मोदी सरकार ने तमाम ऐसी योजनाएं और नीतियाँ बनाई हैं, जिनसे हर व्यक्ति न केवल खुद का रोजगार खड़ा करने बल्कि और लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम हो सके। ऐसी ही योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स रिफाइनेंस एजेंसी) योजना। यानी कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योगों को सुविधाजनक ढंग से वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना जिसे लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है।
देश में अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन को लेकर बहस गर्मायी हुई है। विपक्ष अलग-अलग दावों से प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा रहा है और यह दिखाना चाह रहा है कि प्रधानमंत्री ने लोगों की उम्मीदों को तोड़ा है। मगर, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आर्थिक नीतियों में न केवल मोदी सरकार ने बेहद ठोस और अनुशासित कदम उठाये हैं, बल्कि देश की सम्पूर्ण अर्थनीति में एक सकारात्मक वातावरण का सृजन भी किया है, जिसकी प्रशंसा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है। व्यापारिक सुगमता की रैंकिंग में भारत की स्थिति का सुधरना इसीका का एक उदाहरण है।
जहां तक रोजगार सृजन की बात है, तो यह तथ्य है कि कोई भी सरकार इतने बड़ी आबादी वाले देश के सभी बेरोजगार लोगों को रोजगार नहीं दे सकती, लेकिन मोदी सरकार ने तमाम ऐसी योजनाएं और नीतियाँ बनाई हैं, जिनसे हर व्यक्ति न केवल खुद का रोजगार खड़ा करने बल्कि और लोगों को भी रोजगार देने में सक्षम हो सके। ऐसी ही योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट्स रिफाइनेंस एजेंसी) योजना। यानी कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योगों को सुविधाजनक ढंग से वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना जिसे लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है।
2013 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि देश में लगभग 5 करोड़ 77 लाख लघु व्यवसायिक इकाइयाँ हैं, जिनका नियंत्रण एकल स्वामित्व में है और जिनसे लगभग 1.25 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं अथवा रोजगार पा रहे हैं। इतने वर्षों तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस सरकार ने इसके बावजूद इनके लिए ठोस नीति-निर्माण नही किया। परन्तु, मौजूदा मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र से जुड़े इन कुटीर उद्योगों की अहमियत समझते हुए और देश के विकास में इनकी साझेदारी हेतु इस योजना की शुरुआत की थी।
क्या है मुद्रा योजना ?
8 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असंगठित क्षेत्र में पनप रहे कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया था। भारत में असंगठित क्षेत्र एक बड़ी आबादी के लिए रोजगार का स्रोत है, जिन्हें मजबूती प्रदान करने का कार्य यह योजना करती है। इसके तहत लघु, कुटीर और मध्यम व्यवसायों को सस्ती दरों पर, बिना गारंटी के, किसी भी बैंक अथवा गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों से 10 लाख रूपए तक के ऋण प्राप्त हो सकते हैं। यह योजना देशभर के सभी बैंक शाखाओं में उपलब्ध है साथ ही तमाम गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां/अल्प वित्त संस्थाएं, लघु व्यवसाय गतिविधियों के लिए सूक्ष्म उद्योगों को ऋण दे रही हैं, इस योजना के तहत ऋण लेने वालों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है;
- शिशु ऋण: इसके अंतर्गत 50 हजार रूपए तक के ऋण को रखा गया है;
- किशोर ऋण: इसके अंतर्गत 50 हजार से 5 लाख रूपए तक के ऋण को रखा गया है; और
- तरुण ऋण: इसके अंतर्गत 5 लाख से 10 लाख तक के ऋण को रखा गया है।
इस योजना की खास बात यह है कि इसके अंतर्गत लाभ उठाने की पात्रता लगभग सभी व्यावसायिक इकाइयों, पेशेवरों औए सेवा क्षेत्रों को है, जिसमें छोटे दुकानदार, फल-सब्जी विक्रेता, रेहड़ी वाले, हेयर कटिंग सैलून, ब्यूटी पार्लर, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ, हौकोर, मशीन ऑपरेटर, शिल्पकार, पेंटर, रेस्त्रां, सहकारी संस्थान, ट्रांसपोर्टर, साइकिल-बाइक रिपेयर करने वाले आदि सभी शामिल हैं। कुल मिलाकर यह योजना सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम-वर्गीय व्यवसायियों को केंद्र में रखकर बनाई गयी है।
मुद्रा ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रक्रिया
आम तौर पर देखा यह गया है कि बैंक में दस्तावेजों, गारंटी एवं नियमावली की समस्या के चलते मध्यम-वर्गीय या निम्न वर्गीय व्यक्ति बैंक से ऋण लेने से परहेज करते हैं। मुद्रा योजना की एक विशेषता यह है कि इसमें ऋण प्राप्त करने हेतु किसी विशेष जटिल प्रक्रिया का पालन नही करना पड़ता। इस प्रक्रिया को बेहद सरल रखा गया है। ऋण प्राप्त करने के लिए भारत का नागरिक होना पहली आवश्यकता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति मुद्रा योजना के तहत ऋण प्राप्त करना चाहता है, तो उसे निम्न प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
- नजदीकी बैंक में जाकर मुद्रा योजना के तहत ऋण प्राप्त करने हेतु संपर्क करें और उसका फॉर्म प्राप्त कर उसको ठीक तरह से भरें।
- साथ में मांगे गये दस्तावेज फॉर्म के साथ बैंक को प्रदान करें। इसके साथ ही आपके द्वारा किये जाने वाले व्यवसाय या फिर आप जिस किसी नये व्यवसाय को शुरू करना चाहते हैं, उसका विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना होगा। (विवरण केवल तरुण एवं किशोर ऋण प्राप्त करने हेतु आवश्यक)।
- बैंक से सम्बंधित कुछ औपचारिकताओं को पूरा करते ही आपको मुद्रा कार्ड जारी किया जायेगा, जिसके तहत आपको सम्बंधित ऋण की राशि प्राप्त होगी।
- शिशु लोन चुकाने के लिए 7 वर्ष (84 महीने) तक का समय दिया जाता है। जबकि तरुण और किशोर ऋण चुकाने की अवधी का निर्धारण बैंक अथवा अन्य संस्थानों द्वारा किया जाता है।
इसका सीधा अर्थ यह है कि देश में बिना किसी भेदभाव के या बिना किसी आरक्षण के सूक्ष्म उद्योगों एवं लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
उद्देश्य
- ऋण के तौर पर सूक्ष्म वित्त उपलब्ध करने वाले संस्थानों का नियमन करना एवं उनकी सक्रिय भागीदारी से स्थिरता प्रदान करना। साथ ही इनके वित्त और ऋण गतिविधियों में सहयोग को बढ़ावा देना।
- मौजूदा सभी सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओ को पंजीकृत करना, जिससे उनके प्रदर्शन के आधार पर उनकी श्रेष्ठता का आंकलन करने तथा ऋण लेने वालों को श्रेष्ठ एमएफ़आई चुनने में मदद उपलब्ध कराने में सहायता मिल सकेगी। साथ ही,श्रेष्ठता सूची बनने से संस्थाओ के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे वे बेहतर प्रदर्शन हेतु प्रेरित होंगी जिसका सीधा लाभ ऋण लेने वालों को मिलेगा।
- इसके साथ ही ऋण लेने वाले व्यक्ति को उद्योग के विस्तार सम्बंधित दिशा-निर्देश भी प्रदान किये जायेंगे।
- छोटे व्यावसायिक इकाइयों को दिए जाने वाले ऋण की गारंटी हेतु मुद्रा बैंक क्रेडिट गारंटी स्कीम उपलब्ध कराना।
- छोटे व्यावसायिक इकाइयों को छोटे ऋण उपलब्ध करवाने हेतु प्रभावी प्रणाली का विकास करना।
- ऋण देने और लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना।
2015 से 2017 तक का सफ़र
मुद्रा योजना सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए एक सौगात है, जिसमें उन्हें अपने उद्योगों को बृहद स्तर पर पहुँचाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 2015 से लेकर 2017 तक मुद्रा योजना के तहत जो धनराशि आवंटित की जा चुकी है, उसमें वर्ष 2015-16 में 137449.27 करोड़, 2016-17 में 180528.54 और 2017-18 में 98223.99 करोड़ रूपये की राशि अबतक आवंटित की गयी है, जिसमें से लगभग पूरी राशि व्यवसायियों को प्रदान की जा चुकी है। इसमें महिला व्यवसायियों की संख्या 63% है, जबकि नवीन व्यवसायियों की संख्या 24% और अल्पसंख्यक व्यवसायियों की भी 10% भागीदारी है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस योजना के द्वारा लगभग 1 लाख जनधन खाताधारियों ने ऋण प्राप्त किया है। आंकड़े यह भी साफ़ कहते हैं कि मुद्रा योजना के तहत सबसे ज्यादा शिशु ऋण ( 93%) व्यवसायियों को प्रदान किये गये हैं।
यदि राज्य आधारित आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ जिन राज्यों को प्राप्त हुआ है, उसमें वर्ष 2016-17 में कुल 18052 करोड़ की राशि तमिलनाडु को दी गयी है, जिसमें 17756 करोड़ रूपये व्यवसायियों को आवंटित किये जा चुके हैं। इसके साथ ही मुद्रा से फायदा लेने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्य भी शामिल हैं। केंद्र-शासित प्रदेशों में भी इस योजना का फायदा लोगों को मिल रहा है।
स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और मुद्रा योजना, ये तीनों अप्रत्यक्ष रूप से एकदूसरे से सम्बंधित और एकदूसरे की संपूरक योजनाएं हैं। गौर करें तो स्किल इंडिया के माध्यम से व्यक्ति कुशल हो, फिर मुद्रा योजना से ऋण प्राप्त कर उस कौशल का उपयोग करते हुए अपना कोई स्टार्टअप शुरू कर सकता है। ये स्वरोजगार और रोजगार सृजन की दिशा में बड़ी पहले हैं, जिनके लाभ आने वाले समय में देश देखेगा।
बहरहाल, मुद्रा योजना इस देश के विकास में एक महत्वपूर्ण योजना है। उज्जवला योजना की तरह इस योजना ने भी ग्रामीण स्तर पर अपना मौजूदगी दर्ज करायी है और आज ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों से जुड़े लोग इसका बहुत फायदा उठा रहे हैं। इस योजना की विशेषता ही यही है कि यह हर स्तर पर लोगों को अपना उद्योग स्थापित कर स्वावलंबी बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है और नौकरी के लिए भटकने की बजाय अपना रोजगार लगाकर कुछ लोगों को नौकरी देने की क्षमता से युक्त बना रही है। आने वाले समय में निश्चित ही इस योजना से देश के विकास में बड़ा योगदान देखने को मिलेगा।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)