दिल्ली में एक ऐसा मुख्यमंत्री बैठा है जो केवल अपने नाटकीय कार्यों के लिए चर्चा में रहता है, एक नाटक खत्म नही हुआ कि दूसरा नाटक तैयार हो जाता है। जबसे दिल्ली के मुख्यमंत्री का पदभार केजरीवाल संभाले है, हर रोज कुछ न कुछ बवाल केंद्र सरकार पर बेजा आरोप लगा कर खड़ा कर देते हैं। दिल्ली की जनता ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि हम जिस व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप रहे हैं, वो व्यक्ति अपना समय दिल्ली के विकास में न देकर व्यर्थ के मुद्दों पर देगा। दरअसल, शनिवार को दिल्ली के विधायक दिनेश मोहनिया को पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया। उनके ऊपर एक महिला से बदसलूकी का आरोप है, पुलिस द्वारा दो बार नोटिस देने के बावजूद मोहनिया इस नोटिस का कोई जवाब नही दिया। उसके बाद पुलिस ने मोहनिया पर उक्त कार्यवाही की। गिरफ्तारी की जैसे ही खबर आई केजरीवाल बौखला गये और एक के बाद एक ट्विट कर इस गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से कर दिया। सवाल खड़ा होता है कि महिला से बदसलूकी के मामले में गिरफ्तारी आपातकाल है? सवाल की तह में जाने से पहले हमें थोड़ा उस कालखंड में जाना होगा जब केजरीवाल चुनाव प्रचार में लगे थे, तब महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर लंबी–लंबी बातें किया करते थे। परंतु आज केजरीवाल महिला के साथ बदसलूकी करने वाले विधायक से समर्थन में खड़ें हैं। ये पहला ऐसा मुद्दा नही हैं जहाँ केजरीवाल ने हंगामा किया हो उनके हंगामे की एक लंबी फेहरिस्त है। खैर, इससे पहले जब सोमनाथ भारती पर महिला उत्पीड़न का केस दर्ज हुआ था, तब भी केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी अंत तक सोमनाथ के समर्थन में आवाज़ बुलंद करती रही। बाद में हक़ीकत सामने आने के बाद औंधे मुंह गिरे, अब मोहनिया पर जब एक महिला से बदसलूकी जैसे गंभीर आरोप लगें है, ऐसे में आपातकाल का जिक्र कर अपने विधायक का बचाव करना न केवल केजरीवाल के महिला सुरक्षा के वादों और दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है बल्कि उनकी अलग तरह की राजनीति के पाखंड को भी सामने लाता है। अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ऊपर भी एक व्यापारी को धमकाने का आरोप लगा है लेकिन अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है फिर भी उतावलेपन में मनीष सिसोदिया अपने विधायकों को इकट्टा कर प्रधानमंत्री आवास की तरफ गिरफ्तारी देने के लिए जाने लगे,कितनी हास्यास्पद स्थिति हैं जिसके ऊपर केस दर्ज हुआ है उस विधायक को समूची पार्टी बचा रही है और जिसपर कोई केस दर्ज नहीं वो थाने की बजाय प्रधानमंत्री आवास गिरफ्तारी देने जा रहा। इस प्रकार से ढोंग के जरिये केजरीवाल जनता को मुख्य मुद्दे से भटकाने का प्रयास कर रहें हैं। एक अलग तरह की राजनीति का दावा कर राजनीति में आने वाली इस पार्टी को लेकर कभी कल्पना भी नही की गई होगी कि ये पार्टी इस तरह की विचित्र राजनीति करेगी जिसमें खुद को सही साबित किया जाए बाकि जो उनके खिलाफ में आए उनकी विश्वसनीयता को भंग करने का प्रयास किया जाए। देश में और भी मुख्यमंत्री हैं जिनका राजनीतिक विरोध अपनी जगह है किंतु संघीय ढाचें का सम्मान करते हैं उसकी मर्यादाओं मे रहते हैं पंरतु केजरीवाल ने इनसब मर्यादाओं को ताक पर छोड़ दिया है। राजनीतिक लोभ और ईर्ष्या से ग्रस्त केजरीवाल को अपने मुख्य मुद्दों पर भी ध्यान देने चाहिए उन सपनों को भी याद रखना चाहिए जो उन्होंने दिल्ली की जनता को दिखाए हैं। कब तक ये रोना रोते रहेंगे कि मोदी जी काम नहीं करने दे रहे सवाल यह भी कि आप कर क्या रहे ?
(लेखक स्वतन्त्र टिप्पणीकार हैं)