जब से रामचंद्र गुहा को कानूनी नोटिस भेजा गया है, वे नदारद हो गए हैं। वे अज्ञातवास में चले गए हैं। खुलकर कुछ नहीं कह रहे। आपको याद होगा कि बीते पांच सितंबर को बैंगलुरू में गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ‘दि क्विंट’ के वरिष्ठ पत्रकार चंदन नंदी ने अपनी एक खोजी रिपोर्ट में पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दावा किया है कि गौरी लंकेश की हत्या निजी या वित्तीय कारणों के चलते की गई है। चलिए हम इस रिपोर्ट को भी नहीं मानते। पर, गुहा तो यह भी नहीं बता रहे कि वे किस आधार पर संघ और भाजपा को विवादास्पद पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं।
एक पत्रकार या इतिहासकार से यह अपेक्षा रहती है कि वो अपनी खबरों और शोध के पुख्ता प्रमाण भी दे। तब उसके काम को प्रतिष्ठा मिलती है। लेकिन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस मामूली-सी बात को भूल गए हैं। गुहा के साथ यह परेशान बढ़ती जा रही है। अब उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या में संघ का हाथ बता दिया है। जब कर्नाटक पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, तो गुहा को कैसे पता चल गया कि गौरी लंकेश की हत्या में संघ या उससे जुड़े संगठनों का हाथ है।
गुहा के आरोपों के बाद बीजेपी ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उनसे ‘बिना शर्त माफी’ की मांग की माग की गयी है। गुहा के पास यदि गौरी लंकेश की हत्या के कोई प्रमाण हैं, तो वे उन्हें सबके सामने लेकर आएं। वे कर्नाटक पुलिस को साक्ष्य सौंप दें ताकि हत्यारे और इस कत्ल के पीछे की गुत्थी सुलझ जाए। लेकिन वो यह नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास कुछ नहीं है। वे तो संघ और भाजपा को बदनाम करने का बहाना तलाश रहे थे।
और देखिए कि जब से गुहा को कानूनी नोटिस भेजा गया है, वे नदारद हो गए हैं। वे अज्ञातवास में चले गए हैं। वे खुलकर कुछ नहीं कह रहे। आपको याद होगा कि बीते पांच सितंबर को बैंगलुरू में गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ‘दि क्विंट’ के वरिष्ठ पत्रकार चंदन नंदी ने अपनी एक खोजी रिपोर्ट में पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दावा किया है कि गौरी लंकेश की हत्या निजी या वित्तीय कारणों के चलते की गई है। चलिए हम इस रिपोर्ट को भी नहीं मानते। पर, गुहा तो यह भी नहीं बता रहे कि वे किस आधार पर संघ और भाजपा को विवादास्पद पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं।
गुहा ने कहा था, “इसका पूरा अंदेशा है कि गौरी के हत्यारे उसी संघ परिवार से आते हैं जहां से डाभोलकर, पनसारे और कलबुर्गी के हत्यारे आए थे।” लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबको प्राप्त है। आप अपनी बात रख सकते हैं। आपको कोई नहीं रोक रहा। पर क्या यह सही है कि आप किसी इंसान या संगठन की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाने वाली बात कह दें? गुहा ने यही तो किया है। गुहा ने जिन लोगों का नाम लिया, उनकी हत्याएं कांग्रेस शासित राज्यों में हुई थीं और उनके हत्यारों का अबतक कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका है। फिर गुहा किस आधार पर गौरी लंकेश समेत उन सब लोगों की हत्याओं में संघ-भाजपा का नाम घसीट रहे हैं?
गुहा कह रहे हैं, ‘आज भारत में स्वतंत्र लेखकों और पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्हें सताया जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है। लेकिन, हमें चुप नहीं होना है।’ गुहा से कोई पूछे कि उन्होंने देश के उन लाखों पत्रकारों के पक्ष में कभी आवाज उठाई जिन्हें उनके मालिकान वेज बोर्ड नहीं देते।
कुछ समय पहले बिहार में हिन्दुस्तान अखबार के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सबको पता है कि राजदेव को बिहार में कभी आतंक का पर्याय रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन के इशारों पर मारा गया था। लेकिन क्या तब रामचंद्र गुहा ने एक शब्द भी बोला था। क्या राजदेव पत्रकार नहीं थे? दरअसल गुहा इसलिए अब बोल रहे हैं, क्योंकि वे एक वर्ग विशेष से आते हैं। वे गरीब-गुरुबा के पक्ष में क्यों बोलेंगे।
कसा था गावस्कर ने
दरअसल रामचंद्र गुहा अपने विवादास्पद बयान देने के लिए बदनाम रहे हैं। वे बे-सिरपैर के आरोप किसी पर भी लगा देते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने भारत के दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर पर आरोप लगा दिए थे। गुहा ने गावस्कर पर निशाना साधते हुए कहा था कि खिलाड़ियों के प्रबंधन कंपनी के मालिक होने के बावजूद गावस्कर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में कांमेंटेटर की भूमिका निभा रहे हैं जो हितों के टकराव का मामला है। तब सुनील गावस्कर ने रामचंद्र गुहा को आईंना दिखा दिया था।
गावस्कर ने हितों के टकराव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गुहा के आरोपों को बेबुनियाद बताया था। गुहा को आड़े हाथों लेते हुए गावस्कर ने कहा था कि कोई जब मेरी ईमानदारी पर सवाल उठाता है तो मुझे निराशा होती है। मेरा कहीं से कहीं तक हितों के टकराव का मामला नहीं है। नाराज गावस्कर ने कहा कि एक उदाहरण बताइए जब मैंने चयन को प्रभावित किया हो। मैंने जितना भारतीय क्रिकेट के लिए किया है उससे ज्यादा भारतीय क्रिकेट ने मेरे लिए किया है। उन्होंने कहा कि क्या रामचंद्र गुहा की मुझसे ज्यादती दुश्मनी थी जो उन्होंने मेरा नाम सार्वजनिक रूप से लिया?
रामचंद्र गुहा के साथ यह बड़ी दिक्कत है कि जब उन्हें कसा जाता है, तब वे गुम हो जाते हैं। पहले वे गावस्कर पर आरोप लगाकर गायब हुए और अब संघ और भाजपा पर गौरी लंकेश की हत्या का आरोप लगाने के बाद जब उन्हें चौतरफा निंदा झेलनी पड़ी तो वे फिर पतली गली से कहीं जाकर छिप गए हैं।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)