ब्रिटेन में भी दीप पर्व मनाया जाता है और लीसेस्टर में तो बहुत बड़ा आयोजन होता है। ऑस्ट्रेलिया में भी दीपावली की धूम रहती है और मेलबोर्न में तो श्री शिवविष्णु मंदिर में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है। न्यूजीलैंड में भी रह रहे भारतीय रोशनी का पर्व मनाते हैं। वजह बताने की जरूरत नहीं है कि इन दोनों देशों में खासी तादाद में भारतवंशी हैं। दोनों में ही दीपावली पर सार्वजनिक अवकाश रहता है। कनाडा में दीपावली वाले दिन भारतीय अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को इकट्ठे हो दीपावली का जश्न मनाया जाता है।
अब दुनिया के चप्पे-चप्पे में दीप पर्व अपनी छटा बिखेरता है। जिन देशों में हिंदुओं की बड़ी आबादी है, वहां तो सर्वत्र प्रकाश होता है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में दीपावली भव्य तरीके से मनती है। आप कह सकते हैं कि जैसे-जैसे भारतवंशी और प्रवासी भारतीयों की संख्या संसार के कोने-कोने में बढ़ रही है, उसी गति से प्रकाशपर्व दीपावली हर जगह पहुंच रहा है। शायद ही दुनिया का कोई देश हो, जहां पर दीपावली उत्साह से नहीं मनाई जाती हो।
कहां 5 दिनों की ?
नेपाल में दीपावली का पर्व पांच दिन मनाया जाता है। परंपरा वैसी ही है, जैसी भारत की है। थोड़ी भिन्नता भी है। पहले दिन कौवे को, दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है। लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है। इस दिन से नेपाल संवत शुरू होता है, इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं। चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन महापूजा होती है और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। पांचवा दिन भाई टीका होता है, जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं।
भारत के बाहर भारत
अगर बात लघु भारत यानी मारीशस की करें तो वहां भारतवंशी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरी विधि के अनुसार ही करते हैं। भारत के विपरीत वहां पर मिठाइयां घरों में ही पकाने की रवायत है। सबसे गौरतलब बात यह है कि दिवाली के दिन भारतवंशी परम्परागत भारतीय वेश-भूषा मे ही होते हैं। भारत से दशकों पहले सात समंदर दूर चले गए भारतीय अपने तीज-त्योहारों को अब भी बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के भाव से साथ मनाते हैं।
कैरेबियाई देशों में त्रिनिदाद और टोबैगो में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं और वहां खूब धूमधाम से दीपावली मनाई जाती है। लोग घरों में पूजा करते हैं और रोशनी से घर जगमगा उठते हैं। सागर तट से करीब 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित त्रिनिदाद और टोबेगो की लगभग 13 लाख की आबादी में से 22.5 प्रतिशत हिन्दू हैं। त्रिनिदाद में 1845 में भारतवंशियों की पहली टुकड़ी पहुंची थी। उसी वर्ष से वहां दिवाली का उत्सव मनाया जाता है। त्रिनिदाद और टोबेगो में दीपावली के पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश होता है।
दूर देश में आलोक-पर्व
त्रिनिदाद के करीबी देश गुयाना में भी हिन्दुओं की तादाद खासी है। वहां पर भी आलोक-पर्व को बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। त्रिनिदाद और टोबेगो एवं गुयाना में त्योहारों की धूम गणेश जयंती के साथ ही शुरू होती है। गणेश जयंती के बाद 15 दिनों तक पितृपक्ष, उसके बाद नवरात्रि, रामलीला आदि उत्सव मनाए जाते हैं। फिर मनाई जाती है दीपावली।
घरों और अन्य इमारतों पर लोग तेल के दीये जलाए जाते हैं। जब ये सारे दीपावली की रात को एक साथ प्रकाशमय होते हैं, तो मंजर अद्भुत होता है। वहां पर बिजली के बल्ब लगाकर आलोक सज्जा करने का सिलसिला नहीं शुरू हुआ है। पोर्ट ऑफ स्पेन शहर के तो एक बड़े चौराहे का नाम ही ‘दिवाली स्ट्रीट’ है। अंग्रेज, मुख्य रूप से भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को गन्ने की खेती करवाने के लिए इन देशों में लेकर गए थे।
दक्षिण अफ्रीका में दीपोत्सव
अगर बात दक्षिण अफ्रीका की करें तो भारतीय समुदाय बहुल इलाकों जैसे जोहांसबर्ग के निकट लेनासिया और चैट्सवर्थ और डरबन के फोनेक्स में दीपावली बहुत ही भव्य तरीके से मनाई जाती है। दक्षिण अफ्रीका के भारतीय मूल के लोगों में दीपावली के त्योहार की तैयारियां काफी जोर-शोर से चलती हैं। भारतीय मूल के लोग महंगी मिठाइयां, लैंप्स और उपहार खरीद कर रोशनी का उत्सव मनाने के लिए एकत्र हो रहे हैं। श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग इस दिन तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और ‘पोसई’ (पूजा) कर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। शाम को पटाखे छोड़े जाते हैं।
उधर मलेशिया में हिंदू सूर्य कैलेंडर के सातवें माह में दीवाली मनाई जाती है। उल्लेखनीय है कि मलेशिया में लगभग 20 लाख भारतीय हैं, जिनमें से अधिकांश हिंदू हैं। सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है। वहां की दीपावली देखकर लगता है जैसे ‘नन्हे भारत’ में मनाई जा रही है। वहां ‘हिन्दू एंडाउमेंट बोर्ड ऑफ सिंगापुर’ कई सांस्कृतिक आयोजन करता है।
ब्रिटेन में भी दीप पर्व मनाया जाता है और लीसेस्टर में तो बहुत बड़ा आयोजन होता है। ऑस्ट्रेलिया में भी दीपावली की धूम रहती है और मेलबोर्न में तो श्री शिवविष्णु मंदिर में दीपावली की रौनक देखते ही बनती है। न्यूजीलैंड में भी रह रहे भारतीय रोशनी का पर्व मनाते हैं। वजह बताने की जरूरत नहीं है कि इन दोनों देशों में खासी तादाद में भारतवंशी हैं। दोनों में ही दीपावली पर सार्वजनिक अवकाश रहता है। कनाडा में दीपावली वाले दिन भारतीय अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को दीपावली उत्सव के लिए इकट्ठे हो दीपावली का जश्न मनाया जाता है।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हों। वरिष्ठ स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)