अयोध्या में साकार हुआ त्रेतायुग का दीपोत्सव

योगी सरकार द्वारा आयोजित इस अयोध्या के दीपोत्सव में संस्कृति और विकास दोनों चीजों को महत्व दिया गया। यह एक सांस्कृतिक आयोजन था, लेकिन विकास की बात भी हुई। संस्कृति और विकास के इस  समन्वय से ही प्रदेश में रामराज्य का सपना पूर्णतः साकार होगा।

प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग भी चौदह वर्ष तक बेचैन रहे थे। इन सभी को वनवास की समाप्ति और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा थी। ज्यों ज्यों यह समय निकट आ रहा था, जनमानस की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भरत जी ने चित्रकूट में प्रभुराम से कहा था कि यदि वनवास के बाद निर्धारित अवधि तक आप वापस अयोध्या नहीं आये तो वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेंगे।

यही कारण था कि प्रभु राम ने रावण वध के बाद हनुमान जी को पहले ही अयोध्या भेजा था, जिससे वह भरत जी को स्थिति की जानकारी दे सकें। बता दें कि श्री राम अनेक स्थानों पर रुकते हुए अयोध्या पहुंचेंगे। केवल भरत जी की नहीं अयोध्या के सभी लोगों की यही मनोदशा थी। हनुमान जी के सन्देश से सभी को राहत मिली, और वह लोग प्रभु राम सीता जी के स्वागत की तैयारी करने में जुट गए था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामायण के इसी प्रसंग की प्रेरणा से अयोध्या में भव्य दिव्य दीपोत्सव के आयोजन का निर्णय लिया था। इसकी शुरुआत उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद पहली दीपावली को ही कर दी थी। इस बार एक साथ सर्वाधिक दीपक प्रज्ज्वलित होने का रिकार्ड कायम हुआ। रामकथा के अनुरूप कई दिनों पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो गई। अयोध्या में स्थान स्थान पर सजावट शुरू हो गई, रामलीला के मंचन चल रहे थे।

प्रभु राम, सीता जी, लक्ष्मण पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे। इसी के प्रतीक रूप में हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया गया। प्रयास किया गया कि अयोध्या में प्रतीकात्मक रूप में त्रेता युग का प्रसंग जीवंत हो। रामचरित मानस में गोस्वामी जी लिखते है-

आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान।

नगर निकट प्रभु प्रेरेउ उतरेउ भूमि बिमान॥

इस दृश्य की कल्पना करना ही अपने आप में सुखद लगता है। अयोध्या में ऐसा ही दृश्य प्रतीकात्मक रूप में दर्शनीय है। प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग व्याकुल थे। अंततः वह घड़ी आ ही गई जब प्रभु राम अयोध्या पधारे। उनके वियोग में लोग कमजोर हो गए थे। उनको सामने देखा तो प्रफुल्लित हुए-

आए भरत संग सब लोगा। कृस तन श्रीरघुबीर बियोगा॥

बामदेव बसिष्ट मुनिनायक। देखे प्रभु महि धरि धनु सायक।

चौदह वर्षों बाद प्रभु को सामने देखा तो लोग हर्षित हुए-

 प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित बियोग बिपति सब नासी॥

प्रेमातुर सब लोग निहारी। कौतुक कीन्ह कृपाल खरारी।।

इस मनोहारी दृश्य को भी अयोध्या में जीवंत किया गया। अयोध्या में दीपोत्सव जैसा दृश्य था। प्रभु राम सीता की आरती के लिए जो दीप प्रज्वलित किये गए थे, उनसे अयोध्या जगमगा उठी थी।

फिजी गणराज्य की उप सभापति एवं सांसद वीना भटनागर अयोध्या दीपोत्सव में श्रद्धाभाव के साथ सम्मिलित हुईं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे केवल धार्मिक परम्परा या उत्सव तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि उन्होंने इसे तीर्थ नगरी के विकास से भी जोड़ दिया है। इसके अंतर्गत दो सौ छब्बीस करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास को भी इस समारोह में शामिल किया गया।

दीपोत्सव समारोह  का प्रारंभ भगवान श्रीराम के लीला चरित्र से जुड़ी विभिन्न झांकियों की भव्य शोभा यात्रा से हुआ। यह शोभा यात्रा रामकथा पार्क में समाप्त हुई। इसमें विभिन्न देशों के कलाकारों के साथ ही प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार सम्मिलित थे।

रामकथा पार्क में पुष्पक विमान का प्रतीक बन कर हेलीकाप्टर उतरा। श्रीराम, सीता, लक्ष्मण का प्रतीकात्मक अवतरण हुआ। भरत मिलाप का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत हुआ। यहीं पर श्रीराम जानकी का पूजन-वंदन-आरती एवं  प्रतीकात्मक राज्याभिषेक किया गया। इसके बाद अयोध्या में पूर्ण हुई परियोजनाओं का लोकार्पण एवं नवीन योजनाओं का शिलान्यास किया गया।

संध्या काल में नए घाट पर मंत्रोच्चार के साथ सरयू जी की आरती व पूजन किया गया। इसके बाद समस्त घाटों तथा सम्पूर्ण अयोध्या में पांच लाख इक्यावन हजार दीपों का प्रज्ज्वलन किया गया। राम की पैड़ी पर चार लाख दीपों का प्रज्ज्वलन कर गिनीज बुक रिकॉर्ड कायम हुआ। राम की पैड़ी पर प्रोजेक्शन मैपिंग शो द्वारा रामकथा का प्रदर्शन भी अद्भुत था।

रामकथा पार्क में  भारत, नेपाल, श्रीलंका, इण्डोनेशिया एवं फिलीपींस की रामलीलाओं का मंचन किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के दीपोत्सव को विश्व में प्रतिष्ठित करने का संकल्प लिया था। अपनी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के पहले ही उन्होंने इसको साकार करके दिखा दिया।

अयोध्या के दीपोत्सव को देखने देश ही नहीं विदेश से भी लोग आए थे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम भी यहां थी। लाखों दीपों को एक साथ प्रज्वलित होते हुए देखना उनके लिए अद्भुत और अभूतपूर्व था। कुल पांच लाख इक्यावन हजार दीप जलाए गए।  योगी का यह सपना साकार हुआ। लेकिन उनकी योजना इससे भी आगे जाने की है। इसका उद्घोष उन्होंने दीपोत्सव के अवसर पर किया।

योगी ने कहा कि जिस प्रकार अन्य मजहबो की आस्था के केंद्र विश्वस्तरीय सुविधाओं से सम्पन्न व प्रतिष्ठित हैं, उसी प्रकार अयोध्या का भी विकास किया जाएगा। ऐसा नहीं कि योगी ने इसका उद्घोष मात्र किया हो, वह इस दिशा में पहले से प्रयास भी करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में वह डेढ़ दर्जन बार अयोध्या आये हैं। प्रत्येक बार यहां करोड़ों रुपये की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया गया। दीपोत्सव के दिन भी करीब सवा दो सौ करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया गया।

योगी ने रामराज्य का उल्लेख किया। उसमें समरसता थी, भेदभाव नहीं था। उसी प्रकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ के आधार पर कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने भी केंद्र की ऐसी लोककल्याण योजनाओं को लागू किया, जिससे प्रदेश विकास के पथ पर आगे बढ़ा है। नरेंद्र मोदी ने देश की संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाने का काम किया है। नरेंद्र मोदी ने आधुनिक रामराज्य का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जाति और धर्म न देखकर सभी को बराबर हक दिया जा रहा है। किसी भेदभाव के बगैर कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

स्पष्ट है कि योगी सरकार द्वारा आयोजित इस अयोध्या के दीपोत्सव में संस्कृति और विकास दोनों चीजों को महत्व दिया गया। यह एक सांस्कृतिक आयोजन था, लेकिन विकास की बात भी हुई। संस्कृति और विकास के इस  समन्वय से ही प्रदेश में रामराज्य का सपना पूर्णतः साकार होगा।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)