत का निर्माण करना है, बल्कि भारतीय उत्पादों के लिए विदेशी बाज़ारों में अपनी जगह भी बनानी है। विचार करें तो प्रधानमंत्री मोदी का यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण सन्देश है।
हमें सोचना होगा कि हम कच्चे माल के निर्यातक बनकर ही न रह जायें, क्योंकि हम अगर देश में फाइनल प्रोडक्ट्स बनाते हैं, तभी विश्व बिरादरी में हमें सम्मान मिल सकेगा। मोदी ने इस बिंदु को भी रेखांकित किया।
इसके लिए हमें सिर्फ़ अपने उद्योगों को नहीं बदलना होगा बल्कि हमारे शिक्षा व्यवस्था में भी आमूल चूल परिवर्तन लाना होगा कि छात्र जब कॉलेज से पढ़कर बाहर निकलें तो उनके हाथ में हुनर हो। वो नौकरी मांगने नहीं, बल्कि नौकरी पैदा कर सकें, इस स्थिति को हासिल करने के लिए हमें पूरे ईको सिस्टम को बदलना होगा। नयी शिक्षा नीति में सरकार द्वारा बच्चों में शुरू से हुनर विकसित करने के प्रावधान किए गए हैं।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नई शिक्षा नीति का एक बड़ा योगदान होगा, लेकिन यह कुछ महीनों में हासिल होगा, ऐसा हमें नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि ऐसे लक्ष्य को हासिल करने के लिए न सिर्फ़ सरकार बल्कि उद्योग जगत को भी सामने आना पड़ेगा ताकि वह भारतीय प्रतिभाओं के पलायन को रोका जा सके।
पिछले दिनों कृषि क्षेत्र ने दिखा दिया कि अगर किसानी को फायदे का सौदा बनाया जाये तो इससे दुनिया में भारत की स्थिति बेहतर हो सकती है और रोज़गार पैदा किया जा सकता है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी भारत को अब बेहतर करना होगा।
इसके लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जरूरी पहल है, अब भारत को आत्मनिर्भर बनने के सपने को हकीकत में बदलने के लिए तन-मन और धन से समर्पित होने की ज़रुरत है। सरकार की मंशा स्पष्ट है और वो अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही है, देश के नागरिक भी इसमें पूरे मन और दृढ़ निश्चय के साथ जुट जाएं तो भारत्त को आत्मनिर्भर होने से कोई रोक नहीं सकता।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)