सिद्धू वैसे पंजाब में स्थानीय निकाय मंत्री हैं, लेकिन अपने विभाग के अलावा वह सब कुछ करते हुए दिखते हैं। मसलन उनकी राय इस बात पर आती रहती है कि भारत को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लेकर क्या रुख अपनाना चाहिए? पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध कैसे होने चाहिए? आदि। ऐसा लगने लगा है कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के स्थानीय नहीं, विदेश मंत्री बन गए हों।
क्रिकेटर से राजनेता बने कांग्रेस की पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों पाकिस्तान में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी और लगाव दिखाने लगे हैं। मशहूर तो वह अपने हंसी ठहाके के लिए पहले भी थे, अब अपने पाकिस्तान प्रेम को लेकर उनकी चर्चा हो रही है।
आपको याद होगा मंत्री बनने के बाद उन्होंने इस बात की भी जिद की थी कि वह कपिल शर्मा के साथ अपना मजाकिया शो करते रहना चाहते हैं, लेकिन पंजाब सरकार ने इस पर आपत्ति जताई थी। सिद्धू की जिद के आगे सभी परेशान हैं, बेचारे कैप्टन साहब की सोचिये जिन्हें हर हफ्ते सिद्धू को कैबिनेट मीटिंग में बिठाना होता है।
सिद्धू वैसे पंजाब में स्थानीय निकाय मंत्री हैं, लेकिन अपने विभाग के अलावा वह सब कुछ करते हुए दिखते हैं। मसलन उनकी राय इस बात पर आती रहती है कि भारत को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को लेकर क्या रुख अपनाना चाहिए? पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध कैसे होने चाहिए? आदि। ऐसा लगने लगा है कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार के नहीं, देश के विदेश मंत्री हों।
इमरान खान के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद नवजोत सिद्धू के पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे हैं। आपको अपनी स्मृति पर थोडा-सा जोर डालना होगा, जब इमरान खान के न्यौते को कपिलदेव और सुनील गावस्कर ने ठुकरा दिया था। यह कहते हुए कि जब तक सीमा पर भारतीय सैनिकों की हत्या नहीं रुकती है, तब तक इस तरह के दौरों से परहेज़ करना चाहिए।
इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी नहीं गए और उन्होंने साफ़-साफ़ भारतीय सेना के साथ खड़े होने की बात कही थी। लेकिन सिद्धू ने इसे अपनी पब्लिसिटी का मौका समझ आमंत्रण को लपक लिया और पहुँच गए पाकिस्तान। देखा जाए तो सिद्धू हाल के दिनों में कई बार वैचारिक तौर पर पाकिस्तान के साथ खड़े नज़र आए हैं।
पिछले दिनों जब करतारपुर कॉरिडोर के ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी पर सिद्धू को न्यौता मिला तो वह व्यक्तिगत तौर पर पाकिस्तान गए। पकिस्तान जाकर सिद्धू ने न सिर्फ वाहवाही बटोरी बल्कि आईएसआई समर्थक और हाफिज सईद के दाहिने हाथ माने जाने वाले गोपाल चावला के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई, जिसके वायरल होने बाद सिद्धू को सफाई देनी पड़ी।
हैदराबाद के प्रेस कांफ्रेंस में नवजोत सिद्धू ने कहा कि वो राहुल गांधी के कहने पर पाकिस्तान गए थे। हालांकि बाद में इस बयान से भी मुकर गए और कहा कि ऐसा उन्होंने नहीं कहा था। लेकिन उनके इस बयान से कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर कई गंभीर सवाल जरूर खड़े हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि सिद्धू की ऐसी मनमानियों के बावजूद कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही?
दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू निजी तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को बहुत नहीं चाहते, लेकिन कुर्सी की चाहत में पंजाब के कैबिनेट में बने हुए हैं और इससे बढ़कर उन मुद्दों पर सियासत कर रहे हैं, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। भारत में हर व्यक्ति चाहेगा की सिखों को अपने बिछुड़े हुए गुरुद्वारों का दर्शन करने का सौभाग्य हासिल हो, लेकिन पाकिस्तान को भी अपनी हरकतों से बाज आना होगा। आतंकवाद और अमन एकसाथ नहीं चल सकते।
पाकिस्तान पिछले कुछ समय से कश्मीर में मुंह की खाने के बाद अब खालिस्तानी तत्वों को हवा दे रहा है, जिसकी झलक पाकिस्तान में दिखाई भी दी। और सिद्धू उस पाकिस्तान के गुणगान में लगे हैं। सिद्धू अभी इमरान खान के इशारों पार नाच रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान को लेकर सरकार की राष्ट्रीय नीति के हिसाब से ही सबको चलना चाहिए। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को सिद्धू को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)