अवधेश कुमार
अमेरिकी संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने जो भाषण दिया उसे शानदार एवं प्रभावी मानना ही होगा। आप मोदी के विरोधी हों या समर्थक जिस ढंग से अमेरिकी संसद में उनके भाषणों पर तालियां बजीं, सांसदों ने बार-बार स्टैंडिंग ओवेशन दिया उसका अर्थ है वो अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे हैं।मोदी ने अपने भाषण में भारत की अपनी राष्ट्रीय दृष्टि के साथ विश्व के संदर्भ में भारत का मत, वर्तमान विश्व की चुनौतियां तथा भारत अमेरिका के बीच प्रगाढ़ संबंधों की अपरिहार्यता को व्यवस्थित और सिलसिलेवार ढंग से रखा। बिना पढ़े इस तरह का एकदम विन्दूवार भाषण देना आसान नहीं होता। मोदी पूरे लय में थे।उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के बारे में यदि किसी को कुछ संदेह है तो दूर कर ले। भाषा एवं अन्य विविधताओं के बावजूद भारत एक साथ लोकतंत्र के लिए वोट डालता है, एक साथ खड़ा होता है और जश्न भी मनाता है। हमारी संस्कृति में विविधता में एकता के तत्व सन्निहित हैं। हम प्राचीन संस्कृति के वाहक होते हुए भी आधुनिक रष्ट्र की नींव डालने वाले देश रहे हैं। जिनने भारत को लेकर संदेह प्रकट किया उनको लोकतंत्र को लगातार मजबूत कर हमने गलत साबित किया है।अगर अमेरिका के संविधान मंे समानता की बात है तो हमने भी अपने यहां इसी सिद्धांत को अपनाया है। लोकतंत्र और उसके साझे सिद्धांत भारत अमेरिका संबंधों की कड़ी है तथा वर्तमान विश्व में दोनों के संबंध विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता तथा सभी की संपन्नता के लिए आवश्यक है। हम किसी पर प्रभुत्व जमाने के लिए नहीं समानता पर आधारित विश्व व्यवस्था के लिए इकट्ठे हो रहे हैं।मोदी की यह बात बिल्कुल सही है कि आतंकवाद से पूरी दुनिया को खतरा है और इससे एकजुट होकर नए तरीकों से निपटने की जरुरत है। हालांकि मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन यह कहकर कि हमारे पश्चित पड़ोस से लेकर अफ्रीका तक आतंकवाद अलग-अलग नामों से सक्रिय है और उनका सिद्वात है मौत और हिंसा। बिना नाम लिए मोदी ने कहा कि आपने आतंकवाद के पोषक को दान रोककर उचित कदम उठाया। दरअसल, मोदी का इशारा अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पाकिस्तान को एफ 16 विमान के लिए दी जानी सब्सिडी को रोकने की ओर था।कुल मिलाकर इस भाषण पर अमेरिका और दुनिया में अच्छी प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। अमेरिकी सांसदों ने भी भारत के और उसके नेतृत्व के विचारों को समझा तथा दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने के इरादे की झलक देखी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)