नरेंद्र मोदी : लोककल्याण के लिए संकल्पित जननायक

एक गरीब पृष्ठभूमि से निकलकर सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने की मोदी की यात्रा हमारे लोकतंत्र और संविधान की शक्ति को तो इंगित करती ही है, इसके साथ में यह भी बताती है कि अगर हम कठिन परिश्रम और अपने दायित्व के प्रति समर्पित हो जाएँ तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं। सत्तर वर्षों के इस कालखंड के दौरान समाज जीवन में उनकी यात्रा बेहद लंबी और समृद्ध रही है। इस यात्रा की महत्वपूर्ण कड़ी यह है कि नरेंद्र मोदी ने लोगों के विश्वास को जीता है और लोकप्रियता के मानकों को भी तोड़ा है।

एक गरीब पृष्ठभूमि से निकलकर सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने की उनकी यह यात्रा हमारे लोकतंत्र और संविधान की शक्ति को तो इंगित करती ही है, इसके साथ में यह भी बताती है कि अगर हम कठिन परिश्रम और अपने दायित्व के प्रति समर्पित हो जाएँ तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है।

साभार : DNA India

2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं, यहीं से वह संगठन से शासन की तरफ बढ़ते है और यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राजनीतिक रूप से आज वह एक अपराजेय योद्धा बन चुके हैं। चाहें उनके नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव की बात हो अथवा 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव की बात हो, सियासत में नरेंद्र मोदी के आगे विपक्षी दलों ने पूरी तरह से घुटने टेक दिए हैं।

2014 के आम चुनाव को कौन भूल सकता है। जब एक ही व्यक्ति के चेहरे पर जनता से लेकर मुद्दे तक टिक से गए थे। सबने नरेंद्र मोदी में ही आशा, विश्वास और उम्मीद की नई किरण देखी और इतिहास में पहली बार भाजपा को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ एवं नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बनें।

2014 से 2019 तक उन्होंने अपनी सरकार बड़ी कुशलता से चलाई। गत लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस समेत देश के एक बौद्धिक तबके ने नरेंद्र मोदी को रोकने के तमाम प्रयास किए, झूठे एजेंडे चलाए गए, लेकिन नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आगे ये सब बेबस नज़र आए और नरेंद्र मोदी दुबारा पहले से अधिक मत प्रतिशत और सीटों के साथ सत्ता पर काबिज़ हुए।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के उपरांत देश की राजनीति में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। पहला, विकास की राजनीति चर्चा के केंद्र में आई और दूसरा साहसिक नेतृत्व से होने वाले लाभ से जनता परिचित हुई। नरेंद्र मोदी एक के बाद ऐसी नई लकीर खींचते जा रहे जो अभूतपूर्व है, ऐतिहासिक है।

अनुच्छेद 370, 35A को निष्प्रभावी करना हो अथवा सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने का निर्णय हो, नई शिक्षा नीति हो, नागरिकता संशोधन कानून हो, सब मामलों में प्रधानमंत्री ने यह साबित किया कि कैसे एक पूर्ण बहुमत की सरकार देश के विकास के साथ एकता, अखंडता और स्वाभिमान को भी कायम रख सकती है।

साभार : Axios

अंत्योदय की प्रेरणा

दीनदयाल उपाध्याय के मंत्र अंत्योदय को लेकर प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता उनकी योजनाओं में दिखती है। प्रधानमंत्री गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे हैं, जिसमें वह सफल भी हुए हैं। मसलन, आज़ादी के बाद से 18 हजार से अधिक गांवो में बिजली नहीं थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने उन गावों में तय समयावधि में बिजली पहुँचा उनके जीवन में रोशनी लाने का काम किया।

उज्ज्वला योजना के तहत आठ करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ़्त में गैस सिलेंडर देकर उनके जीवन को धुएं से मुक्त किया। आयुष्मान भारत योजना के जरिये गरीबों को पांच लाख तक के मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की गई है। इस योजना के तहत अबतक एक करोड़ से अधिक लोगों का इलाज मुफ्त में हो चुका है।

महात्मा गांधी अंतिम जन की बात करते थे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय की, नरेंद्र मोदी ने अपनी नीतियों के माध्यम से समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का काम किया है। किसानों के लिए सरकार ने नई नीतियों का निर्माण किया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आज किसानों को बड़ा संबल प्रदान कर रही है। इस संकट के समय भी सरकार ने गत महीने इस योजना की छठी किश्त के तहत 8.5 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में कुल 17,000 करोड़ की राशि ट्रांसफर कर दी है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अभीतक दस करोड़ से अधिक किसानों को कुल 90,000 करोड़ रूपये की राशि हस्तान्तरित की जा चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.52 करोड़ से अधिक आवास बन चुके हैं। यानी 1.52 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पक्का मकान देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत 2.62 कोरोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया है। इसी तरह उजाला योजना के तहत लगभग 37 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण किया गया है।

साभार : Outlook India

इन सब योजनाओं के द्वारा नरेंद्र मोदी ने गरीबों-किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। बीच-बीच में योजनाओं के लाभार्थियों से प्रधानमंत्री जिस तरह से संवाद स्थापित करते हैं उससे लाभार्थी भी चकित रह जाता है कि सरकार उनके द्वार पर आई है। असल में लोकतंत्र का अर्थ भी यही है कि सरकार गरीबों से सीधा संवाद करे, उन्हें समस्याओं से निजात दिलाए और सरकार होने का एहसास कराए।

यह कहने में कोई दोराय नहीं कि नरेंद्र मोदी ने गरीबों में विश्वास जगाने का काम किया है। जो उनकी लोकप्रियता का मूल है जिसे समझने में मोदी के विरोधी हमेशा से विफल रहे हैं। आज़ादी के 67 वर्षों के बाद भी लगभग आधी आबादी बैंक से नही जुडी थी, आज गर्व से कहा जा सकता है कि जनधन योजना के माध्यम से सबको बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है।

इस कोरोना संकट के समय यह योजना रामबाण साबित हुई और सरकार इसके जरिये पूरी पारदर्शिता के साथ गरीबों के खाते में उनका पैसा पहुँचाने में सफल रही है। आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत विभिन्न योजनाओं के 68,820 करोड़ रूपये 42.08 करोड़ लाभार्थियों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज दिए गए हैं।

कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई घोषणाएं की, जिसमें आत्मनिर्भर भारत अभियान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान आदि प्रमुख हैं। इन सभी का लक्ष्य एक है कि हमारे देश के विकास की गति ना रुके, कोई गरीब भूखा ना सोए, इस संकट के समय अपने गांव लौटे श्रमिक को उनके गांव–शहर में रोजगार मिल सके। इन सभी योजनाओं का क्रियान्वयन भी शुरू हो चुका है।

यह सब योजनाएं प्रधानमंत्री के जन कल्याण के प्रति संकल्प को प्रदर्शित करती हैं। नरेंद्र मोदी ने भारतीयता के गौरव को विश्व में स्थापित करने की दिशा में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अपने उत्कृष्ट कार्यों से नरेंद्र मोदी ने दुनिया का भी ध्यान खींचा है, जिसकी तस्दीक उन्हें मिले वैश्विक सम्मानों व पुरस्कारों से होती है। सियोल शांति पुरस्कार, संयुक्त राष्ट्र का चैंपियन ऑफ़ द अर्थ पुरस्कार, यूनाईटेड अरब अमीरात का जायेद मेडल समेत कई देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिकता सम्मान देकर भारत का सम्मान किया है।

प्रधानमंत्री की नीतियां और उनके द्वारा किये जा रहे कार्य यह बताते हैं कि नरेंद्र मोदी लोककल्याण के मंत्र को संकल्पबद्ध होकर पूरा करने में लगे हैं। यही कारण है कि देश की जनता उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी दिखती है और आलोचक उनकी जितनी आलोचना करते हैं, वह उतनी ही मजबूती से खड़े हो जाते हैं।

(लेखक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च एसोसिएट हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)