मिशन कर्मयोगी : प्रशासनिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार की क्रांतिकारी पहल

मिशन कर्मयोगी के तहत देश के दो करोड़ से अधिक सिविल सेवा कर्मियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए ‘आइगॉट-कर्मयोगी’ नाम से विशेष एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा। इस प्लेटफार्म पर देश-दुनिया की बेहतरीन प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध होगी। कर्मचारी किसी भी समय इस प्लेटफार्म पर अपनी इच्छानुसार प्रशिक्षण सामग्री चुनकर अपनी क्षमता का विकास कर सकेंगे।

भाजपा सरकार अपने प्रथम कार्यकाल से ही व्यापक साहसिक परिवर्तनों के लिए जानी जाती रही है। इन दिनों सरकार के फैसलों से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने मानव संसाधन सुधार के लिए पक्के तौर पर मन बना लिया है।

चाहें वह पिछले दिनों नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन हो, एचआरडी मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय करना हो, श्रम कानूनों में सुधार की बात हो या हाल ही में घोषित की गई कर्मयोगी योजना हो। इन सभी में से कुछ भर्ती के पहले के सुधार के लिए किए गए प्रयास हैं, तो वहीं अन्य प्रयास भर्ती के बाद की प्रक्रिया में सुधार के लिए किए गए हैं।

इन परिवर्तनों की आवश्यकता बहुत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी, लेकिन राजनितिक दलों ने दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में ऐसे सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। सुधारात्मक कदम उठाने के लिए जिन देशव्यापी नवाचारों की आवश्यकता होती है, उसके लिए निश्चित रूप से दृढ इच्छा शक्ति चाहिए जिसका पिछली यथास्थितिवाद के समक्ष नतमस्तक कांग्रेस सरकार में बेहद अभाव था। जबकि भाजपा की सरकार में निरंतर नवाचार देखने को मिलते रहे हैं।

साभार : Youtube

नवघोषित कर्मयोगी योजना भी मानव संसाधन में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा सकती है। यह भर्ती के बाद के सुधारों के लिए किया गया प्रयास है। भारत में सिविल सेवा जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा अंग्रेजों के समय ही प्रारंभ की गई थी,  इसका उद्देश्य ही था औपनिवेशिक मानसिकता के लोगों को बड़े पदों पर बैठाना और उनसे अपने उपनिवेश के हितों के रक्षा के लिए अपने अनुसार काम कराना।

स्वतंत्रता से पूर्व ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ को ‘भारतीय सिविल सेवा’ के रूप में जाना जाता था जो स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत में ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ तथा पाकिस्तान में ‘प्रशासनिक सेवा’ के रूप में जानी जाती है। इस सेवा के नियम कायदे औपनिवेशिक मानसिकता से प्रभावित थे, जिनका प्रभाव आज भी तमाम सुधारों के बावजूद हम प्रायः देखते हैं। उसमें से एक पक्ष जो भाषा का भी है, जिसका संघर्ष आज हिंदी पट्टी के विद्यार्थियों के संघर्ष के रूप में दिखता हैं।

तकनीकी के इस आधुनिक युग में हमेशा यह अपेक्षा की जाती है, खासकर तब जब हम किसी संवैधानिक पद पर हों, कि हम नई चीजों से अप-टू-डेट रहें। कर्मयोगी योजना इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है, जिसके द्वारा सिविल सेवा में आने वाले कार्मिकों के सतत विकास के लिए और उनकी दक्षता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम का भी गठन किया जाएगा। इससे व्यक्तिगत के साथ साथ संस्थागत विकास को भी बढ़ावा मिलेगा व एक नई कार्य संस्कृति भी विकसित हो सकेगी।

मिशन कर्मयोगी के तहत देश के दो करोड़ से अधिक सिविल सेवा कर्मियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए ‘आइगॉट-कर्मयोगी’ नाम से विशेष एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा। इस प्लेटफार्म पर देश-दुनिया की बेहतरीन प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध होगी। कर्मचारी किसी भी समय इस प्लेटफार्म पर अपनी इच्छानुसार प्रशिक्षण सामग्री चुनकर अपनी क्षमता का विकास कर सकेंगे।

सरकारी कर्मचारियों की क्षमता को मापने के लिए यहां टेस्ट की भी सुविधा होगी। इसके लिए एक कंपनी काम करेगी जिसे ‘विशेष प्रयोजन व्हीकल’ (एसपीवी) कहा गया है। गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में काम करने वाली एसपीवी कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के लिए 432 रुपये सालाना की फीस लेगी।

विभिन्न विभाग खुद ही अपने कर्मचारियों के कौशल विकास के लिए फीस अदा कर सकते हैं। वर्ष 2025 तक इस मिशन के तहत केंद्र के 46 लाख कर्मचारियों को कवर करने के लिए 510 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

साभार : Hindustan Times

इस ‘मिशन कर्मयोगी’ की निगरानी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘प्रधानमंत्री मानव संसाधन परिषद’ का गठन किया जाएगा। प्रधानमंत्री के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्री, कुछ मुख्यमंत्री और देश-विदेश के विशेषज्ञ इस परिषद के सदस्य होंगे।

‘प्रधानमंत्री मानव संसाधन परिषद’ की सहायता के लिए एक ‘क्षमता विकास आयोग’ का गठन किया जाएगा। यह आयोग कर्मचारियों की क्षमता विकास के लिए सालाना योजना बनाने का काम करेगा। विभिन्न विभागों के अलग-अलग चल रहे ट्रेनिंग सेंटरों की निगरानी भी इसी आयोग के द्वारा की जाएगी।

अभी तक सिविल सेवकों के लिए नियमित ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे पूरे सेवाकाल में ट्रेनिंग उपलब्ध नहीं होने के कारण उनकी क्षमताओं पर असर पड़ता था। मिशन कर्मयोगी योजना से इस समस्या से निजात मिल सकेगी।

सिविल सेवा में भर्ती के बाद की प्रक्रिया में किए गए सुधारों की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है, इससे निश्चित रूप से सिविल सेवा में रत कार्मिकों की व्यक्तिगत दक्षता बढ़ने के साथ-साथ संस्थागत विकास भी सुनिश्चित हो सकेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)