हिंदी, भारत में सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा है। विश्व में भी सबसे अधिक बोली जानी वाली भाषाओं में इसका चौथा स्थान है। मौजूदा समय में हिंदी का कंप्यूटरीकरण अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में सबसे तेज गति से हो रहा है। हिंदी की बहुत सारी सामग्रियाँ ऑनलाइन एवं ऑफलाइन उपलब्ध हैं। विदेशी भाषाओं की फिल्मों को हिंदी में डब करके हिंदी बोलने व समझने वाले दर्शकों के सामने रखा जा रहा है। नई प्रौद्योगिकी ने हिंदी भाषा के स्वरूप में सकारात्मक बदलाव किया है। नई−नई तकनीक अपनाने की योग्यता होने की वजह से अंतर्राष्टीय स्तर पर हिंदी का तेजी से विकास हो रहा है।
देश में सबसे अधिक बोली, समझी और लिखी जाने वाली भाषा हिंदी है। विश्व में भी यह चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भले ही अग्रेज़ीदाँ मानसिकता वाले अँग्रेजी को सर्वश्रेष्ठ भाषा मानते हैं, लेकिन दैनिक भास्कर, जो एक हिंदी दैनिक है, सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला अखबार है। दूसरे स्थान पर भी हिंदी अखबार दैनिक जागरण काबिज है। टीवी पर भी सबसे अधिक हिंदी के समाचार, विज्ञापन एवं कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और वेब मीडिया पर भी हिंदी का ही बोलबाला है।
1975 से अब तक 11 अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किये जा चुके हैं। 11 वां अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन वर्ष 2018 में मॉरीशस में आयोजित किया गया था। पहले 4 सालों के अंतराल पर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जाता था, जिसे बाद में कम करके 3 साल कर दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने की कोशिश की जा रही है।
आजादी से पहले भी हिंदी लोगों के बीच एक संपर्क भाषा थी। उस समय भी हिंदी जनसंचार, संवाद और संपर्क की भाषा थी। इससे पता चलता है कि हिंदी शुरू से ही व्यावहारिक और लोकप्रिय भाषा रही है। इसी वजह से प्रतिकूल परिस्थिति में भी वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा के प्रयोग में तेजी से इजाफा हो रहा है।
वैश्विक भाषा बनने की दिशा में अग्रसर हिंदी
वैश्विक भाषा बनने की पहली शर्त होती है कि अधिक से अधिक लोग उस भाषा में संवाद करें, उसमें दूसरी भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करने की क्षमता हो, उसका साहित्य समृद्ध हो आदि। इन सभी कसौटियों पर हिंदी भाषा खरी उतरती है। आज विश्व के अनेक देशों के करोड़ों लोग हिंदी लिखते व बोलते हैं।
फिलहाल, चीन की भाषा मंदारिन दुनिया में सबसे अधिक बोली जाती है। इसे बोलने वालों की संख्या लगभग 1.3 अरब है। इस क्रम में दूसरे स्थान पर स्पेनिश, तीसरे स्थान पर अँग्रेजी और चौथे स्थान पर हिंदी है। विश्व में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगभग 60 करोड़ से अधिक है। फिलवक्त, लगभग 3 दर्जन से अधिक देशों में हिंदी भाषा का इस्तेमाल बोलचाल की भाषा के रूप में किया जा रहा है।
आज मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना, केन्या, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, सिंगापुर, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, मलेशिया, चीन, मंगोलिया, कोरिया, जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी, सयुंक्त अरब अमीरात आदि देशों में हिंदी बोली जा रही है। अमेरिका में भी अंग्रेजी के बाद दूसरी सबसे लोकप्रिय भाषा हिंदी ही है।
भूमंडलीकरण और बाजारवाद से हो रहा है हिंदी का विस्तार
भूमंडलीकरण और बजारवाद की वजह से हिंदी की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ रही है। आज दुनिया एक गाँव बन गयी है। फिलवक्त, विश्व के किसी भी देश में जाना बहुत ही आसान है। कोई भी देश तभी मजबूत हो सकता है, जब उसका अंतर्देशीय कारोबार उम्दा हो। भारत का बाजार बहुत ही बड़ा है और इसके विस्तार की अभी भी गुंजाइश है। भारत की बहुसंख्यक आबादी हिंदी भाषी है। इसलिये, भारतीय बाजार में घुसने का रास्ता हिंदी भाषा के रास्ते से होकर गुजरता है।
उत्पादों का विज्ञापन हो या प्रचार प्रसार की भाषा हो, जब तक वह हिंदी में नहीं होगी, किसी उत्पाद को भारत में बेचने में मुश्किल होगी। बड़े बाजार होने के कारण ही अंग्रेजी व दूसरी विदेशी भाषाओं वाले फिल्मों को हिंदी में डब किया जा रहा है। इतना ही नहीं दक्षिण भारत एवं पंजाबी फिल्मों को भी हिंदी में डब किया जा रहा है। जाहिर है, हिंदी के विस्तार में भारतीय बाजार बड़ी भूमिका निभा रहा है।
हिंदी भाषा का समृद्ध साहित्य
हिंदी भाषा का साहित्य बहुत ही समृद्ध है। इसकी तुलना विश्व के श्रेष्ठ साहित्यों से की जाती है। पिछले 1200 सौ सालों से हिंदी का साहित्य लगातार समृद्ध हो रहा है। हिंदी भाषा को विरासत में कई भाषाओं का समृद्ध शब्द भंडार मिला है। हिंदी ने अरबी-फारसी, उर्दू, अँग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उड़िया और बोलियों में अवधी, मगही, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बघेली, बुंदेलखंडी आदि के शब्दों को स्वीकार किया है।
हिंदी भाषा ने विश्व को कई श्रेष्ठ रचनाएँ दी हैं। हिंदी कविताओं का विश्व साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। प्रवासी भारतीयों का भी हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में योगदान है। विदेशों से हिंदी की पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं। हिंदी में उपन्यास, कवितायें, निबंध संग्रह, नाटक आदि प्रवासी भारतीय लिख रहे हैं। प्रवासी भारतीय हिंदी पर कार्यशाला, सम्मेलन, गोष्ठी, सेमिनार आदि का आयोजन भी नियमित तौर पर कर रहे हैं।
एक लंबे समय से भारतीय सभ्यता-संस्कृति विदेशियों को आकर्षित करती रही है। अध्यात्म, संगीत, सभ्यता-संस्कृति, योग आदि समझने के लिए दूसरे देशों से बड़ी संख्या में लोग भारत आते हैं। कुछ लोग तो भारत में ही बस जाते हैं। आमतौर पर इनकी संपर्क भाषा हिंदी ही होती है।
तकनीक की भाषा हिंदी
हिंदी, इंटरनेट और कंप्यूटर के अनुकूल बन गई है। ताजे आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट और फेसबुक पर हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। सच कहा जाये तो आज उसी भाषा को लोग आत्मसात करते हैं, जो तकनीक के अनुकूल हो साथ ही साथ कारोबार व विज्ञान के विकास में सहायक हो। हिंदी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी एवं कारोबार के विकास की वाहक बन रही है। आज विज्ञान और कारोबार से जुड़ी किताबों का हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है।
हिंदी में बिजनेस अखबार प्रकाशित हो रहे हैं, जिनमें बिजनेस स्टैंडर्ड और इकनॉमिक टाइम्स सबसे महत्वपूर्ण है। विदेशों में भी हिंदी में अखबार निकाले जा रहे हैं। वहाँ कई हिंदी पोर्टलों का भी संचालन किया जा रहा है। लचीलेपन के कारण हिंदी नियमित तौर पर नये शब्दों को गढ़ रही है और आमजन उनका बोलचाल में प्रयोग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
मौजूदा समय में हिंदी का कंप्यूटरीकरण अन्य भारतीय भाषाओं की तुलना में सबसे तेज गति से हो रहा है। हिंदी की बहुत सारी सामग्रियाँ ऑनलाइन एवं ऑफलाइन उपलब्ध हैं। विदेशी भाषाओं की फिल्मों को हिंदी में डब करके हिंदी बोलने व समझने वाले दर्शकों के सामने रखा जा रहा है। नई प्रौद्योगिकी ने हिंदी भाषा के स्वरूप में सकारात्मक बदलाव किया है। नई−नई तकनीक अपनाने की योग्यता होने की वजह से अंतर्राष्टीय स्तर पर हिंदी का तेजी से विकास हो रहा है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)