सांसद आदर्श ग्राम योजना : ग्रामीण विकास की दिशा में एक सार्थक पहल

दिनांक 11 अक्टूबर 2014 को मोदी जी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का मकसद वर्ष 2016 तक प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में एक आदर्श ग्राम की स्थापना एवं वर्ष 2019 तक इन आदर्श ग्रामों की संख्या बढ़ाते हुए तीन तक करने की है। फिर इन पांच वर्षों में इस क्षेत्र में हुए क्षमता विकास की मदद से आगामी पांच वर्षों में यानी की 2024 तक पांच और गाँव को आदर्श ग्राम की तरह विकसित किये जाने की महत्वाकांक्षी योजना है। इस तरह 2024 तक भारत के कुल दो लाख पैंसठ हज़ार ग्राम पंचायतों में से 6, 433 गाँवों को भारत सरकार आदर्श ग्राम में तब्दील करने जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के अक्टूबर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण  जी के जन्मदिन के सुअवसर पर सांसद आदर्श ग्राम योजना को सामने ले कर आये। इस बार योजना में ज्यादा से ज्यादा गावों को रातों-रात आदर्श बनाने की जल्दी तो बिलकुल नहीं थी। इस बार बिलकुल ही व्यावहारिक तौर पर हर संसदीय क्षेत्र के सांसदों को एक-एक करके गांवों को गोद लेने एवं आदर्श ग्राम के कुछ तय मानकों के अनुरूप एवं उस गाँव की जरुरत के अनुसार उसे विकसित करने की बात है।

इसी तरह की योजना मनमोहन सिंह की पिछली सरकार में वर्ष 09-10 में शुरू की गयी थी। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना था। इस योजना के अंतर्गत जिन भी ग्रामों में 50% से अधिक की आबादी अनुसुचित जाति की थी, उसे इस योजना में शामिल कर लिया गया था। ऐसे ग्राम पंचायतों की संख्या लगभग 44, 000 थी, जिन ग्राम पंचायतों को पंचायतवार केंद्र सरकार ने विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए अलग से धन-राशी उपलब्ध करवाने की बात कही थी। ये योजना विकास को कम बल्कि राजनैतिक छलावे को ज्यादा थी। अगर आप प्रत्येक ऐसे ग्राम को 10 लाख भी दे देते हैं तो ये धन राशी 44 अरब के लगभग बैठती है। इसमें भी ग्राम विकास के लिए वहां के ग्रामीणों से कोई सलाह मशवरा नहीं सम्मिलित था, बस जो पहले ग्रामीण विकास की योजनायें थीं उन्हीं को समेकित रूप से इन गांवों में विशेष धनराशि देकर चला लेने भर से पिछली सरकार ने सोचा था ग्राम आदर्श बन जायेंगे। परिणामतः धनराशि गांवों के विकास से ज्यादा ठेकेदारों एवं प्रशासन के जिम्मे चला गया और जो बंदरबांट हुई सो अलग। पिछली सरकार में इस कारण आदर्श ग्राम कागजों पर ही बने, वजह साधारण-सी थी, और वो ये थी कि जिस गाँव को आदर्श बनाना था उसका चयन एवं आदर्श ग्राम को किस तरह विकसित करना है यह काम वहां के जनप्रतिनिधियों को करना था, वहां के ग्रामवासियों को करना था न कि दिल्ली सरकार को। आदर्श ग्राम जैसी योजना जब तक जन सामान्य की भागीदारी को लेकर उनके अनुरूप नहीं बनेगी, वो तब तक सफल हो ही नहीं सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन बातों को समझते हुए 2014 के अक्टूबर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण  जी के जन्मदिन के सुअवसर पर इसे नए ढंग से सांसद आदर्श ग्राम योजना के रूप में सामने ले कर आये। इस बार योजना में ज्यादा से ज्यादा गावों को रातों-रात आदर्श बनाने की जल्दी तो बिलकुल नहीं थी। इस बार बिलकुल ही व्यावहारिक तौर पर हर संसदीय क्षेत्र के सांसदों को एक-एक करके गांवों को गोद लेने एवं आदर्श ग्राम के कुछ तय मानकों के अनुरूप एवं उस गाँव की जरुरत के अनुसार उसे विकसित करने की बात है। इस योजना की जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि इसके लिए कोई अलग से धनराशि की व्यवस्था नहीं की गयी है। प्रत्येक सांसद को अपने या अपनी पत्नी के गाँव को छोड़ कर अपने संसदीय क्षेत्र में किसी भी एक गाँव को चुनकर 2016 तक उसे आदर्श ग्राम में तब्दील करना है। इसमें सांसद अपने सांसद विकास निधि एवं अन्य ग्राम विकास योजनाओं की मदद से या फिर किसी अन्य सामाजिक विधि से ग्राम का आदर्शीकरण सुनिश्चित करेगा। इस योजना का उद्येश्य वर्तमान में चल रही ग्राम विकास की योजनाओं को उस ग्राम में तो बिलकुल सुचारू रूप से उतारना तो है ही साथ ही साथ स्थानीय जरूरतों के हिसाब से नए पहल लेते हुए ग्राम जीवन को बेहतर बनाना है।

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इस योजना का उद्येश्य जिस भी ग्राम को आदर्श ग्राम बनाना है वहां :- 1). रोजगार एवं जीवन-यापन के अवसर को बढ़ाना, 2). अवसरों की कमी एवं मजबूरी में हो रहे ग्रामीण पलायन को रोकना, ३). बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी एवं मैला ढ़ोने की परंपरा से आज़ादी, 4). 100% जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करवाना, 5). शांति एवं सद्भाव की स्थापना साथ ही साथ विवादों के निपटान की वैकल्पिक व्यवस्था करना जिसे समाज का हर वर्ग स्वीकृत करे एवं 6). अंत में आने वाले अच्छे परिणाम का अगल-बगल के ग्राम पंचायतों में प्रचार करना एवं एक आदर्श के रूप में क्षेत्र के अन्य ग्रामों में बदलाव की मिसाल स्थापित करना है। जब कोई भी गोद लिया ग्राम इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेगा तब जाकर उसे आदर्श ग्राम के रूप में प्रमाणित किया जायेगा। समेकित विकास की अवधारणा लिए हुए किसी भी ग्राम पंचायत के विकास के लिए चार स्तर पर गतिविधियाँ चलायी जा रही है। ग्राम पंचायत में  आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, व्यक्तिगत विकास एवं व्यवहारिक विकास के कार्यक्रम चल रहे हैं और इनमें आंकड़े बद्ध तरीके से विकास हो रहे हैं।

प्रत्येक चयनित आदर्श ग्राम के लिए एक अलग ग्राम विकास योजना बनायीं गयी है, जिसे खुद सांसद देखेगा एवं ग्रामीणों के बीच लोकप्रिय बनाएगा साथ ही साथ ग्रामीण विकास में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित करेगा। इस योजना के प्रथम चरण में अब तक कुल 702 गाँव को सांसदों ने गोद लिया है, जिसमें से 646 गांवों से ग्राम विकास योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय को सुपुर्द की गयी है। इनमें से सर्वोत्तम 47 गाँव में निरिक्षण दल भेज कर जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वन प्रमाणिकता की जांच भी शुरू हो गयी है एवं वर्ष 2016 के अंत तक ऐसे सभी गांवों के आंकड़े सामने आ जायेंगे फिर इनके साथ साथ द्वितीय चरण में ये योजना प्रवेश करेगी।