प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर सरकार की तरफ से काफी जोर-शोर से पहल की गई है। प्रधानमंत्री स्वयं इस सम्बन्ध में अक्सर सांसदों से अपील करते रहे हैं। इस योजना को लेकर सरकार की इन प्रतिबद्धताओं का जमीनी स्तर पर भी काफी असर देखने को मिल रहा है। इस योजना द्वारा ग्रामीण स्तर पर आ रहे बदलावों को इन उदाहरणों के जरिये समझा जा सकता है।
SAGY के कारण ग्रामीण बदलाव के कुछ उदाहरण
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है एक गाँव जोरणडाझरिया। इसे यहाँ के सांसद ने आदर्श ग्राम के रूप में चयनित कर रखा है एवं यहाँ ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रम चल रहे हैं। ये ग्राम अब स्वच्छ एवं नशामुक्त बन चुका है। गाँव के स्वच्छ, सुन्दर एवं नशामुक्त बन जाने के बाद यहाँ के ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने इस स्वतंत्रता दिवस पर प्राण लिया है कि ये अगले 15 अगस्त तक अगल-बगल के 15 और गांवों को अपने जैसा आदर्श बनायेंगे। इन ग्रामीणों ने प्रण लिया है कि अगले साल 15 अगस्त 2017 तक चयनित 15 ग्रामों में जाकर रैली कर, सभा कर, एवं नुक्कड़ कर उन्हें प्रेरित करेंगे एवं अपने गाँव को दिखा कर उनके गाँव को भी आदर्श बनाने में मदद करेंगे।
स्वयं सहायता समूहों को सहायता, महिलाओं को बढ़ने का रास्ता
SAGY के वेब पोर्टल पर ऐसी अनेकों रोचक बदलाव की कहानियां उपलब्ध हैं, इनमें से एक है पलामू के पाटन प्रखंड के किशुनपुर गाँव की कहानी। सामाजिक बंधन यहाँ के महिलाओं के जहन में कूट कूट के भरा पड़ा था। हालाँकि, गाँव के कुछ महिलाएं स्वयं सहायता से जुड़ कर कार्य कर रही थीं, परन्तु कुछ समय के बाद वे समूह को आगे नही बढ़ा पाए। उन्हें स्वयं सहायता समूह को आगे ले जाने के लिए किसी प्रकार की सहायता एवं सहयोग किसी से भी नही मिल पाया था|
किशुनपुर को आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चुने जाने के बाद गाँव की महिलाओं को प्रेरित किया गया कि वे भी अपनी सहभागिता अपने परिवार के तरक्की में कर सकती है। इसके लिए सभी स्वयं सहायता समूहों को पुनः जगाया गया, उन्हें प्रशिक्षण मुहैया कराया गया। इसके साथ ही साथ समूह ने बहुत सारे ग्राम स्तरीय अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया इस प्रकार समूह में कुछ गतिविधियाँ शुरू हुई।
श्रीमती मालती देवी (सदस्य, खुसी आजीविका समूह) बताती हैं, पहले जब हमारा समूह शुरू हुआ था, तब हमें किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण एवं वितीय सहायता मुहैया नही करायी गयी थी। माननीय सांसद महोदय जी के प्रयासों से आज हमारा समूह फल-फुल रहा है। हमारे समूह को आजीविका मिशन, अनुदानित ऋण पर मुहैया कराया गया और हम समूह की महिलाओं ने अपना रोजगार शुरू किया है।
इससे हमारा आत्म-विश्वास बढ़ा है और हमारी दशा सुधरी है। कल तक गाँव के पुरुष जो हमें नीची दृष्टी से देखते थे, अब वो हमें आदर भाव से देखते हैं। हमें बोलने, आगे बढ़कर बात करने का मौका दिया जाता है। ये सब समूह के महिलाओं को प्रशिक्षण देने से संभव हुआ। सांसद आदर्श गाँव बनने के बाद, गाँव में सामूहिक चर्चा होना शुरू हुआ जिसमे महिलाओं को भी काफी अवसर मिला की वो अपनी बात रख सकें।
इसी पंचायत का एक गाँव है डाढा यहाँ “शांति महिला समूह’ नामक स्थानीय महिलाओं का एक छोटा सा समूह है। सांसद महोदय द्वारा समूह को आदर्श महिला समूह समझते हुए जन वितरण प्रणाली राशन दुकान की स्वीकृति प्रदान करने की सिफारिस के कारण इस समुह को दुकान की अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) प्राप्त हुई। इसके लिए समूह के किसी भी सदस्य को कार्यालयों का चक्कर नही लगाना पड़ा, न ही किसी के आगे जाकर अनुनय विनय करना पड़ा।
सांसद आदर्श ग्राम योजना से समुह को बिना किसी परेशानी के राशन दुकान का अनुज्ञप्ति मिलना उनके जीवन में यह अविश्वसनीय और चकित करने वाला था। उनके लिए यह अनुभव एक सपना सच होने जैसी है। आज शांति महिला समूह अपने राशन वितरण के दायित्वों को ईमानदारी के साथ बखूबी निभा रहीं हैं और गाँव में इनकी ख्याति भी है। श्रीमती ममता देवी और शांति महिला समूह के सदस्य माननीय सांसद श्री विष्णु दयाल राम जी के द्वारा किये गए इस प्रयास के लिए एहसानमंद भी हैं।
इसी तरह तेलंगाना के गुडम ग्राम पंचायत में आदर्श ग्राम योजना के तहत वनराजा चिड़ियों का वितरण पशुपालन विभाग द्वारा जीवकोपार्जन के अवसर को बढ़ने हेतु किया गया है। इस राज्य में इस तरह के विभिन्न पशु संसाधनों के वितरण द्वारा ऐसे ग्रामों की आजीवका बढाने की कोशिश की जा रही है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदर्श ग्राम जयापुर में सौर ऊर्जा का मिनी पावर ग्रिड लगा है। यह यहाँ की विद्युत समस्या को हमेशा के लिए दूर कर देगा एवं अब गाँव उर्जा के लिए आत्म निर्भर हो चुका है।
इस प्रकार ग्रामीण बदलाव की ये विकेंद्रीकृत योजना समस्त भारत वर्ष के ग्रामीण जीवन में धीरे धीरे एक बड़ा बदलाव लाने लगा है। योजना के शुरूआती दिनों में ही जनभागीदारी के कारण मिली सफलता बतलाती है किस तरह आने वाले समय में ये योजना न केवल 6, 444 ग्रामपंचायतों का कायाकल्प करेगी वरण इसके पदचिन्हों का अनुकरण करते हुए अगल बगल के हजारों गावों में भी बदलाव आना निश्चित ही है। हम कह सकते हैं कि यही तो है, ग्रामीण जीवन में अच्छे दिनों की शुरुआत।