रेल मंत्रालय ने की यात्री बीमा की शुरुआत, रेल यात्रियों को एक रूपये में मिलेगा दस लाख तक का बीमा!

इस वर्ष के रेल बजट में केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल यात्रियों को बीमा देने का ऐलान किया था, इस दिशा में अब रेलवे द्वारा शुरुआत कर दी गई है। बीमा देने की यह व्यवस्था एक सितम्बर से लागू हो गई है, जिसके तहत यात्रियों को महज एक रूपये में दस लाख तक की अधिकतम राशि तक का बीमा देने की व्यवस्था की गई है। यह एक रूपये का शुल्क यात्री के टिकट में जुड़ेगा। इंटरनेट से आरक्षित टिकट लेने वाले रेल यात्रियों को इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा। इसके अंतर्गत मौत होने पर दस लाख, विशेष क्षति होने की स्थिति में साधे सात लाख तथा सामान्य क्षति की स्थिति में इलाज आदि के लिए दो लाख रूपये देने के प्रावधान किए गए हैं। यह बीमा हर तरह की दुर्घटना से लेकर यात्री के किसी आपराधिक गतिविधि का शिकार होने तक की स्थिति में लागू होगी। हालांकि अभी इसे एक साल के लिए ट्रायल के तौर पर अपनाया गया है, जिसे इसकी कामयाबी के आधार आगे बढ़ाया जाएगा। 

रेल यात्रियों को बीमा देने की व्यवस्था भी रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ही सोच की उपज है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। यह व्यवस्था अवश्य सफल और कारगर रहेगी, इसकी एक बानगी तो इसीसे देखी जा सकती है कि इसके पहले ही दिन करीब चार लाख से अधिक लोगों ने इसके लिए पंजीकरण किया। निश्चित तौर पर यह रेलवे और रेल यात्रियों दोनों को लाभ देने वाला एक बड़ा कदम साबित होगी।

सुरेश प्रभु के रेलमंत्री बनने के बाद से जिस तरह से रेलवे में एक के बाद एक नई-नई तरह की सुविधाओं की शुरुआत की जा रही है, उससे निश्चित तौर पर यह उम्मीद जगती है कि अब भारतीय रेल के अच्छे दिन आ रहे हैं। पूर्व की सरकारों खासकर संप्रग के पिछले दस साल की सरकार के दौरान अलग-अलग जितने भी रेल मंत्री आए सभीने इसमें काम के नाम पर सिर्फ अधिक से अधिक ट्रेनों का ऐलान करने जैसे ही कदम उठाए। जिस क्षेत्र के मंत्री हों, उस क्षेत्र के लिए ट्रेन का ऐलान करना जैसे उनका प्रथम कर्तव्य हो जाता था। ट्रेन का ऐलान करने के बाद वो ट्रेनें चलीं कि नहीं, यह देखने-समझने वाला कोई नहीं था। कुल मिलाकर संप्रग के पिछले दस सालों के दौरान रेलवे क्षेत्र पूरी तरह से राजनीति का शिकार होकर रह गया। कई रेल मंत्री राजनीतिक कारणों से बनाए और बदले गए। इस कारण यह मंत्रालय भारी अस्थिरता से भी ग्रस्त रहा। फलस्वरूप इसमें कोई प्रगति नहीं हो पाई।

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लेकिन, मोदी सरकार के रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पहले ही रेल बजट में रेलवे की वास्तविकता यानी उसकी समस्याओं और चुनौतियों से से देश को स्पष्टतः रूबरू कराते हुए उनसे पार पाने की कार्ययोजना भी देश के सामने रखी। रेल किराया थोड़ा बढ़ाया गया। तब इसके लिए उनकी कुछेक आलोचना भी हुई। लेकिन, उसके बाद जैसे-जैसे रेलवे में ट्विटर सेवा, फिर तेज रफ़्तार वाली ट्रेनें, स्टेशनों पर साफ़-सफाई आदि व्यवस्थाएं लोगों को मिलने लगीं, यह स्पष्ट हो गया कि सुरेश प्रभु रेलवे को सही दिशा में ले जा रहे हैं। अब ये रेल यात्रियों को बीमा देने की व्यवस्था भी सुरेश प्रभु की ही सोच की उपज है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। यह व्यवस्था अवश्य सफल और कारगर रहेगी, इसकी एक बानगी तो इसीसे देखी जा सकती है कि इसके पहले ही दिन करीब चार लाख से अधिक लोगों ने इसके लिए पंजीकरण किया। निश्चित तौर पर यह रेलवे और रेल यात्रियों दोनों को लाभ देने वाला एक बड़ा कदम है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)