कोरोना महामारी के पहली लहर से उत्पन्न मुश्किलों से पूरी तरह से उबरने से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई, जिससे अर्थव्यवस्था में चल रहे सुधारात्मक कार्य प्रभावित हुए और आर्थिक गतिविधियों में गतिरोध आने लगा। इन पहलूओं को दृष्टिगत करके सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की, ताकि प्रभावित संस्थानों एवं आम लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आये।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी से प्रभावित आमजन और कारोबारियों को राहत देने के लिए 28 जून को अनेक घोषणाएँ की, जिन्हें अमल में लाने में बैंकों की अहम् भूमिका होगी। इस राहत पैकेज में कुछ पुरानी योजनाओं का विस्तार किया गया है और कुछ नई योजनाओं को मूर्त रूप देने की बात कही गई है। राहत की कुल राशि 6,28,993 करोड़ रुपए है।
रिजर्व बैंक ने 5 मई को 50,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसका मकसद टीका बनाने वाली कंपनियों, चिकित्सा उपकरण की आपूर्ति करने वालों, अस्पतालों तथा बीमारी का इलाज करा रहे रोगियों को सही समय पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना था। इसके तहत बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा ऋण 31 मार्च, 2022 तक दिए जाएंगे, जिन्हें 3 सालों में वापस किया जा सकता है।
इन्हें प्राथमिक क्षेत्र के ऋण की श्रेणी में रखा जाएगा। प्राथमिक क्षेत्र के ऋण के लिए बैंकों को नकद आरक्षी अनुपात या सांविधिक तरलता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत नहीं होती है और यह कर्ज रियायती दर पर उपलब्ध होता है। बैंक इसके लिए रेपो दर पर पैसे जुटा सकते हैं।
इसके तहत टीका विनिर्माताओं, टीका और प्राथमिकता वाले चिकित्सा उपकरणों के आयातकों व आपूर्तिकर्ताओं, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, पैथोलॉजी लैब, ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं तथा कोविड की दवाओं के आयातकों और लॉजिस्टिक फर्मों एवं मरीजों को उपचार के लिए ऋण दिए जा सकते हैं। बैंक ये ऋण सीधे या मध्यस्थ के जरिये दे सकते हैं और इसके लिए उन्हें एक कोविड ऋण खाता खोलना होगा।
रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक कोविड ऋण खाते के अधिशेष के अनुपात में अपनी अधिशेष राशि केंद्रीय बैंक के पास रेपो दर से 25 आधार अंक कम पर यानी 3.75 प्रतिशत पर जमा कर सकते हैं। फिलहाल, बैंक अपनी अतिरिक्त राशि 3.35 प्रतिशत की रिवर्स रेपो दर पर केंद्रीय बैंक में जमा करते हैं।
रिजर्व बैंक द्वारा दी जाने वाली 50,000 करोड़ रुपये की यह राशि देश के कुल 6 लाख करोड़ रुपये के स्वास्थ्य व्यय का लगभग 9 प्रतिशत है। इस प्रत्यक्ष सहायता से स्वास्थ्य क्षेत्र में तकरीबन 80,000 करोड़ रुपये की मांग पैदा होने की उम्मीद है और इससे जैव रसायन, रबड़, प्लास्टिक आदि क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा।
इसी क्रम में सरकार ने स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपए में से 50 हजार करोड़ रुपए की गारंटी कवर की घोषणा की है और कोरोना महामारी से प्रभावित दूसरे क्षेत्रों के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत अधिकतम 100 करोड़ रूपये तक ऋण दिया जा सकेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े ऋण पर 7.95 प्रतिशत की दर से ब्याज प्रभारित किया जायेगा, जबकि दूसरे क्षेत्रों के लिए दिये गए ऋण पर 8.25 प्रतिशत की दर से ब्याज की वसूली की जायेगी।
पुनश्च: सरकार 23220 करोड़ रुपए बच्चों से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर 31 मार्च 2022 तक खर्च करेगी। इस राशि से आईसीयू बेड, वेंटिलेटर बेड, एंबुलेंस आदि सुविधाओं को बढ़ाया जायेगा। इसके अलावा जिला और उप जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी। साथ ही, जाँच क्षमता और टेलीकंसलटेशन जैसी सुविधाओं में बढ़ोतरी की जायेगी, ताकि कोरोना महामारी के फैलाव पर नियंत्रण रखा जा सके।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का आगाज पिछले वर्ष मई महीने में किया गया था। ईसीएलजीएस के तहत 3 लाख करोड़ रुपए तक की ऋण राशि पात्र सूक्ष्म, लघु, मझौले उद्यम (एमएसएमई) इकाईओं को देने का प्रावधान किया गया था। ईसीएलजीएस 1.0, 2.0, 3.0 को मिलाकर अब तक 2.69 लाख करोड़ रुपए की राशि, जो 3.00 लाख करोड़ रूपये का 90 प्रतिशत है ऋण के रूप में 1.1 करोड़ एमएसएमई इकाईओं के बीच वितरित की जा चुकी है।
गौरतलब है कि देशभर में लगभग 6.3 करोड़ एमएसएमई इकाई हैं। इस तरह, अभी भी बहुत सारे एमएसएमई इकाई इस योजना का लाभ लेने से वंचित हैं। इसलिए, ईसीएलजीएस के तहत 1.5 लाख रुपए के अतिरिक्त ऋण कोरोना महामारी से प्रभावित एमएसएमई को देने की घोषणा की गई है, ताकि अब तक इस योजना का लाभ नहीं लेने वाले एमएसएमई इस योजना का लाभ उठा सकें।
पूर्व में रिजर्व बैंक लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के लिए एक स्पेशल लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (एसएलटीआरओ) के तहत तरलता बढ़ाने का काम कर चुकी है। रिजर्व बैंक के इस उपाय की मदद से एसएफबी की तरलता की समस्या काफी कम हुई है।
हालांकि, मामले में एसएफबी को यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्रीय बैंक से उधार ली जाने वाली रकम का इस्तेमाल महामारी से प्रभावित हुए असंगठित क्षेत्र के लिए किया जाये। इस उधारी का इस्तेमाल 10 लाख रुपये तक के ऋण देने के लिए किया जा सकेगा।
छोटे कारोबारी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट (एमएफआई) को 1.25 लाख करोड़ रूपये तक की सहायता ऋण के रूप में दी जायेगी, जिसपर बैंक मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) पर अधिकतम 2 प्रतिशत जोड़कर ब्याज प्रभारित करेंगे। ऐसे ऋण की अवधि 3 साल होगी और इसपर 75 प्रतिशत की गारंटी सरकार देगी।
वैसे, ऋणी, जिन्होंने 89 दिनों तक अपने ऋण की किस्त एवं ब्याज का भुगतान नहीं किया है वे भी इस योजना का लाभ लेने के पात्र होंगे। इस योजना से 25 लाख लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है। सरकार ने इस योजना के लिए 7500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जिसका लाभ 31 मार्च 2022 तक लिया जा सकेगा।
ट्रेवल और टूरिज्म के क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए तत्काल प्रभाव से राहत देने की जरुरत थी। इसलिए, सरकार कोरोना महामारी से प्रभावित 904 पंजीकृत टूरिस्ट गाइड और ट्रेवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को दिए जाने वाले 10 लाख रूपये तक के ऋण पर 100 प्रतिशत की गारंटी देगी और 10700 लाइसेंसशुदा टूरिस्ट गाइड, जो स्थानीय या राज्य स्तर पर पंजीकृत हैं को 1 लाख रुपए तक दिए गए ऋण पर भी 100 प्रतिशत की गारंटी देगी। इस तरह के ऋण पर प्रोसेसिंग शुल्क भी नहीं लिया जायेगा।
विदेशी पर्यटकों को भारत घूमने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पहले 5 लाख विदेशी पर्यटकों को मुफ्त में वीजा जारी किए जाएंगे, जिससे सरकारी खजाने पर 100 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। एक पर्यटक को इस योजना का लाभ सिर्फ एक बार मिलेगा। यह योजना 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी। विदेशी पर्यटकों को वीजा की अनुमति मिलते ही इस योजना का लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में लगभग 1.93 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए थे और उन्होंने 30 अरब डॉलर से अधिक की रकम भारत में खर्च की थी। भारत आने वाले विदेशी पर्यटक आमतौर पर 21 दिनों के लिए आते हैं और वे रोजाना औसतन 34 डॉलर या लगभग 2500 रुपए खर्च करते हैं
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की शुरुआत पिछले साल आत्मनिर्भर भारत 3.00 के तहत अक्टूबर में की गई थी, जिसे बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दिया गया है। इस योजना के तहत अब तक करीब 21.42 लाख लाभार्थियों के लिए 902 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जिससे 18 जून 2021 तक 79577 इकाईयों को फायदा हुआ है।
इस योजना के अंतर्गत सरकार 15 हजार से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों और कंपनियों के भविष्य निधि का भुगतान करती है। सरकार ने इस योजना पर 22,810 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा है, जिससे करीब 58.50 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
सरकार ने किसानों को 14,775 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी है, जिसमें 9125 करोड़ रुपए की सब्सिडी डीएपी या डाइ अमोनिया फास्फेट उर्वरक पर दी गई है, जबकि 5650 करोड़ रुपए की सब्सिडी एनपीके या नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम आधारित उर्वरक पर दी गई है।
कोरोना महामारी से प्रभावित गरीबों की मदद करने के लिए पिछले साल 26 मार्च 2020 को सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की घोषणा की थी और इसका लाभ पहली बार अप्रैल से जून 2020 के दौरान गरीबों को दिया गया था। बाद में इस योजना की अवधि को बढ़ाकर नवंबर 2020 तक कर दिया गया।
वित्त वर्ष 2020-21 में इस योजना पर 1,33,972 करोड़ रुपए खर्च किये गये थे। मई 2021 में इस योजना को फिर से शुरू किया गया। इस योजना के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज नवंबर 2021 तक मुफ्त दिया जाएगा, जिसपर इस साल लगभग 93,869 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पिछले साल और इस साल को मिलाकर इस योजना पर लगभग 2,27,841 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे।
कोरोना महामारी के कारण निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान निर्यात में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो राशि में 290.6 बिलियन यूएस डॉलर है। अस्तु, सरकार नेशनल एक्सपोर्ट इंश्यूरेंश अकाउंट (एनईआईए) के जरिये निर्यातकों को 33000 करोड़ रूपये की सहायता देगी और निर्यात में तेजी लाने के लिए 88 हजार करोड़ रुपए का निर्यात बीमा कवर भी देगी, जिसे एक्सपोर्ट गारंटी कॉरपोरेशन मुहैया कराने का काम करेगी। इस प्रावधान से देश के लगभग 30 प्रतिशत निर्यातकों को लाभ मिलेगा।
भारतनेट ब्रॉडबैंड स्कीम के तहत प्रत्येक गांव तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए 19041 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य देश के सभी गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा को उपलब्ध कराना है। गौरतलब है कि 31 मई 2021 तक 2.50 लाख ग्राम पंचायतों में से 1,56,223 गांवों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपए दिए जायेंगे। इस राशि से बिजली वितरण से जुडी अवसंरचना को सशक्त बनाया जाएगा। इस योजना के तहत 25 करोड़ स्मार्ट मीटर, 10 हजार फीडर और 4 लाख किलोमीटर तक बिजली के सुचारू संरचरण के लिए एलटी ओवरहेड लाइन लगाई जाएगी।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) परियोजनाओं और परिसंपत्ति मॉनेटाइजेशन के लिए सरकार एक नई नीति लायेगी, जिससे पीपीपी परियोजनाओं को लागू करने में तेजी आयेगी। मौजूदा प्रक्रिया काफी लंबी है और इसके लिए कई स्तर पर मंजूरी लेनी होती है, जिससे परियोजनाओं को पूरा करने में लंबा समय लगता है और इस वजह से परियोजना की लागत बढ़ जाती है।
कोरोना महामारी के पहली लहर से उत्पन्न मुश्किलों से पूरी तरह से उबरने से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई, जिससे अर्थव्यवस्था में चल रहे सुधारात्मक कार्य प्रभावित हुए और आर्थिक गतिविधियों में गतिरोध आने लगा। इन पहलूओं को दृष्टिगत करके सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की, ताकि प्रभावित संस्थानों एवं आम लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आये।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)