गुजरात के जामनगर में अजी बांध पर स्थित एसएयूएनआई परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह ऐसी पहल है, जिस पर हर गुजराती गर्व महसूस करेगा। गौरतलब है कि एसएयूएनआई परियोजना से सौराष्ट्र के 116 छोटे-बड़े जलाशयों को भरा जाएगा, जिससे सौराष्ट्र में पानी की समस्या दूर हो जाएगी। वैसे ये इस तरह की कोई पहली परियोजना नहीं है, इसी तरह की योजनाओं के बल पर नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात जैसे सूखे राज्य ने कृषि क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाई थी। यहां गुजरात की कृषि क्रांति का संक्षिप्त परिचय अपेक्षित है जो आज भी चमत्कृत करती है।
मोदी के नेतृत्व में सूखे गुजरात में जो कृषि क्रांति हुई थी, वह आज पूरे देश के लिए नजीर है। यदि राज्य सरकारें इस प्रकार की प्रगतिशील कृषि नीतियों को अपनाएं तो गरीबी, बेकारी, असमानता, पलायन जैसी समस्याएं इतिहास के पन्नों में ही मिलेंगी। सुखद यह है कि अब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और उन नीतियों को कमोबेश राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यकताओं के अनुकूल बनाकर अपनाया जा रहा है, जिसका लाभ धीरे-धीरे देश के सामने आएगा।
उदारीकरण के दौर में कृषि क्षेत्र उपेक्षा व बदहाली का शिकार बना रहा। इसका नतीजा गरीबी, असमानता, गांवों से पलायन, कस्बों व छोटे शहरों में जीविका के साधनों की कमी आदि के रूप में सामने आया। गुजरात की स्थिति भी इससे अलग नहीं थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के राज्य की बागडोर संभालते ही स्थिति बदल गई। मोदी सरकार ने सबसे पहला कार्य पानी के क्षेत्र में किया क्योंकि पानी की कमी के कारण ही राज्य की अधिकतर जमीन अनुपजाऊ बनी हुई थी। इसके लिए उन्होंने भूजल प्रबंधन पर सर्वाधिक बल दिया और वर्षा की प्रत्येक बूंद को संग्रहित कर उसे सिंचाई के काम में लाने की रणनीति अपनाई गई। इसके तहत पूरे गुजरात में रोक बांध, तालाब, कुएं बनाने का अभियान चलाया गया और दस वर्षों में पांच लाख से अधिक जल संरचनाएं बना दी गईं। इससे वर्षा जल के भूजल बनने के रास्ते खुले और जल स्तर में 3-5 मीटर तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
गुजरात में साबरमती नदी जहां गर्मियों में सूख जाती थी, वहीं नर्मदा का पानी बेकार में समुद्र में बह जाता था। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने नदियों को जोड़ने का अनूठा अभियान चलाया। सबसे पहले साबरमती को नर्मदा से जोड़ा गया। इससे न सिर्फ अहमदाबाद शहर को भरपूर पानी मिलने लगा बल्कि गुजरात की अन्य नदियां जो गर्मी में सूखी रहती थी वे जलमग्न रहने लगीं क्योंकि नर्मदा में जब कभी बाढ़ आती है, तो वह पानी नहरों के माध्यम से इन नदियों में डाल दिया जाता है। इतना ही नहीं इससे अन्य जलाशय, कुंए और नलकूप भी रिचार्ज होते रहते हैं। नर्मदा परियोजना के माध्यम से गुजरात की 23 नदियों के जुड़ जाने से गुजरात बाढ़ एवं जल संकट से निजात पा चुका है। पानी की एक-एक बूंद को सिंचाई के काम में लाने के लिए गुजरात ने ड्रिप इरीगेशन की शुरूआत किया। इसमें पानी पौधों की जड़ों में दिया जाता है जिससे उसकी बर्बादी नहीं होती है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों और सेवा प्रदाताओं को एक मंच पर एकजुट किया और उनका किसानों से सीधा सामना कराया। इसके लिए राज्य में कृषि रथों की व्यवस्था की गई। किसानों तक कृषि वैज्ञानिकों और सेवा प्रदाताओं की पहुंच बनाने के लिए पूरे राज्य में हर साल एक महीने तक चलने वाले कृषि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान ये कृषि रथ किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं का मौके पर ही समाधान करते हैं। मिट्टी की विविधता को देखते हुए सभी किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया। इसी आधार पर किसानों को उपयुक्त फसल उगाने की सलाह दी जाती है। नेट हाउस, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस जैसी आधुनिक कृषि विधियों से बागवानी फसलों की खेती ने किसानों की समृद्धि की राह खोल दी। इस समय देश में सबसे ज्यादा पॉली हाऊस गुजरात में हैं। किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत दिलाने के लिए गांवों को सड़कों से जोड़ा गया। एक अध्ययन के मुताबिक गुजरात की ग्रामीण सड़के पूरे देश में सबसे अच्छी हैं और राज्य के तकरीबन 98.7 फीसदी गांवों को पक्की सड़कों के जरिए जोड़ा जा चुका है।
कृषि विकास के क्रम में मोदी सरकार ने यह समझने में देर नहीं की कि पशुपालन के बिना कृषि विकास अधूरा है। इसीलिए पशुओं की स्वास्थ्य देखभाल का राज्यव्यापी नेटवर्क स्थापित किया गया। इससे पशुओं में होने वाली 122 तरह की बीमारियों से गुजरात मुक्त हो गया है। देश में गुजरात पहला ऐसा राज्य है जहां पशुओं की आंखों में होने वाली मोतियाबिंद की जांच और उनका ऑपरेशन होता है। कृषि महोत्सव की भांति पशुपालन के लिए पशु स्वास्थ्य मेलों का आयोजन भी किया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में औद्योगिक विकास कृषि भूमि और गांवों की कीमत पर नहीं हुआ है।
स्पष्ट है कि मोदी के नेतृत्व में सूखे गुजरात में जो कृषि क्रांति हुई थी, वह आज पूरे देश के लिए नजीर है। यदि राज्य सरकारें इस प्रकार की प्रगतिशील कृषि नीतियों को अपनाएं तो गरीबी, बेकारी, असमानता, पलायन जैसी समस्याएं इतिहास के पन्नों में ही मिलेंगी। सुखद यह है कि अब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और उन नीतियों को राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यकताओं के अनुकूल बनाकर अपनाया जा रहा है, जिसका लाभ धीरे-धीरे देश के सामने आएगा।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)