हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करें, माता पिता का आदर करें, देश की संपत्ति का नुकसान न करें। भाई-चारा बढ़ाएं, समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित करें। हिंसा का परित्याग करें आदि कर्तव्य संविधान ने हमारे लिए निर्धारित किए हैं। क्या हम इन कर्तव्यों के प्रति भी उतने ही गंभीर हैं, जितने कि अधिकार के प्रति? शायद नहीं। हम अधिकारों के लिए तो बात-बेबात भी आवाज उठाते रहते हैं, मगर कर्तव्यों की चर्चा तक नहीं करते।
आज देश अपना बहत्तरवां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ऐसे में इस सवाल पर चर्चा होनी चाहिए कि आखिर स्वतंत्रता से हम क्या समझते हैं? आजादी का हमारे लिए क्या मतलब है ? एक स्वतंत्र देश में हमें क्या करना चाहिए? आज यह सवाल हमें हमें खुद से बार-बार पूछने चाहिए।
यह तो हम जानते हैं कि आजाद भारत में हमारे पास संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे कर्तव्य क्या हैं, हमारा दायित्व क्या है? भारतीय संविधान में हमारे कर्तव्यों को बहुत अहमियत दी गई है। इसमें देश के संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के प्रति हमारा सम्मान स्वतःस्फूर्त है। एक देश के नागरिक के तौर पर हम इसका सम्मान करें, इसकी शिक्षा हमें जन्मजात अपने परिवार और समाज से मिलती है।
इसके अलावा हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करें, माता पिता का आदर करें, देश की संपत्ति का नुकसान न करें। भाई-चारा बढ़ाएं, समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित करें। हिंसा का परित्याग करें आदि कर्तव्य संविधान ने हमारे लिए निर्धारित किए हैं। क्या हम इन कर्तव्यों के प्रति भी उतने ही गंभीर हैं, जितने कि अधिकार के प्रति? शायद नहीं। हम अधिकारों के लिए तो बात-बेबात भी आवाज उठाते रहते हैं, मगर कर्तव्यों की चर्चा तक नहीं करते।
हद तो तब हो जाती है जब कुछ लोग राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के सम्मान की बात आने पर भी व्यक्तिगत या राजनीतिक कारणों से ऐसा न करने की जिद पर अड़े रहते हैं। कई लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर वैसी गैंग में शामिल हो जाते हैं जो देश को खंडित करने के नारे लगाता है। आज कुछ लोगों में यह सोच दिखती है कि आज़ादी का मतलब है, कुछ भी कर जाने की आज़ादी। स्वतंत्रता और स्वच्छंदता का भेद लोग समझने को तैयार नहीं हैं। आज़ादी का यह मतलब तो कतई नहीं है।
एक आजाद देश के नागरिक के रूप में आधिकारों के साथ साथ हमें अपने कर्तव्यों का बोध भी उतना ही ज़रूरी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हमने आज़ादी का गलत मतलब निकाल लिया हो? आज़ादी का मतलब है कि हमें सोचने और बोलने की बुनियादी स्वतंत्रता मिली हुई है। हमें अपने विकास के लिए एक स्वस्थ और स्वतंत्र वातावरण मिला है। आज़ादी का मतलब है कि हम सत्ता के शिखर पर पहुँच सकते हैं, बिना किसी भेदभाव के। लेकिन आज़ादी का सबसे बड़ा मतलब तो असल में अधिकारों के साथ कर्तव्यों की भागीदारी ही है।
आज राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र में हम सबकी चुनी हुई सरकार है। आप हर पांच साल के बाद संविधान द्वारा प्रदत्त मतदान के अधिकार का प्रयोग करते हैं अपनी मनपसंद सरकार बनाने के लिए। आप किसे चुनते हैं, यह आपकी सोच है। आप किसे रिजेक्ट करते हैं, यह भी आपका अधिकार है। यह आधिकार आपको एक स्वतंत्र देश में मिलता है।
लेकिन जो बात सबसे ऊपर है, वह है एक नागरिक के रूप में हम सबके कर्तव्य जिनके पालन से लोकतान्त्रिक मूल्यों का संवर्धन और पोषण होता है।आज़ादी का यह मतलब हमें समझना होगा कि हम और आप देश को और मजबूत बनाने की दिशा में मिलकर काम करें। भारत को अगर एक महान देश बनाना है तो हमें भी एक महान और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)