सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू

बीजू के पास आरएसएस कक्कम्पारा मंडल कार्यवाह का दायित्व भी था। बीजू सी.पी.एम. के गढ़ में संघ कार्य में लगे हुए थे, जिस वजह से वे काफी दिनों से सी.पी.एम. के नेताओं के निशाने पर भी थे। बीजू के जान पर खतरे को देखते हुए उन्हें पुलिस संरक्षण भी प्रदान किया गया था, जिसे कि पिछले ही हफ्ते प्रदेश सरकार के इशारे पर हटा लिया गया था। संरक्षण के हटते ही एक सप्ताह के अन्दर बीजू की हत्या हो जाना कई सवालों को जन्म देता है। सवाल ये उठता है कि जब खतरा इतना गंभीर था, तो किसके इशारे पर पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गयी ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी  मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी गाड़ी को कार में सवार हमलावरों ने पहले टक्कर मार कर गिरा दिया, फिर तेज धारदार हथियारों से उनके गले, हाथ और पैर पर हमला कर हत्या कर दी। तस्वीरों से साफ़ जाहिर हो रहा है कि किस वहसीयत से उनके आधे गले को काटा गया है। हमला इतना नृशंस था कि उनकी मृत्यु मौकाये-वारदात पर ही हो गयी।

पुलिस इस हत्या को पिछले साल जुलाई में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले अपराधी धनराज की हत्या के बदले के रूप में देख रही है। इस हत्याकांड में प्रदेश की सी.पी.एम. सरकार के दवाब में पुलिस ने गलत तरीके से बीजू को अभियुक्त बनाया हुआ था। बीजू के पास आरएसएस कक्कम्पारा मंडल कार्यवाह का दायित्व भी था। बीजू सी.पी.एम. के गढ़ में संघ कार्य में लगे हुए थे, जिस वजह से वे काफी दिनों से सी.पी.एम. के नेताओं ने निशाने पर भी थे। बीजू के जान पर खतरे को देखते हुए उन्हें पुलिस संरक्षण भी प्रदान किया गया था, जिसे कि पिछले ही हफ्ते प्रदेश सरकार के इशारे पर हटा लिया गया था। संरक्षण के हटते ही एक सप्ताह के अन्दर बीजू की हत्या हो जाना कई सवालों को जन्म देता है। सवाल ये उठता है कि जब खतरा इतना गंभीर था, तो किसके इशारे पर पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गयी ?

ध्यातव्य हो कि पिछले साल जुलाई में धनराज की हत्या के एक दिन बाद ही ११ जुलाई को इसी इलाके में भारतीय मजदूर संघ के नेता रामचंद्रन की हत्या हो गयी थी तथा पूरे इलाके में संघ/भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों पर हमला भी हुआ था। जबकि धनराज की हत्या के कुछ दिनों पहले तक वो कन्नूर से जिला प्रशासन द्वारा उसके आपराधिक क्रियाकलापों को देखते हुए तड़ीपार किया गया था। प्रदेश में वाम गठबंधन की सरकार आने के बाद उस पर से ये प्रतिबन्ध हटा लिया गया एवं वो फिर से आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो गया था।

यहाँ ये बात भी गौर में लाने लायक है कि धनराज की हत्या के दिन ही उसकी झड़प सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के कार्यकर्ताओं से हुई थी जो कि विवादित इस्लामिक संगठन पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया की राजनैतिक इकाई है। और चूँकि इस हत्याकांड की जांच सही दिशा में चल रही थी तो पिनाराई सरकार ने बीजू की हत्या के कुछ दिनों पहले ही वहां के पुलिस अधीक्षक का तबादला करवा दिया था।

बीजू की हत्या एवं हत्या के पहले की गयी तैयारी और साज़िश  प्रदेश के शीर्ष सी.पी.एम. नेतृत्व को कटघरे में खड़ी कर रही है। भाजपा ने इस हत्याकाण्ड के प्रतिकार में शनिवार को कन्नूर बंद का आह्वान भी किया है।

कन्नूर में सी.पी.एम. के लिए अपने राजनैतिक विरोधियों को पहले डराना, फिर चेतावनी देना एवं फिर उनका खात्मा कर देना आम बात है। अभी हाल ही में 30 अप्रैल को कन्नूर में नवनिर्मित संघ सेवा केंद्र पर हमला कर उसे सी.पी.एम. कार्यकर्ताओं ने तहस नहस कर दिया था। इसके 2 दिनों बाद ही सी.पी.एम. कार्यकर्ताओं ने इसी भवन के सामने खुले आम हिंसक नारे लगाये, जैसे : “अगर तुम हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर यहाँ तक कि सिर भी काट लेंगे” “तुमलोगों को पता हो कि ये कौन कह रहा है; ये हम कह रहे हैं, ये हम कह रहे हैं”। और इसके एक सप्ताह के भीतर उसी जिले में संघ कार्यकर्ता की गला काट कर हत्या, प्रदेश में कानून का राज ख़त्म होने की गवाही चीख-चीख के दे रही है।

http://https://www.youtube.com/watch?v=DUuc4k-oPmM

सी.पी.एम. के राजनैतिक परिवेश से उपजे हिंसक कार्यकर्ता यहीं तक नहीं रुके, कन्नूर के सी.पी.एम. कार्यकर्ताओं ने बीजू की हत्या के बाद क्षेत्र में ढोल-नगाड़े बजा कर खुशियाँ भी मनाई (विडिओ)। केरल भाजपा के अध्यक्ष कुम्मानम राजशेखरण ने इसे जंगल राज्य की संज्ञा दी है। आरएसएस ने इसी सन्दर्भ में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर घटना की कड़ी भर्तसना की है। आरएसएस ने प्रदेश की सी.पी.एम. सरकार पर आरोप लगते हुए कहा है कि संघ कार्यकर्ताओं पर लगातार बढ़ रहे हमले प्रदेश सरकार की इन अपराधों में संलिप्तता को ही प्रदर्शित करते हैं। प्रदेश प्रशासन एवं पुलिस का सी.पी.एम. कार्यकर्ताओं द्वारा एक के बाद एक हो रही हत्याओं पर मूक दर्शक बने रहना बेहद शर्मनाक एवं निंदनीय है। आरएसएस ने पुलिस से इस हत्याकांड के आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की है एवं प्रदेश में लगातार हो रही घटनाओं को मानवाधिकारों पर गंभीर हमला करार दिया है।

(लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान में रिसर्च एसोसिएट हैं।)