पॉर्टेबल पेट्रोल पंप से जन-जीवन होगा आसान

फिलवक्त, “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” दुनिया के तकरीबन 35 देशों में मौजूद है। “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” को आसानी से किसी स्थान पर लाया या ले जाया जा सकता है। इसमें कंटेनर के साथ फ्यूल डिस्पेंसिंग मशीन जुड़ी होती है। पूरे यूनिट को ट्रक पर लाद कर कहीं भी ले जाया जा सकता है और सड़क के किनारे रखकर कहीं भी पेट्रोल, डीजल या सीएनजी को बेचा जा सकता है। इसे किसी भी स्थान पर स्थापित करने या हटाने में महज 2 घंटे का समय लगता है।

दे में पेट्रोल पंपों की उपलब्धता के नजरिये से भारत को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में विभाजित किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में पेट्रोल अमूमन आसानी से मिल जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पेट्रोल पंपों की संख्या अभी भी नगण्य है, जिसके कारण ग्रामीणों को खेतों की सिचाई करने या खेतों को जोतने हेतु पम्पसेट या ट्रैक्टर में पेट्रोल या डीजल भरवाने के लिये नजदीक के शहरों में जाना पड़ता है। इसमें ग्रामीणों का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। देखा जाये तो शहरी क्षेत्रों में भी पेट्रोल पंपों की संख्या पर्याप्त नहीं है। शहरों में भी लोगों को पेट्रोल, डीजल या सीएनजी भरवाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

इस तरह की समस्याओं को दृष्टिगत करते हुए भारत सरकार ने “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” की संकल्पना को मंजूरी दे दी है। जल्द ही सड़कों के किनारे “मिल्क बूथ” की तरह पॉर्टेबल पेट्रोल पंप दिखने लगेंगे। ऐसे पॉर्टेबल पेट्रोल पंपों से लोग खुद अपनी जरूरत के अनुसार पेट्रोल, डीजल या सीएनजी खरीद सकेंगे, जिसमें उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।  

पोर्टेबल पेट्रोल पम्प (साभार : ASN live)

फिलवक्त, “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” दुनिया के तकरीबन 35 देशों में मौजूद है। “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” को आसानी से किसी स्थान पर लाया या ले जाया जा सकता है। इसमें कंटेनर के साथ फ्यूल डिस्पेंसिंग मशीन जुड़ी होती है। पूरे यूनिट को ट्रक पर लाद कर कहीं भी ले जाया जा सकता है और सड़क के किनारे रखकर कहीं भी पेट्रोल, डीजल या सीएनजी को बेचा जा सकता है। इसे किसी भी स्थान पर स्थापित करने या हटाने में महज 2 घंटे का समय लगता है।

महत्वपूर्ण यह है कि इसे स्थापित करने के लिये ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है। इसका इस्तेमाल मिल्क बूथ या एटीएम मशीन की तरह किया जाता है। मिल्क बूथ या एटीएम मशीन की तरह इसे भी स्वचालित तरीके से कोई भी व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है। “पॉर्टेबल पेट्रोल पंप” सेल्फ सर्विस मॉडल पर काम करता है। ऐसे पंप पर पेट्रोल, डीजल या सीएनजी देने के लिए कोई कर्मचारी नहीं होता है। ईंधन खरीदने वाला व्यक्ति स्वयं अपनी गाड़ी या कंटेनर में ईंधन भरता है।

दिल्ली स्थित कंपनी “अलिन्ज पॉर्टेबल पेट्रोल प्राइवेट लिमिटेड” ने चेक रिपब्लिक को प्रौदयोगिक  पार्टनर बनाया है। कंपनी, भारत सरकार और तेल कंपनियों से बातचीत करके इस नई संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिये काम कर रही है। कंपनी ने अगले 5 से 7 सालों में 50 हजार पॉर्टेबल पेट्रोल पंप यूनिट तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिये शुरू में 400 करोड़ रुपये निवेश करने का प्रस्ताव है। भारत में गाड़ियों की संख्या में हर साल अभूतपूर्व इजाफा हो रहा है। कस्बाई इलाकों में 24 घंटे  बिजली की उपलब्धता अभी भी सपना है, जिसके कारण लोगों को बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिये जेनरेटर चलाना पड़ता है।

कहा जा रहा है कि इस संकल्पना के मूर्त रूप लेने से सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीणों को होगा, क्योंकि आज भी भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग गाँवों में निवास करते हैं, पर ग्रामीण इलाकों में आज भी बिजली की किल्लत है। बिजली उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीण सिंचाई, कृषि कार्यों, बिजली की उपलब्धता आदि को सुनिश्चित करने के लिये पेट्रोल, डीजल या सीएनजी पर निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि भारत में पॉर्टेबल पेट्रोल पंप की संकल्पना बेहद ही मुफीद साबित होने वाली है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)