यह सर्वे सिर्फ भारत ही नहीं, अपितु विश्व के अनेक प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों की लोकप्रियता पर भी किया गया। लेकिन प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी को पीछे छोड़ते हुए वैश्विक स्तर पर प्रथम पायदान पर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में तो लोकप्रिय नेता के रूप में हमेशा से जाने जाते रहे हैं। पिछले दिनों वैश्विक स्तर पर अमेरिका की ‘मॉर्निंग कन्सल्ट’ नामक सर्वे एजेंसी (शोध संस्थान) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह सामने आया कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों को 75 प्रतिशत लोगों ने सही ठहराया है।
यह सर्वे सिर्फ भारत ही नहीं, अपितु विश्व के अनेक प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों की लोकप्रियता पर भी किया गया। लेकिन प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी को पीछे छोड़ते हुए वैश्विक स्तर पर प्रथम पायदान पर हैं। यह सर्वे विश्व के 13 प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर किया गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, स्पेन, यूके, अमेरिका सम्मिलित हैं।
कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार लोगों से लगातार संवाद जारी रखा, चरणबद्ध एवं सुनियोजित ढंग से लॉक डाउन और अनलॉक करने के साथ-साथ संक्रामण काल में भी लोगों के उत्साह को बरकरार रखा उसने पूरी दुनिया को प्रेरित किया। संक्रामण काल में समाज में व्याप्त तनाव के बीच अपने संवाद के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में रहते हुए चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया।
हालांकि इन सबके बीच विपक्ष ने पहले तो लॉकडाउन पर प्रश्न चिन्ह लगाया, उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए; इतना ही नहीं, अब वे वैज्ञानिक परीक्षण के बाद उपलब्ध वैक्सीन पर भी प्रश्न खड़े करने लगे हैं।
लेकिन इन सबके बीच भी प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना को सुनियोजित ढंग से नियंत्रित करने का प्रयास किया है। वैश्विक एजेंसी द्वारा जारी यह रिपोर्ट उन विपक्षियों को तमाचा है जो कोरोना काल में मोदी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहे थे।
भारत में जिस तरह प्रधानमंत्री ने आपदा के इस कठिन समय में भी दृढ़ता और सूझबूझ के साथ देश के लोगों का उत्साहवर्धन किया वो मोदी को जननेता बनाता है। इस बात की पुष्टि हाल के चुनाव परिणाम भी करते नजर आते हैं।
जहां एक तरफ कोरोना काल में पूरा विश्व महामारी से कराह रहा था और उसके राष्ट्राध्यक्ष वैक्सीन का रोना रो रहे थे तो वहीं इस आपदा में प्रधानमंत्री देशवासियों से संवाद कर उनके लिए राशन, दवाई और जीवन यापन की मूलभूत अवश्यकताओं को पूरा कर रहे थे। जब पूरा विश्व लॉक डाउन लगाने से पहले यह सोच रहा था कि स्वास्थ्य बचाएं या धन संपदा; तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है और उन्होने पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा की।
लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं ही देशवासियों की छोटी-छोटी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए न केवल उन्हें संबोधित किया बल्कि समस्याओं के समाधान के लिए कदम भी उठाए।
विपक्ष मोदी के इन कार्यों की भी आलोचना करने से नहीं चूकता था। पहले तो विपक्ष ने लॉकडाउन को गलत बताया फिर उसके समय को लेकर आलोचना की लेकिन दूसरी तरफ मोदी देश के विकास को गति देते और गरीब वर्गों की मदद करते हुए कोरोना से लड़ने के लिए नए-नए कोविड अस्पताल बनाते रहे।
मोदी ने केवल एक बार लोगों से आपदा कोष में दान करने को कहा तो धन की वर्षा सी हो गई, मोदी ने एक बार कोरोना वारियर्स के सम्मान में ताली, थाली, शंख बजाने के आग्रह किया तो पूरा देश गुंजायमान हो गया, प्रधानमंत्री ने एक बार दीपक जलाने का आग्रह किया तो लगा देश में दीपावली आ गई।
ये बातें देश में मोदी की लोकप्रियता को दर्शाती हैं। मोदी मन की बात करते हैं तो उसमें वे अपने मन की नहीं अपितु जन के मन की बात करते हैं। नेता वही होता है जो कठिन समय में राष्ट्र को हताशा में न डूबने दे बल्कि सबको संगठित रखते हुए सही दिशा में आगे ले जाए। कोरोना काल में मोदी ने ऐसे ही नेतृत्व का परिचय दिया। यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता आज विश्व स्तर पर सर्वाधिक है और वे वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)