योगी आदित्यनाथ सरकार की वापसी में कई कारणों का योगदान रहा है जैसे चुस्त कानून व्यवस्था, महिला सम्मान, गुंडागर्दी पर नकेल, अवैध कब्जों पर बुल्डोजर चलाने, उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त करने और सरकारी योजनाओं का भ्रष्टाचार मुक्त क्रियान्वयन। इसमें सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही कोरोना काल में भ्रष्टाचार मुक्त अनाज वितरण योजना।
कोरोना महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश में लाखों लोग दूसरे राज्यों से अपने प्रदेश लौटे जिन्हें खाद्य सुरक्षा देना चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया और खाद्य के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित किया। यह एक प्रमुख कारण है कि विपक्ष की जातिवादी राजनीति और मीडिया के दुष्प्रचार के बावजूद योगी सरकार जनता की अदालत में विजयश्री हासिल करने में कामयाब रही।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 41 प्रतिशत वोट पाकर शानदार विजय हासिल की वहीं योगी आदित्यनाथ के नाम एक नया रिकॉर्ड बना है। योगी आदित्यनाथ पिछले 37 सालों में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए लौटने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले 1985 में नारायण दत्त तिवारी ने राज्य में दो कार्यकाल हासिल किया था।
योगी आदित्यनाथ सरकार की वापसी में कई कारणों का योगदान रहा है जैसे चुस्त कानून व्यवस्था, महिला सम्मान, गुंडागर्दी पर नकेल, अवैध कब्जों पर बुल्डोजर चलाने, उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त करने और सरकारी योजनाओं का भ्रष्टाचार मुक्त क्रियान्वयन। इसमें सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही कोरोना काल में भ्रष्टाचार मुक्त अनाज वितरण योजना।
कोरोना काल में देश में भुखमरी जैसी परिस्थितियां पैदा न हो इसके लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी। इसके तहत अंत्योदय कार्डधारकों को प्रति राशन कार्ड 35 किलो खाद्यान्न (20 किलो गेहूं व 15 किलो चावल) नि:शुल्क दिया गया।
इसके अतिरिक्त पात्र राशन कार्ड धारकों को पांच किलो खाद्यान्न (3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल) नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया। इसके साथ-साथ ऐसे जरूरतमंद और गरीब लोग जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें भी मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया। शुरू में यह योजना मार्च-अप्रैल 2020 के लिए लागू की गई थी लेकिन आगे चलकर इसकी अवधि बढ़ाई जाती रही। फिलहाल यह योजना 31 मार्च 2022 तक लागू है।
पहले आपदाओं के समय गरीबों को सरकार की ओर से जो सहायता दी जाती थी उसका अधिकांश हिस्सा बिचौलिए हड़प लेते थे लेकिन वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना के पूरे देश में लागू होने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली डिजिटल हो गई है। इससे 19 करोड़ फर्जी राशन कार्ड धारकों को बाहर किया गया। यह कुल 80 करोड़ लाभार्थियों का लगभग एक चौथाई है। स्पष्ट है इस मुहिम से दो लाख करोड़ रूपये की सालाना खाद्य सब्सिडी में से 50 हजार करोड़ रूपये का अनाज गलत हाथों में जाने से रोकने में सफलता मिली।
उल्लेखनीय है कि जब मोदी सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को डिजिटल बना रही थी तब उसका सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस और वामपंथी दलों व इनके समर्थक मीडिया ने किया था लेकिन उसी डिजिटलाइजेशन के चलते कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भारत करोड़ों लोगों खाद्य सुरक्षा देने में सफल रहा।
उत्तर प्रदेश में तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने लाभार्थियों को गेहूं, चावल के साथ-साथ एक-एक किलो आयोडीन नमक व चना दाल तथा एक लीटर खाद्य तेल देने की योजना लागू करके खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा देने की अनूठी पहल की।
प्रदेश में जातिवादी राजनीति और कांग्रेसी कार्य संस्कृति वाली नौकरशाही को देखते हुए गरीबों तक अनाज पहुंचाना आसान काम नहीं था। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 2004-06 के बड़े पैमाने पर खाद्यान्न घोटाला हुआ था जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित किए जाने वाले अनाज की कालाबाजारी करके बांग्लादेश और नेपाल भेज दिया गया था। इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में जारी है।
इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनाज वितरण की निगरानी की जिम्मेदारी अधिकारियों के साथ-साथ सांसदों और विधायकों को भी सौंपी। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश में अनाज की कालाबाजारी रूकी और 15 करोड़ राशन कार्ड धारकों को समय से अनाज मिलना सुनिश्चित हुआ।
कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए येागी सरकार ने व्यापक स्तर पर बचावकारी उपाय करने के साथ-साथ पात्र कार्ड धारकों को महीने में दो बार राशन देने की योजना लागू किया।
इस प्रकार अब प्रदेश सरकार महीने में 10 किलो अनाज और दो-दो किलो दाल व नमक तथा दो लीटर खाद्य तेल दे रही है। समग्रत: कह सकते हैं कि योगी सरकार की शानदार वापसी में अन्य कारणों के साथ-साथ भ्रष्टाचार मुक्त राशन वितरण की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)