योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से अपनी बात सामने रखी। आकलन करने का अधिकार आमजन को है। लेकिन, यह मानना होगा कि इन प्रयासों से प्रदेश में विकास आधारित राजनीति की शुरुआत हो रही है। भविष्य में सभी राजनीतिक पार्टियों का मूल्यांकन इसी आधार पर होगा। रिपोर्ट कार्ड से जाहिर होता है कि योगी सरकार के शासन में प्रदेश पिछली सरकारों के दौरान उपजी समस्याओं के सुधार और विकास के मार्ग पर अग्रसर है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट कार्ड जारी करने की परंपरा को आगे बढाया। अपनी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर उन्होने रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। वह बिल्कुल शुरुआती दौर था। फिर भी योगी आदित्यनाथ ने अपनी जबाबदेही का स्वयं निर्धारण किया। रिपोर्ट कार्ड के रूप में उसे सार्वजनिक किया। अब सरकार ने छह महीने पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर भी मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। यह तय है कि योगी आदित्यनाथ रिपोर्ट कार्ड की इस परंपरा को भविष्य में भी चलाते रहेंगे।
इसके एक दिन पहले उन्होने प्रदेश में डेढ़ दशक की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया था। जाहिर है कि यह उन पार्टियो को पसंद नही आया जिन्हें इस अवधि में शासन चलाने का अवसर मिला था। लेकिन किसी ने सीधे तौर पर कोई जबाब नही दिया। भाजपा के संबन्ध में वही पुरानी बातें दोहराई गई। मसलन ये समाज को बांटना चाहते हैं। यह संयोग था कि जब मुख्यमंत्री विरासत में मिली बदहाली की चर्चा कर रहे थे, उस समय बसपा प्रमुख मायावती मेरठ में जनसभा को संबोधित कर रही थी। इसमें वही पुरानी बातें दोहराई गईं। ईवीएम मशीन की गड़बड़ी को अपनी पराजय से जोड़ा गया। लेकिन यह नही बताया गया कि इस संबन्ध में चुनाव आयोग की चुनौती को स्वीकार क्यो नही किया गया।
सहारनपुर, ऊना आदि अप्रिय घटना से उबर चुके हैं। लेकिन विरोध के नाम पर इन्हें भी कुरेदा गया। यहाँ कहने का मतलब यह है कि योगी आदित्यनाथ प्रदेश को बदहाली से बाहर निकाल कर विकास की बात कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष वही परम्परागत सियासत पर अमल कर रहा है। जिसमें समीकरण और वोटबैंक दुरुस्त करने के अलावा कुछ नही है।
मुख्यमंत्री योगी विकास पर आधारित शासन और उसी की अनुरूप राजनीति को उत्तर प्रदेश में स्थापित करना चाहते हैं। सरकार के रिपोर्ट कार्ड इस भावना को बल प्रदान करते हैं। इनसे सरकार के कार्यों पर चर्चा होती है। प्रायः सरकारें स्वयं ऐसी चर्चा से बचने का प्रयास करती हैं। चुनावी वर्ष में वह अपनी पीठ खुद थपथपाती प्रतीत होती हैं। उत्तर प्रदेश का पिछला अनुभव इसकी ताकीद करता है। जबकि योगी आदित्यनाथ ने सरकार के सौ दिन पूरे होने के साथ ही विकास को प्रमुख मुद्दा बना दिया।
प्रायः मुख्यमंत्री इससे बचने का प्रयास करते हैं। उन्हें इसमें जोखिम लगता है, क्योकि रिपोर्ट कार्ड सरकार की जबाबदेही, जिम्मेदारी और पारदर्शिता का एक साथ निर्धारण करता है। यह मंत्रियों पर विकास के लिए सतत प्रयास करने का दबाव भी बनाता है। रिपोर्ट कार्ड से विभिन्न मंत्रियों की कार्यकुशलता, सक्रियता का आकलन भी हो जाता है। बेहतर कार्य करने का प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनता है। योगी आदित्यनाथ प्रदेश के विकास हेतु दिन-रात मेहनत करते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी मंत्री परिषद के सहयोगी भी ऐसे ही कार्य करें।
रिपोर्ट कार्ड में अनेक विषय उठाए गए। कुछ समय पहले गोरखपुर में इंसेफलाइटिस प्रकरण को बहुत तूल दिया गया था। यह संवेदनशील मुद्दा था। लेकिन इसे लेकर वर्तमान सरकार पर हमला बोलने वाले खुद भी जबाबदेह थे। जिन्हें पूरे कार्यकाल तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने का अवसर मिला, वह चंद महीने पुरानी सरकार सवाल उठा रहे थे। चालीस वर्ष पुरानी समस्या के समाधान हेतु गम्भीरता से प्रयास करने होंगे। योगी सरकार ने अबतक सर्वाधिक बच्चो को बीमारी से बचाने हेतु टीका लगवाया। दवा खरीद की केंद्रीय व्यवस्था लागू की। इससे बड़े सुधार की उम्मीद है।
सड़को को गढ्डा मुक्त बनाने के कार्य पर भी तंज कसे गए। लेकिन महत्वपूर्ण यह था कि कितने गढ्ढे विरासत में थे और उनमें से कितने भरे गए। वर्षा के कारण कार्य पूरा नही हो सका। क्योकि सरकार के अनुमान के मुकाबले स्थिति अधिक खराब थी। एक अक्टूबर से पुनः कार्य शुरू होगा। उल्लेखनीय यह है कि विरासत में एक लाख इकक्कीस हजार किलोमीटर गड्ढे वाली सड़क मिली थी। इसमे बरसात के पहले अस्सी हजार किलो मीटर सड़क को गड्ढा मुक्त किया गया। सोलह लाख परिवारों को बिजली कनेक्शन दिए गए। प्रायमरी स्कूल के बच्चों को ड्रेस व किताबे दी गईं। जाड़े में जूता, मोजा, स्वेटर दिए जाएंगे। सभी नगर पंचायतों और निगमो में एलईडी बल्ब लगाकर ऊर्जा की बचत होगी।
पहले पांच से सात लाख मीट्रिक टन अनाज खरीद होती थी। इस सरकार ने सैंतीस लाख टन गेंहू खरीद का रिकॉर्ड बनाया है। पारदर्शी व्यवस्था के तहत किसानों से सीधे धान खरीदा जयेगा। सरकार पूर्वांचल व बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे पर कार्य शुरू कर रही है। यह उसकी प्राथमिकता में है। इसी प्रकार इलाहाबाद,वाराणसी,कानपुर, मेरठ में मेट्रो का कार्य शुरू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबको आवास उपलब्ध कराने की योजना पर अमल कर रहे हैं। योगी सरकार ने भी इसे अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। पिछली सरकार स्वच्छता अभियान पर तंज करते हुए विदा हुई थी। योगी सरकार ने स्वच्छता के महत्व को समझा है। पूर्वांचल की बीमारी का बड़ा कारण गन्दगी भी है। स्वच्छता से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। अभी तक स्वच्छता की खूबियों को इस रूप में समझने का प्रयास नही किया गया। योगी इसके प्रति गम्भीर हैं।
करीब चौबीस जिले बाढ़ की चपेट में थे। पहले आपदा राहत में भी बड़े आरोप लगते थे। मुख्यमंत्री ने पारदर्शिता से राहत सामग्री वितरित करने की व्यवथा की । अपनी जान जोखिम में डालकर वह स्वयं बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचे। सात लाख लोगो तक राशन पहुंचाया गया। पहली बार उन लोगों की विशेष सहायता का इंतजाम किया गया, जिनके आवास क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो गए थे।
पहले जमीनों पर अवैध कब्जों की खूब चर्चा होती थी। पीड़ित लोग लाचार नजर आते थे। योगी सरकार ने एन्टी भूमाफिया सेल का गठन किया। इसका असर दिखने लगा है। साथ ही, छह महीने में तीस लाख फर्जी राशन कार्डों की पहचान और उन्हें निरस्त करने की कार्रवाई भी उल्लेखनीय है। इसका फायदा जरूरतमंद गरीबो को होगा। तीस लाख अपात्रो के राशन कार्ड रद्द किए गए। तैतीस लाख पात्रों को राशन कार्ड देने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि उनकी सरकार गरीबो और किसानों के प्रति समर्पित रहेगी। उन्होंने किसानों को राहत देने वाले कार्य सरकार ने शुरू किए हैं। आधुनिक तकनीक से युक्त कृषि की सुविधा हेतु इंतजाम किये गए। आगामी समय में इनका लाभ दिखाई देगा। योगी सरकार ने गेंहू की रिकार्ड खरीद और गन्ना किसानों का रिकार्ड भुगतान किया। भविष्य में भी इस दिशा में सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेगी। बिजली की उपलब्धता और पूंजी निवेश बढ़ाने के भी कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। कानून व्यवस्था को सुधारने ,भ्र्ष्टाचार पर रोक लगाने की दिशा में भी कारगर कदम उठाये गए।
योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से अपनी बात सामने रखी है। आकलन करने का अधिकार आमजन को है। लेकिन, यह मानना होगा कि इन प्रयासों से प्रदेश में विकास आधारित राजनीति की शुरुआत हो रही है। भविष्य में सभी राजनीतिक पार्टियों का मूल्यांकन इसी आधार पर होगा।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)