शरजील के फरार होने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस विषय पर राजनीति करनी शुरू कर दी थी, लेकिन अब उनका दांव उल्टा पड़ गया। शरजील के पकड़े जाने से पूर्व 25 जनवरी को सिसोदिया ने गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी करते हुए भाजपा सरकार खुलेआम चुनौती दी थी कि वे 24 घंटे में शरजील को गिरफ्तार करें। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो समझा जाएगा कि उसके बयान को भाजपा ने ही प्रायोजित कराया है। सवाल है कि अब जब शरजील गिरफ्तार हो गया है तो सिसोदिया किस मुंह से इस मुद्दे पर आगे कुछ कहेंगे।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी रैली में भड़काऊ बयान देने के मामले में देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम को आखिरकार मंगलवार को बिहार के जहानाबाद जिले में उसके पैतृक गांव काको से गिरफ्तार कर लिया गया। बिहार पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। हालांकि उसके सरेंडर किए जाने की बातें भी सामने आईं लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस दावे को नकारते हुए कहा है कि सरेंडर कोर्ट में होता है। उसे गिरफ्तार किया गया है।
देशद्रोह का आरोप लगने के बाद से फरार चल रहे शरजील को उप्र, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश तथा दिल्ली की पुलिस तलाश रही थी। शरजील की गिरफ्तारी से पहले उसका पता लगाने के लिए उसके एक भाई को भी हिरासत में लिया गया। पुलिस ने रविवार को भी उसके पैतृक आवास पर छापा मारा था, लेकिन वह पकड़ में नहीं आ सका। गिरफ़्तारी के बाद उसे ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया गया है।
गौरतलब बात यह है कि शरजील के फरार होने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस विषय पर राजनीति करनी शुरू कर दी थी, लेकिन अब उनका दांव उल्टा पड़ गया। शरजील के पकड़े जाने से पूर्व 25 जनवरी को सिसोदिया ने गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी करते हुए भाजपा सरकार खुलेआम चुनौती दी थी कि वे 24 घंटे में शरजील को गिरफ्तार करें।
यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो समझा जाएगा कि उसके बयान को भाजपा ने ही प्रायोजित कराया है। सवाल है कि अब जब शरजील गिरफ्तार हो गया है तो सिसोदिया किस मुंह से इस मुद्दे पर आगे कुछ कहेंगे। दूसरी चीज कि शरजील इमाम की उसके बयान के लिए निंदा करने की बजाय इस मामले में सरकार को चुनौती देकर आखिर उन्होंने क्या सन्देश देने की कोशिश की है? क्या देशद्रोह के आरोपियों को लेकर उनकी सरकार ऐसा ही सतही रुख रखती है?
शरजील तो अब हिरासत में आ चुका है लेकिन क्या सिसोदिया अपने गिरेबान में झांककर देखेंगे और क्या यह बताएंगे कि कितने समय में शाहीन बाग को खाली करा देंगे? शाहीन बाग में पिछले कई दिनों से चली आ रही अराजक गतिविधियों को रोकने के लिए यदि वे और उनकी सरकार कुछ नहीं कर पाती है तो उनके कुतर्क के अनुसार तो यही माना जाना चाहिये कि आम आदमी पार्टी ही इसे प्रायोजित करवा रही है।
इतना ही नहीं, आश्चर्य तो इस बात पर भी है कि किसी भी सेकुलर गिरोह के किसी भी बुद्धिजीवी या पत्रकार ने अभी तक शरजील के धमकी भरे बयानों के लिए उसकी निंदा नहीं की वरन कितने वामपंथी मीडिया समूह तो उसका जिस-तिस प्रकार से बचाव करने में ही लगे हैं। कह रहे कि वो असम को तोड़ना नहीं, बस चक्का जाम करना चाहता था। ये झूठ और कुतर्क की पराकाष्ठा ही है। विपक्षी दलों के किसी बड़े नेता ने भी अबतक इसके विरोध में खुलकर नहीं बोला है। उनका इस प्रकार से मौन धारण करके बैठना कहीं न कहीं उनकी मंशा को सवालों के घेरे में ही लाता है।
मालूम हो कि सोशल मीडिया पर जैसे ही यह शरजील का वीडियो आया, यूजर्स ने उसे पहचान कर आप पार्टी को नसीहत देनी शुरू कर दी। एक यूज़र ने लिखा कि AAP का नेता अमानतुल्लाह खान पहले दिन से ही शरजील इमाम के साथ दिखाई दे रहा था।
आईआईटी, मुंबई से कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेने के बाद वह फिलहाल जेएनयू में सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में शोध का छात्र है। वह ‘मुसलमानों की वर्तमान स्थिति और दंगा” विषय पर पीएचडी कर रहा है। रिसर्च के दौरान उसने कई मुस्लिम गांवों का दौरा भी किया है।
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरजील की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन कोई भी देश तोड़ने की बात नहीं कर सकता। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पुलिस ने कानून के मुताबिक ही कार्रवाई कर शरजील इमाम को गिरफ्तार किया है और अब कोर्ट उचित कार्रवाई करेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)