खेती-किसानी के आधुनिकीकरण के लिए मोदी सरकार द्वारा लगाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस-वाम पोषित मीडिया का सबसे बड़ा आरोप यही था कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीद बंद कर देगी। लेकिन नए कृषि कानूनों के तहत पंजाब में हुई गेहूं की रिकॉर्डतोड़ सरकारी खरीद पर कांगेस-वाम पोषित मीडिया खामोश हो गई है।
मोदी सरकार द्वारा कृषि के आधुनिकीकरण और सूचना-प्रौद्योगिकी आधारित नई खरीद-विपणन प्रणाली के लिए लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के नतीजे दिखने लगे हैं। पंजाब में 14 मई 2021 को समाप्त हुए गेहूं खरीद सत्र में रिकॉर्ड खरीद हुई है। इस रबी खरीद सत्र के दौरान पंजाब में नौ लाख किसानों से 132 लाख टन गेहूं की खरीद की गई।
सबसे बड़ी बात यह रही कि पंजाब के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब बिचौलियों-आढ़तियों को बॉयपास करते हुए सरकार ने 23000 करोड़ रूपये का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया। इसी का नतीजा हुआ कि पंजाब में इस बार सबसे ज्यादा गेहूं खरीद हुई ।
नए कानून के मुातबिक सरकार ने किसानों को अनाज खरीद नामक पोर्टल पर रजिस्टर किया। पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है जहां किसानों के जमीन संबंधी विवरण जे फार्म में भरकर सरकार के डिजिटल लॉकर में रखा गया है। इससे किसी प्रकार के घपले-घोटाले की आशंका दूर हो गई।
पंजाब में 35 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती होती है जिसमें 1.7 से 1.8 करोड़ टन उत्पादन होता है। राज्य में कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत गेहूं मंडियों में बिकने के लिए आता है। पंजाब में अब तक सरकारी एजेंसियां जैसे भारतीय खाद्य निगम किसानों से सीधे अनाज खरीद न करके आढ़तियों-बिचैलियों के जरिए करती थीं।
राज्य में 1850 मंडियां हैं जिनमें 32000 कमीशन एजेंट गेहूं और 28000 कमीशन एजेंट धान की खरीद-बिक्री से जुड़े हैं। इस खरीद बिक्री के एवज में आढ़तियों-बिचैलियों को सरकारी खरीद एजेंसियां कमीशन देती रही हैं।
आढ़ती-बिचौलिए इसी प्रकार का कमीशन किसानों से भी लेते थे। इस प्रकार बिना कुछ किए-धरे हर साल हजारों करोड़ रूपये आढ़तियों-बिचैलियों की जेब में पहुंच जाते थे। राजनीतिक दलों से जुड़े इन आढ़तियों-बिचैलियों ने पंजाब में एक सशक्त लॉबी बना रखी है जिन्हें नजरअंदाज करने का साहस कोई राजनीतिक दल या सरकार नहीं उठाते थे।
इस साल शुरू में ही केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि गेहूं खरीद की अदायगी सीधे किसानों के बैंक खातों में की जाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले से आढ़तियों-बिचौलियों की लॉबी में हलचल मच गई। उन्होंने पंजाब सरकार पर दबाव बनाया किया वह केंद्र सरकार के इस फैसले को न माने।
लेकिन केंद्र सरकार ने सख्त रूख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि किसानों को सीधे भुगतान की अनुमति नहीं दी गई तो सरकार पंजाब से गेहूं खरीद नहीं करेगी। इसके बाद ही पंजाब सरकार किसानों के बैंक खातों में सीधे अदायगी पर तैयार हुई।
मोदी सरकार का लक्ष्य हर स्तर पर बिचौलिया मुक्त व्यवस्था लागू करने का है। इसके लिए सरकार देश भर के किसानों का डिजिटल रिकॉर्ड बना रही है। इसके साथ-साथ मंडी व्यवस्था का आधुनिकीकरण किया जा रहा है ताकि किसान देश भर में ई-मंडी के जरिए अपनी उपज बेच सकें। मोदी सरकार की यही कवायद बिचौलियों और उन्हें संरक्षण देने वाले राजनीतिक दलों की नींद हराम किए हुए है। इसीलिए वे सरकार के खिलाफ मिथ्या प्रचार करने में जुटे हैं।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)