जनहित की योजनाओं के कारगर कार्यान्वयन के कारण ही देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व कामयाबी मिली। इससे दुनिया भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक नए दृष्टि से देखने लगी। प्रधानमंत्री को मिल रहे सम्मान इसी नए दृष्टिकोण की देन हैं।
कोरोना महामारी के दौरान और पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान को जो सहयोग और समर्थन दिया उससे अभिभूत होकर भूटान ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “नगदग खोरलो” से भारतीय प्रधानमंत्री को सम्मानित करने का निश्चय किया है। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में भारत ने सबसे पहले भूटान की मदद करते हुए कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की डेढ़ लाख डोज भेजी थी।
भूटान ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन देशों से भी सम्मान मिल रहा है जिन देशों में कांग्रेस ने दुष्प्रचार के बल पर मोदी की एक अलग छवि बना दी थी। उदाहरण के लिए कांग्रेस के इशारे पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिस अमेरिका ने 9 बार वीजा देने से मना कर दिया था, आज उसी अमेरिका में लोगों के लिए मोदी आदर्श हैं।
2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह घोषणा की कि अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया जाएगा। इसके बाद सितंबर 2014 में मोदी अमेरिका के दौरे पर गए तब अमेरिका में मोदी का जिस ढंग से स्वागत हुआ उसमें उनकी लोकप्रियता का एक अलग ही रूप देखने को मिला।
अपने इस दौरे में चार चांद लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के मेडिसिन स्क्वायर में 20,000 लोगों को संबोधित किया था। इसके बाद जब भी प्रधानमंत्री अमेरिका गए तब उनका भव्य स्वागत हुआ।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है। यही कारण है कि दुनिया भर के देशों से प्रधानमंत्री मोदी को सम्मान मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे अधिक सम्मान मुस्लिम बहुल देशों से मिले हैं।
इन देशों में सऊदी अरब, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन, मालदीव, बहरीन शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी ने नरेंद्र मोदी को मुस्लिम विरोधी साबित करने के लिए देश-विदेश में व्यापक दुष्प्रचार अभियान चलाया था। लेकिन मोदी की लोकप्रियता और स्वीकार्यता के आगे वो सब दुष्प्रचार विफल हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को मिल रहे सम्मान दरअसल उनके द्वारा देश को लगातार सशक्त बनाने के प्रयासों का सम्मान हैं। 2014 में जब मोदी ने सत्ता संभाली थी तब अर्थव्यवस्था बदहाल थी। महंगाई आसमान पर थी और नित नए महाघोटाले उजागर हो रहे थे। विदेशी पूंजी निवेश थम सा गया था।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संस्थागत सुधारों पर बल देते हुए योजनाओं का पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया। हर स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए जवाबदेही सुनिश्चित की गई। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगी और योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिलने लगा। जनधन, उज्ज्वला जैसी योजनाओं से करोड़ों लोगों तक बिना किसी भेदभाव के मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई गईं। इसका परिणाम यह हुआ कि न केवल देशवासियों की दशा सुधरी बल्कि विदेश में भी भारत और नरेंद्र मोदी का मान बढ़ा।
सबसे बड़ी बात यह रही कि विदेशों में हिंदी में भाषण देने के बावजूद राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी मोदी का जादू सिर चढ़कर बोलता है। विदेशी दौरों में प्रधानमंत्री अपने भाषणों में स्पष्टवादिता, दृढ़ता और वैश्विक आतंकवाद को खत्म करने का कठोर संदेश देते हैं। मोदी के इसी आचरण के कारण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन उनके प्रशंसकों की सूची में शामिल हो गए हैं।
अपने पक्ष में मिले इस विश्वव्यापी समर्थन को देखते हुए ही मोदी ने फिजी में कहा कि भारत विश्व गुरु की भूमिका निभाएगा और अपने ज्ञान शक्ति से विश्व का नेतृत्व करेगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और ब्रिटेन पहले ही यह संभावना जता चुके हैं कि भविष्य का राजनीतिक नेतृत्व ज्ञान पर आधारित होगा।
समग्रत: जनहित की योजनाओं के कारगर कार्यान्वयन के कारण ही देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व कामयाबी मिली। इससे दुनिया भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक नए दृष्टि से देखने लगी। प्रधानमंत्री को मिल रहे सम्मान इसी नए दृष्टिकोण की देन हैं।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)