दैनिक भास्कर। सोलर पावर को कमाई से जोड़ने की मोदी सरकार की नई योजना तैयार है। इस बार सरकार लोगों को छोटे-छोटे ग्रिड लगाने का मौका देगी, ताकि
लोग इन ग्रिड्स के माध्यम से सोलर पावर सप्लाई करके कमाई कर सकें। इसके लिए मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) ने एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार कर ली है। औपचारिकताओं के बाद एक से दो महीने के भीतर यह पॉलिसी लागू कर दी जाएगी।
क्या है योजना
एमएनआरई की योजना है कि अगले पांच साल में देश में कम से कम 10 हजार माइक्रो व मिनी ग्रिड प्रोजेक्ट्स लगाए जाएं, जो रिन्यूएबल एनर्जी बेस्ड हों। यानी ये ग्रिड सोलर, विंड, बायोमास पावर प्लांट से पैदा होने वाली पावर से जुड़े हों। मिनिस्ट्री का टारगेट है कि इस योजना से देश में अगले पांच साल में 500 मेगावाट बिजली पैदा की जाए। सरकार माइक्रो व मिनी ग्रिड लगाने का मौका किसी एक व्यक्ति, ग्रुप, लोकल अथॉरिटी, ग्राम पंचायत, यूजर्स एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए,ट्रेडर्स एसोसिएशन आदि), कोऑपरेटिव सोसाइटीज, एनजीओ या कंपनी को देगी, जो बिल्ड, कमीशन, ऑपरेट एंड मेंटीनेंस करेंगे। इन्हें एनर्जी सर्विस कंपनी (ईएससीओ) कहा जाएगा।
क्या है मिनी एवं माइक्रो ग्रिड
मिनिस्ट्री द्वारा तैयार की गई ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक मिनी ग्रिड उसे कहा जाएगा, जो रिन्यूएबल एनर्जी बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी जनरेटर होगा, जिसकी कैपेसिटी 10 किलोवाट या उससे अधिक हो और जो पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के माध्यम से कंज्यूमर्स को बिजली सप्लाई कर सके। इसी तरह, 10 किलोवाट से कम कैपेसिटी वाले रिन्यूएबल एनर्जी बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी जनरेटर व पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क को माइक्रो ग्रिड कहा जाएगा।
कौन होंगे कंज्यूमर्स
इन ग्रिड से जिन कंज्यूमर्स को बिजली सप्लाई की जाएगी, उनमें हाउसहोल्ड यूज के लिए रेजीडेंट्स, कमर्शियल, प्रोडेक्टिव,इंडस्ट्रियल और इंस्टीट्यूशनल सेटअप शामिल होंगे। मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना का सीधा मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति, समूह या कंपनी किसी भी इलाके में सोलर या विंड पावर प्लांट लगाकर उसे इन ग्रिड से जोड़कर कंज्यूमर्स को सीधे बिजली बेच सकते हैं।
कैसे तय होगा टैरिफ
दिलचस्प यह होगा कि बिजली किस रेट पर बेची जाएगी, इसको लेकर सरकार की ओर से दखल नहीं होगा। यानी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा निर्धारित टैरिफ इसमें मान्य नहीं होगा, बल्कि ग्रिड ऑपरेटर और कंज्यूमर के बीच आपसी रजामंदी से रेट तय होगा। ऐसे में कंज्यूमर चाहे तो बिजली लेने से इनकार भी कर सकता है।
स्त्रोत:bhaskar.com