आमतौर पर प्रधानमंत्रियों के लोकसभा क्षेत्र विकास के मानदंड पर पिछड़े ही रहते हैं। फूलपुर से लेकर अमेठी-रायबरेली तक इसके अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे। इसका कारण है कि देश-विदेश की गतिविधियों में व्यस्त होने के कारण उन्हें अपने क्षेत्र के विकास की ओर देखने की फुर्सत ही नहीं मिलती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र इन सबसे अलग है। मोदी के सांसद बनने के बाद से ही न सिर्फ वाराणसी संसदीय क्षेत्र बल्कि दशकों से पिछड़े समूचे पूर्वांचल में विकास की बयार बह रही है।
दीपावली निकट है, इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियों कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 614 करोड़ रूपये की लागत वाली 37 नई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी वाराणसी को केंद्र बनाकर समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश और समीपवर्ती बिहार में पर्यटन, चिकित्सा ढांचा, रेल, सड़क, पाइपलाइन, जलमार्ग का व्यवस्थित नेटवर्क बिछा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से बनारस के घाटों की तस्वीर बदल रही है। गंगा घाटों की स्वच्छता और सुंदरीकरण के साथ-साथ सारनाथ भी नए रूप रंग में निखर रहा है। बनारस शहर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा हो चुका है। शहर की एक बड़ी समस्या लटकते बिजली के तारों के जाल की रही है। अब अधिकांश हिस्सों में बिजली के तारों को भूमिगत कर दिया गया है।
चिकित्सा सुविधाओं के मामले में इलाके के पिछड़ेन को देखते हुए मोदी सरकार समूचे पूर्वांचल को मेडिकल हब के रूप में विकसित कर रही है। पिछले छह वर्षों में वाराणसी में स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत ढांचा पर अभूतपूर्व काम हुआ है। वाराणसी स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल को उच्चीकृत करके एम्स का दर्जा दिया गया है। टाटा के सहयोग से स्थापित कैंसर संस्थान में इलाज होने लगा है। बीएचयू स्थित सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल उत्तर भारत का इकलौता शैक्षणिक संस्थान है जिसका परिसर आधुनिक चिकित्सा का हब है।
लोगों को बेहतर इलाज के लिए महानगरों में भागदौड़ न करनी पड़े इसके लिए मोदी सरकार हर तीन लोक सभा सीटों पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर रही है। गाजीपुर और मिर्जापुर में मेडिकल कालेज का शिलान्यास किया जा चुका है। इससे लोगों को पास में ही सस्ता इलाज मिलेगा। इसके अलावा गोरखपुर में एम्स की नींव रखी गई। जो कालाजार हर साल समूचे गोरखपुर क्षेत्र में प्रकोप बनकर आता था वह सरकार के प्रयासों पिछले दो सालों से काबू में है।
वाराणसी शहर की यातायात व्यवस्था ठीक करने के लिए रिंग रोड परियोजना का पहला चरण पूरा हो चुका है। इससे जाम से मुक्ति मिलेगी। इसी तरह शहर में फ्लाईओवर, अंडरपास बनाए जा रहे हैं। वाराणसी पहला स्थान है जहां अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र खुला है। यह फिलीपीन्स के बाद दूसरा केंद्र है।
वाराणसी में दूध प्रसंस्करण संयंत्र और पेरिशेबल कार्गों सेंटर की स्थापना होने से किसानों को बहुत लाभ हो रहा है। भंडारण से लेकर परिवहन तक की सुविधाएं विकसित होने का ही नतीजा है कि इस साल पहली बार वाराणसी से फल, सब्जी और चावल का निर्यात किया गया।
वाराणसी में अत्याधुनिक ट्रेड सेंटर खुल गया है। यहां उद्योगों के संवर्द्धन का काम होगा। वाराणसी से मिर्जापुर, भदोही, चंदौली, आजमगढ़ और मऊ तक बुनकरों की बड़ी तादाद है। ऐसे में उनके रोजगार के साधन बढ़ रहे हैं। समग्रत: प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा पूर्वांचल विकास के पथ पर लगातार बढ़ रहा है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)